दिल्ली-NCR में यहां नीचे ट्रेन तो ऊपर वाहन चलाने की योजना, जल्द रफ्तार भरते दिखाई देंगी गाड़ियां
गुरुग्राम में धौलाकुआं से मानेसर तक डबल डेकर कॉरिडोर बनाने की योजना है। इसमें नीचे ट्रेनें और ऊपर वाहन चलेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर विचार शुरू कर दिया है। यह कॉरिडोर दिल्ली-जयपुर हाईवे पर यातायात का दबाव कम करेगा। नागपुर मॉडल पर आधारित इस परियोजना में दिल्ली-अलवर आरआरटीएस कॉरिडोर को भी शामिल किया गया है।

आदित्य राज, गुरुग्राम। आने वाले समय में धौलाकुआं से मानेसर के बीच नीचे ट्रेन और ऊपर वाहन रफ्तार भरते दिखाई देंगे। यह संभव धौलाकुआं से मानेसर तक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर को डबल डेकर के हिसाब से विकसित करने से होगा।
इस कंसेप्ट के ऊपर प्रधानमंत्री कार्यालय ने विचार करना शुरू कर दिया है। कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ बैठक भी हो चुकी है। बैठक में इस बात पर सहमति बन चुकी है कि नागपुर की तर्ज पर आरआरटीएस कारिडोर को डबल डेकर के हिसाब से विकसित किया जा सकता है।
एनसीआर में दिल्ली-जयपुर हाईवे के धौलाकुआं से लेकर मानेसर तक के भाग पर ट्रैफिक दबाव काफी अधिक है। द्वारका एक्सप्रेसवे बनने के बाद भी दबाव बहुत कम नहीं हुआ है।
इसे देखते हुए धौलाकुआं से मानेसर तक के भाग को एलिवेटेड करने की मांग तेज हो चुकी है। स्थानीय सांसद व केंद्रीय योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह भी इस बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से चर्चा कर चुके हैं।
नितिन गडकरी के निर्देशानुसार एलिवेटेड करना कितना संभव है, इस बारे में पड़ताल की गई। पड़ताल में यह बात सामने आई कि हाईवे को एलिवेटेड करना संभव नहीं है क्योंकि दिल्ली-जयपुर हाईवे के साथ-साथ आने वाले समय में आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित होना है। यह कहीं भूमिगत तो कहीं एलिवेटेड होगा।
सूत्र बताते हैं कि एलिवेटेड करना संभव नहीं है, इस बारे में जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दी गई। इस पर कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी से चर्चा की।
चर्चा में नागपुर की तर्ज पर धौलाकुआं से मानेसर तक डबल डेकर हिसाब से सिस्टम विकसित किया जा सकता है, इस बारे में सहमति बनी। अंतर सिर्फ इतना होगा कि नागपुर में वाहन नीचे चलते हैं और ट्रेनें ऊपर चलती हैं जबकि धौलाकुआं से मानेसर के बीच ट्रेनें नीचे व वाहन ऊपर रफ्तार भरेंगे।
जहां कारिडोर भूमिगत होगा वहां पर भी नीचे ट्रेन व ऊपर वाहनों के चलने की सुविधा होगी। बताया जाता है कि इसी कंसेप्ट की वजह से दिल्ली से अलवर तक आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा में देरी हो रही है। डबल डेकर के हिसाब से कितना खर्च बैठेगा, इस बारे में बजट की व्यवस्था कर घोषणा की जाएगी।
तीन चरणों में होगा विकसित होगा आरआरटीएस कॉरिडोर
नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) द्वारा दिल्ली में सराय काले खां से राजस्थान में अलवर तक तीन चरणों में आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित किया जाना है। पहले चरण में दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराणा-बहरोड़) तक यानी 106 किलोमीटर कॉरिडोर विकसित किया जाएगा।
दूसरे चरण में बहरोड़ से सोतनाला तक एवं तीसरे व अंतिम चरण में सोतानाल से अलवर तक विकसित करने की योजना है। पहले साइबर सिटी के भीतर से होते हुए कॉरिडोर को विकसित करने की योजना थी लेकिन अब दिल्ली-जयपुर हाईवे के साथ-साथ ही कॉरिडोर विकसित किया जाएगा।
कॉरिडोर पर औसतन 100 व अधिकतम 160 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी। 10 मिनट के अंतराल पर ट्रेन की सुविधा उपलब्ध होगी। गुरुग्राम में इसे साइबर सिटी एवं हीरो होंडा चौक के नजदीक मेट्रो से जोड़ा जाएगा ताकि सुविधा का अधिक से अधिक लाभ लोग उठा सकें। दिल्ली-अलवर के बीच कुल 19 स्टेशन बनाने की योजना है।
कई तरह के कार्य हाे चुके हैं पूरे
आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू करने से पहले के कई कार्य पूरे हो चुके हैं। सबसे पहले मिट्टी की जांच आवश्यक होती है। यह कार्य तीन साल पहले ही पूरा हो चुका है। बिजली के टावर तक शिफ्ट किए जा चुके हैं। सीवर लाइन कहां है, पाइप लाइन कहां पर है, इस बारे में भी पूरी जानकारी हासिल की जा चुकी है।
आरआरटीएस कॉरिडोर को डबल डेकर के हिसाब से विकसित करने का कंसेप्ट बहुत बेहतर है। इसके अलावा दिल्ली-गुरुग्राम के बीच ट्रैफिक का दबाव कम करने का दूसरा कोई चारा भी नहीं है। डबल डेकर सुविधा होनी चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता है कि ट्रेनें नीचे चल रही हैं या गाड़ियां ऊपर। इसके ऊपर तेजी से काम शुरू कर देना चाहिए।
जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआइ व सेवानिवृत मुख्य अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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