गुरुग्राम में रामप्रस्था ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई, 827 करोड़ की संपत्तियां जब्त; मनी लॉन्ड्रिंग का है मामला
गुरुग्राम में प्रवर्तन निदेशालय ने रामप्रस्था प्रमोटर्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 255.28 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। यह कार्रवाई पीएमएलए 2002 के तहत की गई है। कंपनी पर आरोप है कि उसने हजारों फ्लैट खरीदारों से पैसे लेने के बावजूद उन्हें समय पर घर नहीं दिए। इस मामले में कंपनी के निदेशकों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और जांच अभी जारी है।

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने रामप्रस्था प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (आरपीडीपीएल) और इसके निदेशकों/समूह कंपनियों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है। बुधवार को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत अस्थायी कुर्की आदेश जारी करते हुए लगभग 255.28 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कीं।
ईडी की कार्रवाई में विभिन्न प्लाट, जमीन, आवासीय फ्लैट, वाणिज्यिक इमारतें शामिल हैं। इससे पहले भी ईडी ने इस मामले में बैंक खातों, चल-अचल संपत्तियों को फ्रीज किया था। कुल जब्त संपत्ति का आंकड़ा अब 827.49 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
ईडी की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) दिल्ली और हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआइआर पर आधारित है। आरोप है कि रामप्रस्था ग्रुप और इसके प्रमोटरों ने हजारों फ्लैट/प्लाट खरीदारों से पैसा लेने के बावजूद समय पर मकान या प्लाट नहीं दिए। 10-14 साल बीतने के बाद भी परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं।
जांच में सामने आया कि 2008 से 2011 के बीच कंपनी ने गुरुग्राम के सेक्टर 37डी, 92, 93 और 95 में प्रोजेक्ट एज, प्रोजेक्ट स्काईज, प्रोजेक्ट राइज और रामप्रस्थ सिटी जैसी योजनाएं लांच कीं। कंपनी ने 2600 से ज्यादा खरीदारों से करीब 1100 करोड़ रुपये वसूले लेकिन इस धन को वादे के मुताबिक मकान बनाने की बजाय समूह कंपनियों को जमीन खरीदने और अन्य कामों में एडवांस के रूप में ट्रांसफर कर दिया गया।
ईडी ने इसी मामले में 21 जुलाई को रामप्रस्था ग्रुप के निदेशक और बड़े शेयरधारक अरविंद वालिया और संदीप यादव को गिरफ्तार किया था। दोनों अभी न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी का कहना है कि आगे की जांच जारी है।
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