गुरुग्राम और मानेसर की एयर क्वालिटी बेहद खराब, प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन
गुरुग्राम और मानेसर में वायु गुणवत्ता खराब है, एक्यूआई 360 दर्ज हुआ। धूल और धुएं से प्रदूषण बढ़ा है। चिकित्सकों ने बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। सड़कों पर धूल नियंत्रण के उपाय कम हैं और निर्माण स्थलों पर नियमों का पालन नहीं हो रहा। प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ रही हैं।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। गुरुग्राम और मानेसर में मंगलवार को हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 360 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में शामिल है। धूल, धुएं और औद्योगिक गतिविधियों से बढ़े प्रदूषण के कारण पूरे क्षेत्र में सुबह के समय धुंधली परत छाई रही। हालांकि गुरुग्राम शहर में सुबह आठ बजे एक्यूआई 342 रिकाॅर्ड किया गया।
प्रदूषण बढ़ने के साथ सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी शिकायतों में तेजी आई है। चिकित्सकों ने बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों को बाहरी गतिविधियों से बचने की सलाह दी है। विशेषज्ञों के अनुसार हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है, जो फेफड़ों के लिए सबसे खतरनाक माने जाते हैं।
दोपहर में हवा चलने के बाद स्माग छंट गया और आसमान साफ हो गया। लेकिन हवा की खराब श्रेणी की रही। वर्षा होने या तेज हवा चलने से ही प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है।
सड़कों पर उड़ रही धूल
इन दिनों सड़कों पर धूल नियंत्रण उपाय न के बराबर किए जा रहे हैं। एनएच-48, आईएमटी मानेसर और आसपास के सेक्टरों की आंतरिक सड़कों पर धूल उड़ती रही। कई निर्माण स्थलों पर भी कवरिंग, पानी छिड़काव और अपशिष्ट प्रबंधन के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं पाया गया।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने औद्योगिक इकाइयों की जांच तेज कर दी है और कचरा जलाने, खुले में सामग्री रखने तथा कूड़ा जलाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी जारी की है। अधिकारियों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए पानी छिड़काव, सफाई अभियान और निर्माण स्थलों की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदूषण से स्वास्थ्य को हो रहा नुकसान
- सांस फूलना, खांसी और गले में सूजन की शिकायतें बढ़ी।
- आंखों में जलन, पानी आना और एलर्जी के मामलों में आई तेजी।
- अस्थमा रोगियों के लिए खतरा कई गुना बढ़ा।
- बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों की क्षमता पर असर।
- लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से हृदय रोग का जोखिम बढ़ा।
प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण
- औद्योगिक क्षेत्रों में धुआं।
- रात में कचरा और औद्योगिक वेस्ट का जलना।
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण में लापरवाही।
- सड़क किनारे जमा मलबा और कचरा।
- हवा की रफ्तार कम होने से वातावरण में जमा धुआं और धूल।
एक्यूआई स्तर श्रेणी प्रभाव
- 0–50 अच्छा कोई प्रभाव नहीं
- 51–100 संतोषजनक मामूली असुविधा
- 101–200 मध्यम संवेदनशील लोगों को समस्या
- 201–300 खराब आंखों और सांस में परेशानी
- 301–400 बहुत खराब फेफड़ों पर गंभीर असर
- 401–500 गंभीर आपात जैसी स्थिति
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