अगस्त से शुरू हो जाएगा दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के कायाकल्प का काम, दो साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य
अगले महीने से दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के सुधार का काम शुरू होगा जिसे सीपी अरोड़ा इंजीनियर्स को सौंपा गया है। मानसून के बाद सड़क की मरम्मत और अगस्त में रेलिंग का काम शुरू होगा। एक्सप्रेसवे की हालत खराब है जिसे दो साल में सुधारने का लक्ष्य है। जलभराव से बचने के लिए सर्विस लेन को ऊंचा किया जाएगा। एनएचएआई नियमित रूप से निरीक्षण करेगा और लोगों से फीडबैक लेगा।

आदित्य राज, गुरुग्राम। अगले महीने से जमीनी स्तर पर दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के कायाकल्प का काम शुरू हो जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कायाकल्प करने की जिम्मेदारी सीपी अरोड़ा इंजीनियर्स कांट्रेक्टर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को सौंपी है। कंपनी को दो साल के भीतर सभी कार्य पूरे करने होंगे। सड़क की मरम्मत का कार्य मानसून के बाद शुरू होगा।
इससे पहले रेलिंग को दुरुस्त करने का काम शुरू किया जाएगा। बताया जाता है कि रेलिंग दुरुस्त करने काम जुलाई में ही काम शुरू होना था लेकिन कांवड़ यात्रा को देखते हुए अगस्त में काम शुरू किया जाएगा। कांवड़ यात्रा के दौरान एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ जाता है।
दिल्ली-जयपुर का धौलाकुआं से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक का हिस्सा एक्सप्रेसवे है। रखरखाव के ऊपर गंभीरता से ध्यान न दिए जाने के कारण इसकी पहचान बदहाल एक्सप्रेसवे के रूप में बन चुकी है। न रेलिंग दुरुस्त है, न एग्जिट व एंट्री ठीक है और न ही सड़क ही। अधिकतर लाइटें भी खराब हैं। हीरो होंडा चौक से खेड़कीदौला टोल प्लाजा की तरफ सर्विस लेन की हालत इतनी जर्जर है कि सही से पैदल भी नहीं चल सकते।
इन समस्याओं को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया। अब उसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देनेवाले हैं। टेंडर ओपन करने के बाद निर्माण की जिम्मेदारी सीपी अरोड़ा इंजीनियर्स कांट्रेक्टर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को सौंप दी गई है। कंपनी ने काम शुरू करने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इससे उम्मीद है कि अगस्त महीने से जमीनी स्तर पर काम शुरू हो जाएगा। दो साल के भीतर हर हाल में एक्सप्रेसवे का कायाकल्प करने का लक्ष्य रखा गया है।
सर्विस लेन को किया जाएगा ऊंचा
मानसून के दौरान ही नहीं बल्कि बाकी महीनों के दौरान भी कई बार नरसिंहपुर के आसपास दोनों तरफ नालों के ओवरफ्लो होने से सर्विस लेन पर पानी जमा हो जाता है। इसे देखते हुए दोनों तरफ सर्विस लेन को कुछ ऊंचा किया जाएगा। साथ ही दोनों तरफ आरएमसी (रेडी-मिक्स कंक्रीट) की सड़क बनाई जाएगी। इससे जलभराव के दौरान भी सड़क नहीं टूटेगी। ऊंचाई कितनी बढ़ाई जाएगी, यह निर्णय होना अभी बाकी है।
एनएचएआइ का कहना है कि इस तरह से काम किया जाएगा कि अगले कुछ वर्षों तक दिक्कत न आए। काम बेहतर हो इसके लिए एनएचएआइ के अधिकारी एक से दो दिन के अंतराल पर राउंड मारेंगे। यही नहीं एक्सप्रेसवे से गुजरने वाले लोगों से यह फीडबैक भी लिया जाएगा कि काम सही से हो रहा है या नहीं। रेलिंग इस तरह दुरुस्त किया जाएगा ताकि कहीं से भी कोई एक्सप्रेसवे पर न चढ़ सके। एग्जिट एवं एंट्री को इस तरह डिजाइन कर दिया जाएगा कि जिससे कोई रांग साइड आकर एक्सप्रेसवे पर न चढ़ सके। फिलहाल अधिकतर एग्जिट एवं एंट्री इस तरह है कि कहीं से भी एक्सप्रेसवे पर चढ़ा जा सकता है और कहीं से भी बाहर निकला जा सकता है।
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के ऊपर सबसे अधिक ट्रैफिक है। ऐसे में लगातार रखरखाव के ऊपर ध्यान रखने की आवश्यकता है। जैसे ही कोई समस्या आती है, उसका समाधान होना चाहिए। दो से चार दिन भी देरी करेंगे तो समस्या गंभीर हो जाएगी। इसके ऊपर एनएचएआइ को गंभीरता से विचार करना चाहिए। मरम्मत का कार्य किए जाने के दाैरान एक-दो अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए जो बारीकी से नजर रखें। इससे मरम्मत में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहेगी। - जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआई
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