गुरुग्राम में ओसियन सेवन बिल्डटेक पर नरमी से खरीदारों में गुस्सा, हरियाणा RERA पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप
हरियाणा रेरा ने ओसियन सेवन बिल्डटेक के गुरुग्राम स्थित प्रोजेक्ट एक्सप्रेसवे टावर्स के खिलाफ महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं, जिसमें बैंक खातों को सील करने और तीसरे पक्ष को अधिकार न देने के निर्देश शामिल हैं। लाइसेंस और पंजीकरण की अवधि समाप्त होने के बावजूद प्रोजेक्ट अधूरा है, जिससे खरीदारों में रोष है। बिल्डर पर धन गबन और धोखाधड़ी के आरोप हैं, और खरीदारों ने रेरा की दोहरी नीति पर सवाल उठाए हैं।

माहिरा बिल्डर पर सख्ती, पर ओसियन सेवन पर हरेरा की चुप्पी ने उठाए सवाल।
जागरण संवाददाता, नया गुरुग्राम। हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम ने ओसियन सेवन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड के गुरुग्राम स्थित सेक्टर-109 प्रोजेक्ट एक्सप्रेसवे टावर्स से जुड़ी याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए बैंक खातों को सील रखने और परियोजना पर तीसरे पक्ष को कोई अधिकार न देने के आदेश जारी किए हैं। परंतु हरेरा ने न तो बिल्डर का पंजीकरण रद्द किया और न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई की। इस ढिलाई से सैकड़ों खरीदारों में गहरा रोष है।
हरेरा के आदेश में कहा गया है कि प्रोजेक्ट का लाइसेंस 31 मई 2021 को समाप्त हो चुका है और पंजीकरण की वैधता अप्रैल 2022 तक थी। इसके बावजूद निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। हरेरा को मिली शिकायतों में खरीदारों ने आरोप लगाया कि ओसियन सेवन ने लोगों से मकानों के नाम पर करोड़ों रुपये वसूल लिए लेकिन प्रोजेक्ट पूरी नहीं किया।
विकास शुल्क जमा नहीं कराया और जरूरी प्रगति रिपोर्टें भी नहीं दी। फरवरी 2023 में हरेरा ने बिल्डर के खातों को सील करने और वित्तीय जांच कराने के आदेश दिए थे। लेकिन ओसियन सेवन ने बार-बार आदेशों की अनदेखी की।
दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी ने हरेरा अथाॅरिटी और जांच दल को जरूरी ब्योरा नहीं सौंपा। इसी बीच हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय ने ओसियन सेवन बिल्डटेक और इसके प्रबंध निदेशक स्वराज सिंह के विरद्ध धन गबन, फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी के मामलों में दो एफआईआर दर्ज की हैं।
खरीदारों का आरोप–हरेरा की नीति दोहरी
एक्सप्रेसवे टावर्स के आवंटी राजबीर सिंह का कहना है कि हरेरा गुरुग्राम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां एक ओर माहिरा बिल्डटेक पर कड़ी कार्रवाई की गई, वहीं ओएसबी के विरुद्ध गंभीर शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
यह दोहरे मापदंड न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर आघात है। हम खरीदार मांग करते हैं कि हरियाणा सरकार और सीवीसी इसकी निष्पक्ष जांच करवाएं ताकि पारदर्शिता और समान न्याय सुनिश्चित हो सके।
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यह आदेश माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार उसके स्वतः संज्ञान मामले के निपटारे के लिए पारित किया गया है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हरेरा द्वारा लाइसेंस रद्द करना एक अपूरणीय स्थिति उत्पन्न करेगा, जो उचित नहीं होगा। वर्तमान में प्रमोटर के विरुद्ध तीन एफआईआर दर्ज हैं, इसलिए हरेरा को इस मामले में और कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। यदि भविष्य में टाउन प्लानिंग निदेशालय लाइसेंस बहाल करता है और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है तो हरेरा उसमें बाधा नहीं बनेगा। हरेरा का आदेश कानून के अनुसार है, भावनाओं के आधार पर नहीं लिया गया है।
-अरुण झा, चेयरमैन, हरेरा

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