बिल्डर-बायर फ्रॉड मामले में रामप्रस्थ ग्रुप के दो निदेशकों को ईडी ने किया गिरफ्तार, 1100 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रामप्रस्थ ग्रुप के दो निदेशकों को बिल्डर-बायर धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया। कंपनी पर 2000 आवंटियों से 1100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। जांच में पता चला कि कंपनी ने कई परियोजनाओं के नाम पर एडवांस पेमेंट लिया लेकिन फ्लैट और प्लॉट का कब्जा नहीं दिया। ईडी ने पहले भी कंपनी की संपत्ति कुर्क की थी। पीड़ितों को अब न्याय की उम्मीद है।

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम। रियल एस्टेट सेक्टर की बड़ी कंपनियों में से एक रामप्रस्थ ग्रुप के दो निदेशकों संदीप यादव एवं अरविंद वालिया को बिल्डर-बायर फ्राड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया। कंपनी पर करीब 2,000 आवंटियों से 1100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रामप्रस्थ प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (आरपीडीपीएल) और इसकी समूह कंपनियों ने ‘प्रोजेक्ट एज, प्रोजेक्ट स्काईज, प्रोजेक्ट राइज और रामप्रस्थ सिटी (प्लाटेड कालोनी) जैसी परियोजनाओं के नाम पर लोगों से एडवांस पेमेंट लिया। 15 से 20 साल गुजर जाने के बाद भी न तो फ्लैट बनकर तैयार हुए और न ही खरीदारों को प्लाट का कब्जा सौंपा गया।
मामले में ईडी ने पिछले सोमवार को दिल्ली और गुरुग्राम में स्थित तीन प्रमुख ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक सबूत जुटाए गए। इसके बाद संदीप यादव और अरविंद वालिया को गिरफ्तार किया गया। दोनों पर खरीदारों से पैसे वसूलकर उनका गलत इस्तेमाल करने और वादे पूरे न करने के गंभीर आरोप हैं।
681 करोड़ की संपत्ति पहले ही कुर्क
ईडी ने 11 जुलाई को आरपीडीपीएल और इसकी समूह कंपनियों की 681.54 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। कुर्क की गई संपत्तियों में गुरुग्राम के सेक्टर 37डी, 92 और 95 में फैली दो बड़ी कालोनियां और बसई, गदौली कलां, हयातपुर तथा वजीरपुर गांवों की करीब 1,700 एकड़ जमीन शामिल है।
कई एफआईआर, सैकड़ों शिकायतें बनीं जांच का आधार
रामप्रस्थ ग्रुप के विरुद्ध दिल्ली और हरियाणा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लूए) में कई प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज हैं। इन शिकायतों में कहा गया है कि कंपनी के प्रमोटर्स ने हजारों घर खरीदारों से करोड़ों रुपये लिए लेकिन प्रोजेक्ट आज भी अधूरे हैं। न तो निर्माण पूरा हुआ और न ही कब्जा सौंपा गया।
खरीदार आज भी किराया और बैंक की ईएमआइ एक साथ भरने को मजबूर हैं। ईडी पूरे मामले में अब धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गहन जांच कर रही है। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि खरीदारों से प्राप्त रकम का किस तरह से दुरुपयोग किया गया और पैसे किस-किस माध्यम से निकाले गए। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में और लोग गिरफ्त में आ सकते हैं।
भविष्य अंधेरे में, परिवारों की उम्मीदें टूटीं
प्रभावित होम बायर्स वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं। कई खरीदारों ने अपने जीवन की पूरी जमा-पूंजी रामप्रस्थ की परियोजनाओं में लगा दी लेकिन उन्हें अब तक कोई समाधान नहीं मिला। न तो बिल्डर उनकी सुनवाई कर रहा है, न ही अब तक कोई पक्का समाधान सामने आया था। ईडी की इस बड़ी कार्रवाई के बाद अब लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
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