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    गुरुग्राम में ईडी की छापामारी, मौके से 33 लाख कैश और कई डिजिटल उपकरण बरामद

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 01:05 PM (IST)

    गुरुग्राम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कृष फ्लोरेंस एस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़े धन शोधन मामले में छापामारी की। इस दौरान 33 लाख रुपये की नकदी और डिजिटल ...और पढ़ें

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    गौरव सिंगला, नया गुरुग्राम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्रामजोनल कार्यालय की टीम ने दिल्ली-एनसीआर में धन शोधन के एक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए छापामारी की है। यह कार्रवाई मेसर्स एंगल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, रेजोल्यूशन प्रोफेशनल और नौसेवा बिल्डवेल एलएलपी व उसके पार्टनर्स के विरुद्ध की गई है।

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    वहीं, छापामारी में 33 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं। जांच एजेंसी को कारपोरेट देनदार (कारपोरेट डेब्टर) की सीआइआरपी (कारपोरेट इनसाल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस) प्रक्रिया के दौरान आपसी मिलीभगत के सबूत मिले हैं।

    ईडी ने यह जांच गुरुग्राम पुलिस और दिल्ली की आर्थिक अपराधशाखा (ईओडब्लू) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। आरोप है कि गुरुग्राम के सेक्टर-70 स्थित कृषफ्लोरेंसएस्टेट नामक प्रोजेक्ट में फ्लैटखरीदारों को लंबे समय से फ्लैट नहीं दिए गए। यह प्रोजेक्ट 14 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाना था। जांच में सामने आया है कि यह प्रोजेक्ट पिछले 10 वर्षों से अधूरा पड़ा है। केवल तीनटावर बनाए गए, वह भी पूरे नहीं हो सके। इससे परेशान होकर होमबायर्स एसोसिएशन को मजबूरन दिवाला प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी।

    इस मामले में धोखाधड़ी का मुख्य लाभार्थी और प्रमुख प्रमोटर अमित कात्याल को पहले ही 17 नवंबर 2025 को गिरफ्तार किया जा चुका है। उसके डिजिटल उपकरणों की जांच में सीआइआरपी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे रेजोल्यूशनप्रोफेशनल के साथ मिलीभगत के सबूत मिले हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की गई।

    सीआईआरपी से पहले दो एकड़ जमीन को केवल 31 करोड़ रुपये में एमओयू के जरिए बेच दिया गया, जबकि सीआईआरपी के दौरान किए गए मूल्यांकन में इस जमीन की वास्तविक कीमत करीब 160 करोड़ रुपये पाई गई। छापामारी में यह भी खुलासा हुआ है कि होमबायर्स पर दबाव डाला गया कि वे पुलिस में दर्ज शिकायतें वापस लें, तभी समाधान प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। एक दशक से अधिक समय से परेशान होमबायर्स के पास कोई और विकल्प नहीं था, जिससे समाधान प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।

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    इसके अलावा रेजोल्यूशनप्रोफेशनल के परिसर से ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि गोपनीय जानकारी सीधे आरोपी प्रमोटरों के साथ साझा की गई। ये दस्तावेज एनसीएलटी में दाखिल की गई अवॉयडेंसएप्लिकेशनों के बिल्कुल विपरीत हैं, जिससे रेजोल्यूशनप्रोफेशनल की सक्रिय मिलीभगत साबित होती है। ईडी के अनुसार, यह पूरी साजिश पुराने प्रमोटरों को आपराधिक जिम्मेदारी से बचाने के लिए रची गई, जिससे दिवाला कानून (आईबीसी) की मूल भावना को नुकसान पहुंचा। फिलहाल इस मामले में आगे की जांच जारी है।