Gurugram Chintels Paradiso: बिल्डर प्रबंधन की शर्तों पर सेटलमेंट करना नहीं चाहते 15 परिवार, जानिए क्या है मामला?
जी एवं एच टावर में वर्तमान में रह रहे परिवारों को कहना है कि बिल्डर प्रबंधन अपनी शर्तों पर सेटलमेंट करना चाहता है। बिल्डर 6500 रुपये प्रति वर्ग फीट में फ्लैट वापिस लेना चाहता है लेकिन मार्केट में फ्लैट लेने जाओ तो 12 से 13000 रुपये में बुकिंग होती है। ऐसे में हम अपने फ्लैटों को कौड़ियों के भाव में क्यों दें।

गौरव सिंगला, नया गुरुग्राम। सेक्टर-109 स्थित चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी में पांच टावर डी, ई, एफ, जी, एच को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। जी एवं एच टावर में अभी भी 15 परिवार रहने को मजबूर हैं।
बिल्डर प्रबंधन इन परिवारों के रहने के लिए न तो वैकल्पिक फ्लैट देने को तैयार है और न ही फ्लैट के लिए किराए देने को तैयार है। न ही आधिकारिक तौर पर फ्लैट के बदले फ्लैट के निर्माण का विकल्प देने को तैयार है। इन परिवारों की मानें तो वह आज इस स्थिति में नहीं हैं कि यहां से फ्लैट खाली कर वैकल्पिक फ्लैट का किराया भी भर सकें और नए फ्लैट की किस्त भी भर सकें।
अपने फ्लैट कौड़ियों के भाव में देने को मजबूर
जी एवं एच टावर में वर्तमान में रह रहे परिवारों को कहना है कि बिल्डर प्रबंधन अपनी शर्तों पर सेटलमेंट करना चाहता है। बिल्डर 6500 रुपये प्रति वर्ग फीट में फ्लैट वापिस लेना चाहता है, लेकिन मार्केट में फ्लैट लेने जाओ तो 12 से 13000 रुपये में बुकिंग होती है। ऐसे में हम अपने फ्लैटों को कौड़ियों के भाव में क्यों दें?
टावर तोड़ने वाली एजेंसी ने सर्वे करके पानी के ओवरहेड टैंक खाली करने और बिजली काटने का सुझाव दिया है। इस माध्यम से बिल्डर प्रबंधन निवासियों पर दबाव बनाना चाहता है क्योंकि एक बार फ्लैट खाली करके जाने पर सेटलमेंट निवासियों की मजबूरी होगी लेकिन हम बिल्डर प्रबंधन की शर्तों पर सेटलमेंट नहीं करेंगे।
निवासी डॉ. निहारिका श्रीवास्तव कहती हैं कि हम अपने फ्लैट खाली कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन बिल्डर हमें सेटलमेंट के तौर पर दूसरे विकल्प के तहत फ्लैटों का पुनर्निर्माण करके दे और वैकल्पिक फ्लैट का किराया भी दे।
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चिंटेल्स इंडिया पर नहीं है किसी का दबाव
निवासियों की मानें तो डी-टावर हादसे के बाद कंपनी के निदेशक अशोक सोलोमन समेत कई लोगों के विरुद्ध एफआइआर भी दर्ज हुई है लेकिन आज तक किसी एफआइआर में इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई।
मामला सीबीआइ को जांच के लिए ट्रांसफर हुआ लेकिन सीबीआइ की जांच की आंच इन तक नहीं पहुंच सकी। इसके के चलते बिल्डर प्रबंधन अपनी शर्तों पर सेटलमेंट के लिए लोगों पर दबाव बना रहा है।
इस बारे में चिंटेल्स इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट जेएन यादव का कहना है कि असुरक्षित टावर डी, ई, एफ, जी, एच में कुल 288 फ्लैट हैं जिनमें से बिल्डर प्रबंधन ने अभी 150 लोगों के साथ सेटलमेंट 100 प्रतिशत पूरी करते हुए 200 करोड़ की अदायगी कर दी है। जो लोग फ्लैट लेना चाहते हैं उन्हें पुनर्निर्माण करके भी देने को तैयार हैं।
इस सूरत में प्रशासन के आदेश अनुसार शिफ्टिंग खर्च के तौर पर 40 हजार रुपये देने के लिए तैयार हैं। यदि किसी को मुआवजा चाहिए तो जिला प्रशासन द्वारा कराए गए मूल्यांकन के हिसाब से अपने फ्लैट की पूरी पेमेंट ले सकता है।
टावरों को किया गया असुरक्षित घोषित
घटिया गुणवत्ता के निर्माण के चलते टावरों को असुरक्षित घोषित किया गया। इसमें निवासियों की कोई गलती नहीं है। हम लगातार जिला प्रशासन और बिल्डर प्रबंधन से एक ही मांग रख रहे हैं कि हमारे फ्लैटों का पुनर्निर्माण करके दें और तब तक या तो वैकल्पिक फ्लैट की व्यवस्था हो या फिर फ्लैटों का किराया दिया जाए।
हम बिल्डर के दबाव में कौड़ियों के भाव में अपने फ्लैटों की सेटलमेंट नहीं करेंगे। यही मांग हमने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखी हुई है। यदि हमारे साथ कुछ भी दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी बिल्डर की होगी।
मनोज सिंह, निवासी, जी-टावर
हमने 2010-11 में ये फ्लैट खरीदे थे और अब मार्केट रेट डबल हो चुके हैं। हमारी एक ही मांग है कि समय-सीमा के भीतर हमारे फ्लैटों का पुनर्निर्माण करके दिया जाए। ये टावर असुरक्षित घोषित कर दिए गए हैं और एजेंसी ने भी टावरों की हालत को खतरनाक बताया है तो ऐसे में हमारे पुनर्वास की जिम्मेदारी बिल्डर प्रबंधन की है।
पुनीत बंसल, निवासी जी-टावर
जिन लोगों ने सेटलमेंट किया था, उनलोगों की यह किराए के तौर पर अतिरिक्त आय थी, ऐसे में उनकी आय बंद हो गई तो उन्होंने पैसे लेकर सेटलमेंट कर ली लेकिन हमारी स्थिति दूसरी है। यह हमारा रहनेवाला फ्लैट है। ऐसे में हमें हमारे फ्लैटों का पुनर्निर्माण और तब तक वैकल्पिक फ्लैट का किराया चाहिए।
अमित कुमार, निवासी
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