मानेसर के चार गांवों को कृषि जोन से बाहर करने की मांग, ग्रामीणों ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को लिखा पत्र
मानेसर के चार गांवों के ग्रामीणों ने कृषि क्षेत्र से बाहर करने की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को पत्र लिखकर इस मामले में हस ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मानेसर। दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित पचगांव चौक से जमालपुर के बीच बसे चार गांवों की जमीन पर 2004 में कृषि जोन लगा दिया गया था। इस जोन में शामिल जमीन में कृषि के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। ग्रामीण अपनी जमीन को कृषि जोन से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। कई बार ग्रामीणों ने मंत्रियों और नेताओं को पत्र लिखे हैं।
अब फिर ग्रामीणों की तरफ से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और पटौदी विधायक बिमला चौधरी को पत्र लिखकर मांग की है। किसानों का कहना है कि जमालपुर रोड पर गांव मोकलवास, खरखड़ी, पुखरपुर और बासलांबी को 2004 में कृषि जोन में शामिल किया गया था। उस समय जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था लेकिन किसानों के विरोध के बाद इन गांवों की जमीन को कृषि जोन में शामिल कर दिया था।
इससे इन गांवों की जमीन में केवल कृषि से संबंधित कार्य ही किए जा सकते हैं। यहां किसी भी प्रकार के व्यवसायिक कार्य या वेयरहाउस को मंजूरी नहीं मिल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इन गांवों के आसपास के गांवों में बड़े वेयरहाउस बन गए हैं लेकिन इन गांवों में कृषि का कार्य ही किया जा रहा है। आसपास के गांवों की जमीन की कीमत भी करोड़ों रुपये में पहुंच गई है लेकिन इन गांवों में अभी लाखों रुपये में ही जमीन मिल जाती है।
किसानों का कहना है कि इन गांवों को कृषि जोन से हटाया जाना चाहिए ताकि इन गांवों में भी विकास हो सके। ये चारों गांव आइएमटी मानेसर के नजदीक हैं और केएमपी एक्सप्रेस वे भी यहीं से निकलता है। इसके बाद भी यहां किसी प्रकार के व्यवसायिक कार्य नहीं हो रहे हैं। इन चारों गांवों की जमीन के नजदीक ही आइएमटी मानेसर का दूसरा भाग तैयार हो रहा है। इसके बाद भी यहां से कृषि जोन नहीं हटाया जा रहा है। इस बारे में मानेसर के एसडीएम दर्शन यादव का कहना है कि इन गांवों की मांग को सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
आइएमटी मानेसर के नजदीक के सभी गांवों में काफी विकास हो चुका है। रोजगार के साधन भी उपलब्ध होने लगे हैं लेकिन इन गांवों में कुछ नहीं हो रहा है। इन चारों गांवों को कृषि जोन से बाहर निकाला जाना चाहिए ताकि यहां के लोग भी अपनी जमीन पर व्यावसायिक कार्य कर सकें।
सतीश यादव, खरखड़ी
बिलासपुर, जमालपुर, मानेसर और पचगांव के दूसरी तरफ सभी गांवों में निजी उद्योग लग चुके हैं। सभी गांवों के लोग संपन्न होने लगे हैं। हमारे गांवों को कृषि जोन में डालकर किसानों पर ऊपर बोझ डाल दिया गया है। यहां किसी भी कार्य को मंजूरी नहीं मिल रही है। इन गांवों को कृषि जोन को हटाया जाना चाहिए।
मनोज चेयरमैन, मोकलवास
इन चारों गांवों की जमीन को 2004 में कृषि जोन के शामिल किया गया था। उस समय से इन गांवों में केवल कृषि से संबंधित कार्य ही किए जा रहे हैं। अन्य कार्यों को मंजूरी मिलने से यहां वेयरहाउस या अन्य व्यवसायिक कार्य किए जा सकेंगे।
वेद प्रकाश
पचगांव चौक से जमालपुर तक बनी सड़क किनारे बसे चार गांवों को कृषि जोन में शामिल किया गया है। इन गांवों कृषि से अलावा किसी अन्य कार्य को मंजूरी नहीं मिल रही है। आसपास के गांवों में लोगों के पास रोजगार के साधन उपलब्ध हो गए हैं। यहां कृषि जोन को हटाना चाहिए।
रवि यादव, बास लांबी

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