Registry Scam: गुरुग्राम में नियमों के खिलाफ की गई 254 रजिस्ट्री, जांच रिपोर्ट ने खोली राजस्व अधिकारियों की पोल
गुरुग्राम की फरुखनगर तहसील में फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आया है। तहसीलदार समेत तीन अधिकारियों पर नियमों के विरुद्ध 254 रजिस्ट्री करने का आरोप है। इन रजिस्ट्रियों में कृषि भूमि को शहरी भूमि दिखाकर और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। जांच में बादशाहपुर और मानेसर में भी गड़बड़ियां मिली हैं।

गौरव सिंगला, नया गुरुग्राम। फरुखनगर तहसील में हुए रजिस्ट्री घोटाले ने राजस्व अधिकारियों की पोल खोल दी है। अभी तक की जांच रिपोर्ट में साफ-साफ नाम सामने आए हैं कि तहसीलदार रीता ग्रोवर, तहसीलदार नवजीत कौर और नायब तहसीलदार अरुणा कुमारी के कार्यकाल के दौरान एक अप्रैल 2025 से 31 अगस्त 2025 तक 254 रजिस्ट्री नियमों के विरुद्ध दर्ज की गईं।
इन रजिस्ट्री में सरकारी नियमों की खुली अनदेखी हुई और नगर एवं ग्रामीण नियोजन अधिनियम 1975 की धारा 7(ए) का उल्लंघन पाया गया। इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा सरकार की वित्त आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमित्रा मिश्रा ने इसी महीने आठ सितंबर को मंडल आयुक्त आरसी बिढान को जांच के आदेश दिए थे।
यह आदेश उस समय दिए गए जब लगातार गुरुग्राम जिले की तहसीलों फरुखनगर, बादशाहपुर और मानेसर में बिना एनओसी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री की शिकायतें हुई।
फरुखनगर में 254 रजिस्ट्री नियमों के विरुद्ध हुई
पटौदी के एसडीएम द्वारा तैयार रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि फरुखनगर तहसील में 254 रजिस्ट्री में भारी गड़बड़ी पाई गई। इनमें 71 रजिस्ट्री तहसीलदार रीता ग्रोवर, 94 रजिस्ट्री तहसीलदार नवजीत कौर और 89 रजिस्ट्री नायब तहसीलदार अरुणा कुमारी के नाम से दर्ज हुईं। इन सभी मामलों में भूमि की प्रकृति बदलकर, कृषि भूमि को शहरी भूमि दिखाकर और प्रॉपर्टी आइडी में हेरफेर कर रजिस्ट्री की गई।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई गांवों में कृषि भूमि को छोटे-छोटे गजों में बांटकर प्लॉटिंग को बढ़ावा दिया गया। नगरपालिका सीमा के अंदर आने वाली कृषि भूमि की प्रॉपर्टी आईडी बनाकर उसे अधिकृत भूमि के रूप में दिखाया गया। इससे अवैध कॉलोनियों को संरक्षण मिला और अवैध प्लाट खुलेआम बिके।
बादशाहपुर और मानेसर में भी मिली गड़बड़ियां
फरुखनगर ही नहीं, बादशाहपुर तहसील में भी नियमों को ताक पर रखकर रजिस्ट्री हुईं। यहां तरतीमा डीड दिखाकर अवैध प्लॉटों को वैध ठहराया गया और बिना एनओसी के रजिस्ट्री दर्ज हुईं। मानेसर तहसील में फ्लैटों और मकानों की रजिस्ट्री की जांच में सामने आया कि कई मामलों में राजस्व रिकॉर्ड में जमीन बेचने वाला मालिक ही नहीं था।
गड़बड़झाले की शिकायत सबसे पहले आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि कई रजिस्ट्री ऑनलाइन सिस्टम को दरकिनार कर ऑफलाइन दर्ज की गईं और कुछ मामलों में तो फर्जी पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर ही जमीनें बेची गईं।
रमेश यादव ने इस पूरे घोटाले के सबूत मंडल आयुक्त को सौंप दिए हैं। अवैध रजिस्ट्री से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। नियमों को ताक पर रखकर हुई रजिस्ट्री ने प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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