Gurugram Thar Accident: हादसे के बाद लगाए क्रैश टायर बैरिकेड, पहले रखे होते तो बच सकती थीं जानें
गुरुग्राम-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर झाड़सा एग्जिट के पास थार गाड़ी हादसे में पांच लोगों की जान चली गई। डिवाइडर पर क्रैश टायर बैरिकेड न होने से हादसा हुआ। ट्रैफिक पुलिस ने घटना के 24 घंटे के भीतर बैरिकेड लगवाए। हाईवे पर कई जगहों पर बैरिकेड नहीं लगे थे। विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रैश टायर बैरिकेड से हादसे का जोखिम कम होता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

विनय त्रिवेदी, गुरुग्राम। गुरुग्राम दिल्ली एक्सप्रेसवे पर झाड़सा एग्जिट के पास शनिवार सुबह डिवाइडर से टकराकर थार गाड़ी पलटने के मामले में गाड़ी चालक की गलती तो जरूर रही, लेकिन कहीं न कहीं इसमें एनएचएआइ और ट्रैफिक पुलिस की भी लापरवाही सामने आई है।
जिस डिवाइडर पर थार गाड़ी टकराई वहां पर क्रैश टायर बैरिकेड नहीं रखे थे। अगर टायर रखे होते तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता और पांचों जानें बचाई जा सकती थीं। ट्रैफिक पुलिस की तरफ से इस हादसे के 24 घंटे के भीतर ही इस एग्जिट डिवाइडर के पास क्रैश टायर बैरिकेड लगा दिए गए।
हर साल कोहरे के सीजन में ट्रैफिक पुलिस हाईवे के एंट्री और एग्जिट पर इस तरह के क्रैश टायर बैरिकेड लगाती रही है। इस साल भी 15 दिन पहले ट्रैफिक पुलिस ने हाईवे पर दुर्घटना संभावित जगहों पर इस तरह के बैरिकेड लगाने की योजना बनाई थी।
कुछ जगहों पर बैरिकेड रखवा भी दिए गए थे, लेकिन कई जगहों पर नहीं थे। रविवार को दैनिक जागरण के सीनियर रिपोर्टर विनय त्रिवेदी ने राजीव चौक से सिरहौल बार्डर और सिरहौल बार्डर से राजीव चौक तक दोनों तरफ हाईवे पर इसकी पड़ताल की। इस दौरान कई जगहों पर क्रैश टायर बैरिकेड नहीं लगे मिले।
गुरुग्राम से दिल्ली की तरफ
गुरुग्राम से दिल्ली की तरफ जाते समय झाड़सा से सेक्टर 31 एग्जिट, एमजी रोड फ्लाइओवर, एग्जिट 18 के पास डिवाइडर के आगे कोई टायर नहीं रखे थे। सेक्टर 16 बूस्टिंग स्टेशन के पास, सिरहौल अंडरपास के करीब दोनों तरफ ये टायर रखे मिले।
वहीं वन क्यूब बिल्डिंग के पास हाईवे पर टायर जरूर रखे मिले, लेकिन ये इनका कोई फायदा नहीं है। ये डिवाइडर से पीछे की तरफ थे। वहीं एग्जिट 18 के पास डिवाइडर पर जहां टायर रखने चाहिए वहां से 20 कदम दूर रखे गए थे, जहां इनकी कोई जरूरत नहीं है।
दिल्ली से गुरुग्राम की तरफ
दिल्ली से गुरुग्राम की तरफ एग्जिट 7 के पास, सिलोखरा गांव और राजीव चौक के पास ये डिवाइडर के आगे टायर नहीं मिले। वहीं झाड़सा एग्जिट के पास जहां शनिवार सुबह हादसा हुआ था, उस समय वहां कोई क्रैश टायर बैरिकेड नहीं थे। 24 घंटे के भीतर ही यहां पर ये बैरिकेड रखवा दिए गए।
हादसे में पांच की हुई थी मौत
शनिवार सुबह झाड़सा एग्जिट के पास इस दर्दनाक हादसे में थार गाड़ी सवार छह में से पांच लोगों आगरा के आदित्य प्रताप सिंह, सोनीपत के गौतम सिंह, रायबरेली की प्रतिष्ठा मिश्रा, आगरा की लवण्या पाल और दिल्ली के ग्रेटर कैलाश की अदिति सोनी उर्फ ज्योति की मौत हो गई थी।
