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    गुरुग्राम नगर निगम के 10 अधिकारियों को चार्जशीट करने का आदेश, निगमायुक्त को दिया 7 दिन का वक्त

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 10:01 AM (IST)

    गुरुग्राम में बंधवाड़ी लैंडफिल पर कूड़ा निस्तारण का टेंडर बिना मंजूरी के देने के मामले में दस से ज्यादा अधिकारियों पर चार्जशीट की कार्रवाई होगी। शहरी ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। बंधवाड़ी लैंडफिल पर कूड़ा निस्तारण का टेंडर बिना मुख्यालय की मंजूरी के एजेंसियों को सौंपने के मामले में दस से ज्यादा अधिकारियों पर चार्जशीट की कार्रवाई होगी। इसको लेकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग मुख्यालय ने नगर निगम आयुक्त गुरुग्राम को पत्र भेजकर सात दिन के भीतर चार्जशीट की काॅपी भेजने के आदेश दिए हैं।

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    चार्जशीट की कार्रवाई जिन अधिकारियों पर करने के लिए कहा गया है, उनमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर मनोज यादव, तत्कालीन एसई विकास यादव, सीएमओ डाॅ. आशीष सिंगला, तत्कालीन एक्सईएन निजेश कुमार, एसडीओ आरके मोंगिया, अकाउंट आफिसर सुनील कुमार, तत्कालीन डीआरओ विजय यादव, जेई सरजीत कुमार, कंसल्टेंट ओपी गोयल और राजीव कुमार शामिल हैं।

    इस संबंध में निगमायुक्त प्रदीप दहिया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। 4 दिसंबर को पत्र में कहा गया है कि सात जुलाई 2025 को भेजे गए पत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि बंधवाड़ी पर 5.0 लाख मीट्रिक टन लेगेसी वेस्ट (फेज-5), 5.0 लाख मीट्रिक टन (फेज-6) और 4.0 लाख एमटी (फेज-7) के रिमेडिएशन कार्य प्रशासनिक मंजूरी के बिना कैसे शुरू किए गए, इसकी जिम्मेदारी तय की जाए।

    इसके लिए निगम को जेई से लेकर कंसल्टेंट तक के विरुद्ध जारी चार्जशीट की प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन महीनों बाद भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। यह टेंडर 2024 में एजेंसियों को सौंपा गया था।

    चार महीने में भी नहीं दिया जवाब

    सख्ती करते हुए शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अब एक और पत्र जारी कर दिया, जिसमें साफ निर्देश दिया गया कि लगभग चार माह की देरी गंभीर लापरवाही है और सरकार इसे अत्यंत चिंताजनक मान रही है।

    नए पत्र में पूर्व मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, कार्यकारी अभियंता, मेडिकल अधिकारी, अकाउंट ऑफिसर एवं अन्य अधिकारियों के विरुद्ध हरियाणा सिविल सर्विसेज (शिकायत एवं अपील) नियम-2016 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

    आरोपपत्र नहीं भेजे तो होगी कार्रवाई

    पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय में आरोप-पत्रों की प्रतियां नहीं भेजी गईं, तो इसे गैर-अनुपालन माना जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय होगी। साथ ही मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में तत्काल लाया जाएगा।

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