भारत में सर्जिकल शिक्षा के एक नए युग की शुरुआत, गुरुग्राम से देश की पहली मोबाइल सर्जिकल रोबोट यूनिट रवाना
गुरुग्राम से देश की पहली मोबाइल सर्जिकल रोबोट ट्रेनिंग यूनिट ‘एसएसआइ मंत्रा एम’ की यात्रा शुरू हुई। उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह ने हरी झंडी दिखाई। यह यूनिट राजस्थान में 1500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और चिकित्सा संस्थानों में प्रशिक्षण देगी। इस पहल से स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिलेगी और सर्जिकल शिक्षा का नया युग शुरू होगा। पहले चरण में 500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण मिलेगा।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: हरियाणा विज्ञान, तकनीक और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में लगातार नई मिसाल कायम कर रहा है। इसी क्रम में बुधवार को गुरुग्राम से देश की पहली मोबाइल सर्जिकल रोबोट ट्रेनिंग यूनिट ‘एसएसआई मंत्रा एम’ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
इस यात्रा की शुरुआत प्रदेश के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने की। यह यूनिट ‘मेड इन इंडिया’ सर्जिकल तकनीक की प्रतीक है और राजस्थान के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में 1500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
यह यात्रा हरियाणा की नवाचार शक्ति का प्रमाण है: राव नरबीर सिंह
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि एसएसआई मंत्रा एम आधुनिक सर्जिकल केयर को आमजन तक पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, जिससे देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिलेगी। यह यात्रा हरियाणा की नवाचार शक्ति का प्रमाण है।
एसएस इनोवेशन्स के चेयरमैन डाॅ. सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि यह केवल एक तकनीकी यात्रा नहीं, बल्कि भारत में सर्जिकल शिक्षा के एक नए युग की शुरुआत है। उनका मानना है कि इस प्रयास से हर स्तर के चिकित्सा पेशेवरों को उन्नत तकनीक तक सीधी पहुंच मिलेगी।
पहले चरण में 500 से अधिक लोगों को मिलेगा प्रशिक्षण
उन्होंने बताया कि यात्रा की औपचारिक शुरुआत 3 जुलाई को जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से होगी, जिसके बाद यह जोधपुर, अजमेर और अन्य चिकित्सा संस्थानों तक पहुंचेगी। पहले चरण में 500 से अधिक डाक्टरों एवं चिकित्सा छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
देश की पहली ‘टेलीसर्जरी ऑन व्हील्स’ सुविधा से युक्त यूनिट
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री ने बताया कि यह अत्याधुनिक मोबाइल यूनिट भारतबेंज़ 1824 चेसीज़ पर आधारित है, जिसका ग्राॅस व्हीकल वेट 18,500 किलोग्राम है।
यह है, जिसमें लाइव सर्जिकल डेमो, इंटरेक्टिव ट्रेनिंग और गाइडेड सेशंस शामिल हैं। रियल-टाइम टेलीकम्युनिकेशन और संभावित सेटेलाइट कनेक्टिविटी के माध्यम से यह यूनिट दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में सक्षम होगी।
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