वहीं एक अन्य युवक बुलंदशहर के कपिल शर्मा अभी भी मेदांता अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। फिलहाल उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वह बातचीत कर रहे हैं। कपिल के पिता अरुण स्वरूप शर्मा ने बताया कि आदित्य और कपिल दोस्त थे।
कपिल इस समय नोएडा की इन्फोसिस कंपनी में काम कर रहे थे। वह काम के साथ अलीगढ़ से एलएलबी भी कर रहे थे। अरुण स्वरूप शर्मा यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं और इस समय बिजनौर जिले में तैनात हैं।
हादसे की गहनता से जांच कर रही पुलिस
पुलिस की जांच के अनुसार वैसे तो इस हादसे की वजह तेज रफ्तार रही। जिस समय यह हादसा हुआ, उस समय गाड़ी की रफ्तार सौ किलोमीटर प्रति घंटे की थी। लेकिन यह भी मानना है कि अगर यहां क्रैश टायर बैरिकेड रखे होते तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
सेक्टर 40 पुलिस टीम इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। हाईवे पर लगे अन्य सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाली जा रही है। यह भी देख जा रहा है कि जहां घटना हुई वहां से इबोला क्लब करीब दो किलोमीटर दूर है।
झाड़सा एग्जिट और इबोला के बीच भी सिलोखरा के पास दिल्ली के लिए यू-टर्न है। लेकिन वह यू-टर्न को छोड़कर आगे झाड़सा की तरफ क्यों आए थे, इस बारे में भी जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि अगर उन्हें सौ मीटर बाद एक्सप्रेसवे से नीचे उतरना ही था तो गाड़ी एक्सप्रेसवे पर चढ़ाई ही क्यों थी।
हादसे के जोखिम को कम करते हैं क्रैश टायर बैरिकेड
विशेषज्ञों का मानना है कि डिवाइडर के पास रखे जाने वाले क्रैश टायर बैरिकेड हादसे में होने वाले जोखिम को काफी हद तक कम करते हैं। अगर कोई गाड़ी 50 या 60 की स्पीड से इसमें टकराती है तो जानी नुकसान शून्य तक होता है।
वहीं अगर इससे ज्यादा रफ्तार है तो जानी नुकसान हो सकता है, लेकिन उसमें भी आशंका कम ही है। यह भी मानना है कि जब गाड़ी की स्पीड सौ से ज्यादा होती तो यह बैरिकेड काम कर सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना कम होती है। हालांकि, जानी नुकसान तब भी कम होता है।
सीएसआर के तहत रखे जाते हैं बैरिकेड
ट्रैफिक पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि हर साल कोहरे के सीजन में सीएसआर के तहत क्रैश टायर बैरिकेड रखे जाते हैं। इस साल भी 15 दिनों से काम चल रहा था। जैसे-जैसे कंपनियों उन्हें सामान मुहैया करा रही थीं, उसी तरह टायर बैरिकेड लगाए जा रहे थे।
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की एक भी एंट्री व एग्जिट सही नहीं है। इसके ऊपर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। जहां पर हादसा हुआ है वहां कुछ ही मीटर की दूरी पर एग्जिट और एंट्री है। ऐसे में हादसा होने की आशंका हर पल बनी रहती है। इस एक्सप्रेसवे के ऊपर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से काफी काम करने की आवश्यकता है।
- जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआई
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