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    Gurugram News: कोर्ट में नौकरी लगवाने का दिया लालच, फिर ठग लिए 20 लाख रुपये; ये है पूरा मामला

    Updated: Mon, 21 Apr 2025 02:34 PM (IST)

    गुरुग्राम में एक किसान से कोर्ट में चपरासी की नौकरी लगवाने के नाम पर 20 लाख रुपये की ठगी हुई। पीड़ित को एक आरोपी ने सेवानिवृत्त सीजेआई टीएस ठाकुर का रिश्तेदार बताकर पैसे लिए। नौकरी न मिलने पर पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी ने पैसे वापस करने का वादा किया लेकिन बाद में मुकर गया और जान से मारने की धमकी दी।

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    कोर्ट में चपरासी की नौकरी लगवाने के नाम पर 20 लाख रुपये की ठगी

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। हरियाणा के गुरुग्राम में कोर्ट में चपरासी की नौकरी लगवाने के नाम पर मूलरूप से रेवाड़ी के खलियावास गांव के किसान से 20 लाख रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई।

    2016 में पीड़ित को मिले एक आरोपी ने खुद को सेवानिवृत्त सीजेआई टीएस ठाकुर का रिश्तेदार बताया था और ये रुपये लिए थे। कई साल बाद भी जब नौकरी नहीं मिली और रुपये वापस नहीं मिले तो पीड़ित ने आरोप के विरुद्ध सेक्टर 17/18 थाने में मामला दर्ज कराया।

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    खलियावास गांव के खेमचंद ने बताया कि वह किसान हैं और इस समय महेंद्रगढ़ में रहते हैं। उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं। बीच वाली लड़की सुरेश देवी की शादी महेंद्रगढ़ के बुचौली के धर्मबीर से हुई थी। उनका दामा ठेकेदार के पास सुपरवाइजर है।

    विरेंद्र से उनकी मुलाकात हुई

    खेमचंद ने शिकायत में कहा कि वह काम के सिलसिले में समय-समय पर रेवाड़ी में अपने गांव जाते रहते हैं। 2016 में गांव जाने के दौरान दोस्त विरेंद्र से उनकी मुलाकात हुई। उसने कहा कि नारनौल कोर्ट में चपरासी की नौकरी निकली है। उसकी बहादुर सिंह ठाकुर से जान पहचान है, जो नौकरी लगवाने का काम करता है।

    खेमचंद ने दामाद धर्मबीर की नौकरी लगवाने की इच्छा जाहिर की तो विरेंद्र ने गुरुग्राम के सेक्टर-18 मार्केट में बहादुर से मिलवाया। बहादुर ने खुद को सेवानिवृत्त सीजेआइ टीएस ठाकुर का रिश्तेदार बताया और नौकरी लगवाने के लिए दस लाख रुपये मांगे।

    खेमचंद ने दस लाख रुपये नकद दे दिए। फरवरी 2016 में चपरासी की भर्ती का इंटरव्यू हुआ। 17 दिन बाद मार्च 2016 में दोबारा बहादुर उन्हें मिला और कहा कि सीजेआई की पत्नी को नीमराणा में फार्म हाउस दिलाना है, इसलिए दस लाख रुपये और चाहिए।

    पूछा गया तो उसने कई बार टरकाया

    उसने कहा कि इस दस लाख के बदले वह उनके एक और बेटे की नौकरी लगवा देगा। इस पर खेमचंद ने उसे दस लाख और दे दिए। कुछ दिन बाद चपरासी की भर्ती की लिस्ट आई तो उसमें उनके दामाद का नाम नहीं था। जब बहादुर से पूछा गया तो उसने कई बार टरकाया। नौकरी लगवाने के नाम पर उसने सालों गुजार दिए।

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    जून 2024 में जब खेमचंद पुलिस के पास पहुंचे तो आरोपी ने रुपये वापस करने की बात लिखित रूप से दी। लेकिन इसके बाद वह दोबारा नहीं मिला। रुपये मांगने पर आरोपी ने जान से मारने की धमकी दी। खेमचंद ने जब आरोपी के बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि उस पर पहले से ही कई धोखाधड़ी के केस चल रहे हैं।