Bulldozer Action: अरावली में अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई होगी तेज, जमकर गरजेगा प्रशासन का बुलडोजर
अरावली पर्वतमाला की सुरक्षा को लेकर हरियाणा सरकार ने अहम फैसला लिया है। सरकार ने अलग-अलग विभागों को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गैर मुमकिन पहाड़ी क्षेत्र की निगरानी का जिम्मा दिया गया है वहीं वन विभाग वन भूमि पर नजर रखेगा। अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्रवाई तेज की जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे अरावली क्षेत्र में बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

आदित्य राज, गुरुग्राम। जीवनदायिनी अरावली की सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार ने विशेष जिम्मेदारी तय कर दी है। गैर मुमकिन पहाड़ वाले क्षेत्र पर नजर रखने की विशेष जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की होगी।
क्षेत्र में घोषित वन भूमि पर नजर रखने की विशेष जिम्मेदारी वन विभाग की होगी। साथ अपने-अपने इलाके में नगर परिषद सोहना, नगर निगम गुरुग्राम एवं नगर निगम मानेसर की भी रहेगी। वैसे क्षेत्र के ऊपर नजर रखने की जिम्मेदारी कई विभागों की है।
प्रदेश सरकार का मानना है कि इससे बेहतर परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। विशेष रूप से किसी की जिम्मेदारी तय रहने पर उसके ऊपर बेहतर करने का दबाव रहेगा। माना जा रहा है कि जिम्मेदारी तय किए जाने के बाद क्षेत्र में बनाए गए अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्रवाई तेज होगी।
अब कार्रवाई करने के लिए कई विभागों के साथ तालमेल नहीं बैठाना पड़ेगा। सात मई 1992 को जारी अधिसूचना के मुताबिक अरावली पहाड़ी क्षेत्र में गैर वानिकी कार्य करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति लेने का प्रविधान है।
कैसे बन गए सैकड़ों फार्म हाउस?
इस प्रविधान के बाद भी क्षेत्र में बिना अनुमति के हजारों गैर वानिकी कार्य हो चुके हैं। इनमें सैकड़ों फार्म हाउस शामिल हैं। वन भूमि पर अवैघ रूप से रास्ते बना दिए गए हैं। अवैध रूप से बनाए गए फार्म हाउसों के साथ ही अन्य निर्माणों को ध्वस्त करने काम तेजी से चले और आगे से निर्माण न हो, इसके लिए क्षेत्र को दो कैटेगरी में बांटाकर विशेष जिम्मेदारी तय की गई है ताकि कार्रवाई करने को लेकर कोई बहानेबाजी न चल सके।
वन विभाग द्वारा अरावली में अवैध रूप से बनाए गए 90 फार्म हाउसों को नोटिस जारी किए 15 दिन से अधिक हो चुके हैं लेकिन आगे की कोई कार्रवाई नहीं। इससे पहले भी विभाग कई बार नाेटिस जारी कर चुका है।
पर्यावरण कार्यकर्ता व कृष्णा अरावली फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. केके यादव का कहना है कि अरावली पहाड़ी पर नजर रखने की जिम्मेदारी पूरे प्रशासन की है। विशेष जिम्मेदारी तय किए जाने से संबंधित विभागों के ऊपर बेहतर करने का दबाव रहेगा।
निर्णय बेहतर लिए जाते हैं, लेकिन आगे उसके ऊपर काम नहीं होता। जब सुप्रीम कोर्ट या एनजीटी में सुनवाई का समय आता है तो कागजी कार्यवाही शुरू की जाती है। दिखाने के लिए एक-दो जगह किसी फार्म हाउस की दीवार गिरा देते हैं। ईमानदारी से काम नहीं हो रहा है। पूरे प्रशासन द्वारा ध्यान दिए जाने के बाद भी गैर वानिकी कार्य रुकने का नाम नहीं।
दो कैटेगरी में जिम्मेदारी विशेष रूप से बांटने से फील्ड में काम बेहतर होगा। सभी अपने इलाके के ऊपर विशेष रूप से नजर रखेंगे। जो अवैध निर्माण हैं, उसे तोड़ने की जिम्मेदारी है और आगे निर्माण न हो, इसके ऊपर नजर रखनी होगी। जहां तक वन विभाग का सवाल है तो जहां पर भी वन भूमि पर या अरावली प्लांटेशन वाले इलाके में अवैध निर्माण हैं, उन्हें जल्द ही ध्वस्त किया जाएगा। इसके लिए प्लानिंग लगभग तैयार है।
- डॉ. सुभाष यादव, वन संरक्षक
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