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    सिपाही ने पहचाना नहीं, कमरा नंबर-24 में भेजा..., डिजिटल अरेस्ट का पीड़ित बनकर गुरुग्राम थाना पहुंचे डीजीपी

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 10:57 PM (IST)

    हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह अचानक गुरुग्राम के साइबर थाने पहुंचे, जहाँ उन्होंने एक आम नागरिक की तरह डिजिटल अरेस्ट की शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया। उन्होंने थाने में पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया और साइबर अपराधों से निपटने के लिए पुलिस की तैयारियों का निरीक्षण किया। डीजीपी ने साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पीड़ितों को त्वरित राहत दिलाने पर जोर दिया।

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    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। डिजिटल अरेस्ट पीड़ित बनकर नीली जैकेट में हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह सोमवार शाम करीब साढ़े चार बजे निजी कार से गुरुग्राम के साइबर थाना पूर्वी पहुंचे। यहां गेट पर तैनात संतरी ने उन्हें नहीं पहचाना।

    जब डीजीपी ने कहा कि मुकदमा दर्ज कराना है तो संतरी ने उन्हें सेकेंड फ्लोर पर ड्यूटी ऑफिसर के कमरा नंबर-24 में भेज दिया। शिकायतकर्ता बनकर थाने का औचक निरीक्षण करने की जानकारी डीजीपी ने स्वयं अपने इंटरनेट मीडिया हैंडल एक्स पर साझा की।

    डीजीपी ओपी सिंह ने लिखा कि जब मैं साइबर थाना गुरुग्राम में डिजिटल अरेस्ट का मुकदमा दर्ज कराने निजी कार से पहुंचा। गेट के सिपाही ने नहीं पहचाना। जब मैंने कहा कि मुकदमा दर्ज कराना है तो बोला कि ड्यूटी ऑफिसर सेकेंड फ्लोर पर कमरा नंबर 24 में हैं।

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    वहां वो एक शिकायतकर्ता के काम में लगा था। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया। इस वीडियो को शायद वह खुद बना रहे हैं। उनके ड्यूटी ऑफिसर के कमरे में घुसते ही पुलिसकर्मी खड़े हो गए तो डीजीपी हंसने लगे। उन्होंने पूछा-पहचान गए मुझे? औचक निरीक्षण के दौरान डीजीपी ने आम नागरिक को मिलने वाली वास्तविक प्रक्रिया, व्यवहार और सहायता की गुणवत्ता का जमीनी स्तर पर आकलन किया।

    डीजीपी के औचक निरीक्षण की जानकारी मिलने पर थोड़ी ही देर में पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा, क्षेत्र के डीसीपी, एसीपी, एसएचओ, डीए एक-एक कर पहुंचें। इस दौरान डीजीपी की अधिकारियों से लंबी वार्ता हुई।

    साइबर अपराधों पर कार्रवाई करने का दिया आदेश

    निरीक्षण के बाद डीजीपी ने साइबर अपराधों से बचाव, पीड़ितों को त्वरित राहत दिलाने और समाज को अधिक जागरूक बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस साइबर अपराधों की बदलती चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार ठोस, प्रभावी और नवाचारी रणनीति अपना रही है। डीजीपी ने बताया कि छोटी राशियों के फ्रीज होने पर पीड़ितों को आर्थिक राहत तेजी से उपलब्ध करवाने के लिए पुलिस लोक अदालत की मदद लेगी, ताकि उन्हें बिना देरी रकम की वापसी मिल सके।

    साइबर फ्राड में बैंक की लापरवाही, भरपाई की जिम्मेदारी बैंक पर

    डीजीपी ने इस दौरान स्पष्ट किया कि यदि किसी साइबर ठगी में बैंक की ओर से लापरवाही सामने आती है तो पीड़ित को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई का दायित्व बैंक पर रहेगा। यह पीड़ितों के अधिकारों की एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है। समाज को साइबर सुरक्षित बनाने के लिए डीजीपी ने कहा कि जागरूकता को अभियान स्तर पर ले जाया जाएगा।

    इंटरनेट मीडिया, सामुदायिक कार्यक्रमों, और राज्यव्यापी अभियानों के साथ स्कूल और कालेजों में हेड स्टूडेंट्स की विशेष टीमें गठित की जाएंगी, जिन्हें साइबर अवेयरनेस एंबेसडर बनाया जाएगा। ये एंबेसडर अपने संस्थानों में साथियों को साइबर अपराधों से बचाव की जानकारी देंगे।

    डीजीपी का जनता के नाम संदेश-सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

    डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि अधिकांश साइबर अपराध भय और लालच का लाभ उठाकर किए जाते हैं। कोई व्यक्ति आपको कमाई, इनाम, डर या किसी भी प्रकार के दबाव में पैसे भेजने को कहे तो समझ लें कि आप साइबर ठग के निशाने पर हैं। सावधानी ही सुरक्षा है।

    उन्होंने नागरिकों से अपील की कि किसी भी संदिग्ध काल, लिंक, एप या प्रस्ताव पर तुरंत सतर्क हों और आवश्यकता पड़ने पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं। उन्होंने आश्वस्त किया कि हरियाणा पुलिस साइबर अपराधों से निपटने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है। पीड़ितों को न्याय, थानों की तकनीकी क्षमता को मजबूती और पूरे प्रदेश में डिजिटल सुरक्षा करने की दिशा में निरंतर प्रयास जारी रहेंगे।

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