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    फिल्म '120 बहादुर' के विरोध में यदुवंशी समाज के लोगों ने की पंचायत, दिल्ली-जयपुर हाईवे पर लगाया जाम

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 03:45 AM (IST)

    मानेसर में फिल्म 120 बहादुर के विरोध में यदुवंशी समाज ने पंचायत की। फिल्म का नाम बदलने और रेजांग-ला युद्ध के इतिहास को सही ढंग से दिखाने की मांग की गई। ऐसा न होने पर 26 अक्टूबर को दिल्ली के लिए पैदल मार्च निकालने का निर्णय लिया गया। लोगों ने फिल्म में युद्ध के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया और खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर जाम लगा दिया।

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    फिल्म के विरोध में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर लगाया जाम

    जागरण संवाददाता, मानेसर। फिल्म 120 बहादुर के विरोध में रविवार को खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक अहीर रेजिमेंट धरना स्थल पर यदुवंशी समाज के लोगों ने पंचायत की। पंचायत में निर्णय लिया गया कि अगर फिल्म का नाम नहीं बदला जाता है और फिल्म में रेजांग-ला युद्ध के वीरों का इतिहास सही नहीं दिखाया जाता है तो 26 अक्टूबर को दिल्ली के लिए पैदल मार्च निकाला जाएगा। इसमें पूरा समाज एकजुट होकर भाग लेगा। साथ ही फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा।

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    पंचायत में मौजूद लोगों ने बताया कि फिल्म 120 बहादुर रेजांग-ला युद्ध पर आधारित है। इसमें युद्ध के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है। लोगों तक सच्चाई नहीं पहुंचाई जा रही है। इस फिल्म में रेजांग-ला युद्ध लड़ने वालों के स्वजन से बातचीत कर उनकी बात को भी रखना चाहिए।

    पंचायत के बाद वहां मौजूद लोगों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर खेड़कीदौला टोल पर जाम कर दिया। हालांकि, वहां मौजूद पुलिस बल ने कुछ ही मिनट में हाईवे को चालू करा दिया। लोगों ने कहा कि फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा पास नहीं करना चाहिए। जब तक मांगों को नहीं माना जाता है तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।

    अहीर रेजिमेंट मोर्चा के अरुण यादव, श्योचंद यादव, राव मान सिंह, सतीश नवादा, कैप्टन रामचंद्र, सूबेदार निहाल सिंह एवं रेजांग-ला युद्ध स्मारक समिति के संयोजक मेजर (डा.) टीसी राव का कहना है कि फिल्म 120 बहादुर का नाम 120 वीर अहीर किया जाना चाहिए। 1962 के युद्ध के दौरान रेजांग-ला पोस्ट की लड़ाई में 120 में से 114 जवान बलिदान हो गए थे। इनमें से 112 अहीर थे। उनमें से अधिकतर अहीरवाल के थे।

    रेजांग-ला युद्ध अहीरवाल के जवानों के शौर्य का प्रतीक है। अधिकतर बलिदान हो गए थे लेकिन दुश्मनों को पोस्ट पर कब्जा करने नहीं दिया था। यदि निर्माता व निर्देशक ने मांग नहीं मानी तो अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में नाम बदलने की मांग को लेकर याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली जाएगी।