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    गुड़गांव से गुरुग्राम : 60 साल का सफर, चार कॉलोनियों से ग्लोबल सिटी तक; मारुति ने बदली पहचान

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 02:15 PM (IST)

    गुड़गांव, जो कभी कुछ कालोनियों तक सीमित था, आज गुरुग्राम के नाम से विश्व मानचित्र पर छाया है। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद, यह कस्बा अंतरराष्ट्रीय साइबर सिटी बन गया। पिछले 60 वर्षों में, इसने ग्रामीण पहचान से महानगर का रूप लिया और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मारुति उद्योग की स्थापना और आईटी सेक्टर के विस्तार ने इसे नई दिशा दी। 2016 में नाम बदलकर गुरुग्राम किया गया, जो आधुनिकता के साथ विरासत का प्रतीक है।

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    ग्रामीण पहचान से निकलकर दुनिया के नक्शे पर गुरुग्राम के नाम से चमक रहा शहर।

    महावीर यादव, बादशाहपुर (गुरुग्राम)। कभी कुछ चुनिंदा कॉलोनियों और खेत-खलिहानों तक सीमित गुड़गांव आज देश नहीं, बल्कि दुनिया के नक्शे पर गुरुग्राम के नाम से चमक रहा है। 1966 में हरियाणा राज्य के गठन के साथ यह छोटा-सा कस्बा अब अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साइबर सिटी बन चुका है। पिछले 60 वर्षों में गुड़गांव ने ग्रामीण पहचान से निकलकर एक ऐसे महानगर का रूप लिया। जो देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है।

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    1966 में जब हरियाणा बना। तब गुड़गांव एक शांत, कृषि प्रधान क्षेत्र था। शहर की पहचान चार-पांच मशहूर कॉलोनियों तक ही सीमित थी। सिविल लाइन, जैकबपुरा, रेलवे रोड, अर्जुन नगर और भीमनगर। तब न कोई ऊंची इमारत थी, न चौड़ी सड़कें। उद्योग नगरी का सपना भी दूर-दूर तक नहीं था। मगर 1970 के दशक के आखिर में मारुति उद्योग लिमिटेड की स्थापना ने इस क्षेत्र का चेहरा बदल दिया। इसके साथ ही रोजगार, व्यापार और विकास के नए रास्ते खुले।

    1990 के दशक में जब आइटी और बीपीओ सेक्टर का विस्तार हुआ, तब गुड़गांव ने खुद को नई दिशा में ढाल लिया। निजी बिल्डरों ने बड़े पैमाने पर रिहायशी और कर्पोरेट प्रोजेक्ट शुरू किए। डीएलएफ सिटी, साउथ सिटी, सोहना रोड, और गोल्फ कोर्स रोड जैसे इलाकों ने गुड़गांव को आधुनिक पहचान दी। शहर ने न सिर्फ हरियाणा की अर्थव्यवस्था को गति दी, बल्कि दिल्ली-एनसीआर का सबसे तेजी से बढ़ता शहरी क्षेत्र बन गया।

    2016 में गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम रख दिया गया। शहर के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को सम्मान देते हुए। माना जाता है कि यह भूमि गुरु द्रोणाचार्य की तपोभूमि रही है। जहां से गुरुग्राम नाम पड़ा। इस बदलाव ने शहर की विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ा।

    आज गुरुग्राम में देश-विदेश की 250 से अधिक फार्च्यून 500 कंपनियों के कार्यालय हैं। साइबर सिटी, गोल्फ कोर्स रोड, एमजी रोड और सेक्टर-29 जैसे क्षेत्र विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस हैं। 40 लाख से अधिक आबादी वाला यह शहर अब हरियाणा की आर्थिक राजधानी बन चुका है। मेट्रो, रैपिड रेल, एक्सप्रेसवे और ग्लोबल स्कूलों ने इसे भविष्य की स्मार्ट सिटी की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।

    विकास के साथ चुनौतियां भी हैं। ट्रैफिक, प्रदूषण, जलभराव और असमान विकास की तस्वीरें अब भी दिखाई देती हैं। फिर भी 1966 के एक साधारण कस्बे से 2025 के अंतरराष्ट्रीय शहर तक का यह सफर हरियाणा की विकासगाथा का प्रतीक बन गया है।

    संयुक्त पंजाब में इस क्षेत्र की हमेशा ही उपेक्षा रहती थी। अलग प्रदेश बनने के बाद हरियाणा ने अपनी अलग पहचान बनाई। प्रदेश को यह पहचान दिलाने में गुरुग्राम की सबसे अग्रणी भूमिका रही। चाहे आईटी सेक्टर हो चाहे, आटोमोबाइल की बात हो। गुरुग्राम हर क्षेत्र में अब प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में विकसित हो रहा है। - पवन यादव, संरक्षक, आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, मानेसर

    गुरुग्राम ने हरियाणा को नई पहचान दी है। आईटी, आटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी से विकास ने इसे प्रदेश की आर्थिक राजधानी बना दिया है। यहां के उद्योग, प्रतिभा और बुनियादी ढांचे ने हरियाणा को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया है। आज अंर्तराष्ट्रीय स्तर का शहर बन गया। - सुमित राव, अध्यक्ष, गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन

    हरियाणा की तरक्की की पहचान अब गुरुग्राम से जुड़ गई है। उद्योग, आइटी, स्टार्टअप्स और रियल एस्टेट के क्षेत्र में हुई प्रगति ने इसे प्रदेश की आर्थिक राजधानी बना दिया है। यहां का आधुनिक बुनियादी ढांचा, विश्वस्तरीय निवेश माहौल और युवा ऊर्जा हरियाणा को नई दिशा दे रहे हैं। गुरुग्राम न केवल विकास का केंद्र है, बल्कि हरियाणा की वैश्विक पहचान का प्रतीक भी बन चुका है। - अशोक कुमार जौनापुरिया, सीईओ व प्रबंधक निदेशक, एसएस ग्रुप