द्वारका एक्सप्रेसवे से नहीं घटा ट्रैफिक दबाव, सिरहौल बॉर्डर से महिपालपुर तक एलिवेटेड रोड ही बनेगा समाधान
द्वारका एक्सप्रेसवे के खुलने के बाद भी दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर ट्रैफिक की समस्या बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, सिरहौल बॉर्डर से महिपालपुर तक एलिवेटेड रोड का निर्माण ही एकमात्र समाधान है। एलिवेटेड रोड बनने से दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात सुगम होगा और यात्रियों को राहत मिलेगी।

द्वारका एक्सप्रेसवे।
आदित्य राज, गुरुग्राम। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर से ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए बनाए गए द्वारका एक्सप्रेसवे का अधिक लाभ नहीं दिख रहा है। पहले की तरह ही पीक आवर के दाैरान एक्सप्रेसवे पर वाहनों का दबाव रहता है। सिरहौल बाॅर्डर से लेकर महिपालपुर तक तो चार से पांच मिनट का सफर अभी भी आधे से एक घंटे में तय करना पड़ रहा है। इससे साफ हो गया है कि एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड करना ही समस्या का समाधान है।
इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है। एलिवेटेड करने में जितनी देरी होगी, समस्या उतनी ही गंभीर हो जाएगी। परेशान लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार कम से कम सिरहौल बार्डर से महिपालपुर तक का भाग तत्काल प्रभाव से एलिवेटेड कराए। इससे 50 प्रतिशत से अधिक ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा।
खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक से लेकर महिपालपुर में शिवमूर्ति के सामने तक द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया है। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के ऊपर से ट्रैफिक का दबाव कम करना था।
प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे (सिरहौल बार्डर) से प्रतिदिन औसतन चार लाख वाहन गुजरते थे। अब प्रतिदिन औसतन तीन लाख वाहन गुजरते हैं। इस तरह वाहनों की संख्या में लगभग एक लाख की कमी आई है।
वाहनों की संख्या कम होने का असर एक्सप्रेसवे पर राजीव चौक से लेकर खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक दिखता है लेकिन जहां दिखने की उम्मीद थी, वहां नहीं दिखता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि तीन लाख वाहनों में से अधिकतर साइबर सिटी व उद्योग विहार इलाके में ही रह जाते हैं।
इनमें से अधिकतर वाहन पीक आवर के दौरान यानी सुबह आठ बजे से लगभग 11 बजे एवं शाम पांच बजे से रात नौ बजे के दौरान ही एक्सप्रेसवे से होकर निकलते हैं। इससे पीक आवर के दौरान सिरहौल बाॅर्डर से लेकर महिपालपुर तक एक्सप्रेसवे के मुख्य मार्ग से लेकर सर्विस लेन तक में वाहन रेंगते रहते हैं।
प्रतिदिन जाम झेलने वाले लोगों का कहना है कि जिस तरह से एयरपोर्ट की तरफ से शिवमूर्ति तक टनल बनाइ गई, उसी तरह शिवमूर्ति के सामने से एयरपोर्ट की तरफ भी टनल बनाने के ऊपर जोर देना चाहिए था।
एनएचएआई ने एयरपोर्ट टनल बनाने के दौरान इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया। एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड करने की मांग कई साल से हो रही है, इसके ऊपर भी एनएचएआइ ध्यान देने को तैयार नहीं है।
पालम विहार निवासी इंजीनियर राजीव वर्मा कहते हैं कि सिरहौल बार्डर क्रास करने वाले तीन लाख वाहनों में से कम से कम डेढ़ लाख वाहन सीधे धौलाकुआं या वसंतकुंज की तरफ जाते हैं। 30 से 40 हजार वाहन एयरपोर्ट की तरफ जाते हैं।
सिरहौल बाॅर्डर क्राॅस करने वाले एक लाख वाहन ही आसपास या फिर खेड़कीदौला टोल प्लाजा क्रास करते हैं। ऐसे में यदि एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड कर दिया जाता है तो दिल्ली से आने-जाने वाले वाहन ऊपर से ही निकल जाएंगे। नीचे से स्थानीय वाहन निकल जाएंगे। इससे एक्सप्रेसवे पर से ट्रैफिक का दबाव खत्म हो जाएगा।
सेक्टर-50 निवासी अरविंद त्यागी कहते हैं कि स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह से लेकर विधायक मुकेश शर्मा भी मानते हैं एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड करना ही समस्या का समाधान है, इसके बाद भी योजना बनाने पर ध्यान नहीं।
अब इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय को हस्तक्षेप करना चाहिए। हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये खेड़कीदौला टोल प्लाजा से एनएचएआइ को प्राप्त होता है। इसके बाद भी लोगोें की सुविधा के ऊपर ध्यान नहीं। इस बारे में एनएचएआइ के अधिकारी का कहना है कि एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड किया जाए या नहीं, यह फैसला केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का स्तर का विषय है। एनएचएआइ को जो निर्देश मिलेगा, उसके मुताबिक योजना बनाई जाएगी।
मानेसर से 25 से 30 मिनट में एयरपोर्ट
द्वारका एक्सप्रेसवे के बनने का लाभ दक्षिण गुरुग्राम के लोगों खूब मिल रहा है। पहले मानेसर की तरफ से आने वाले वाहनों को एयरपोर्ट पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे लगते थे। अब 25 से 30 मिनट में पहुंच जाते हैं। एक से डेढ़ घंटे की बचत हो गई है। दक्षिण गुरुग्राम के अधिकतर इलाके के लोग द्वारका एक्सप्रेसवे का उपयोग करने लगे हैं। जिन्हें धौलाकुआं या वसंतकुंज की तरफ जाना है वे भी द्वारका एक्सप्रेसवे से ही निकलते हैं।
द्वारका एक्सप्रेसवे से एयरपोर्ट की तरफ टनल बनाई गई है। टनल से एयरपोर्ट की तरफ निकलकर आगे धौलाकुआं की तरफ चले जाते हैं। खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक द्वारका एक्सप्रेसवे से सदर्न पेरिफरेल रोड (एसपीआर) एवं दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे जुड़ा है। एसपीआर आगे गुरुग्राम-सोहना हाईवे से जुड़ा है। गुरुग्राम-सोहना हाईवे गांव अलीपुर के नजदीक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ा है। इस तरह कई इलाकों के लोग द्वारका एक्सप्रेसवे का लाभ उठा रहे हैं।
'ट्रैफिक का दबाव नहीं दिखाई देगा'
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड करना ही होगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। आज नहीं तो कल इस बारे में विचार करना ही होगा। पता नहीं क्यों, इसके ऊपर विचार नहीं कया जा रहा है। एलिवेटेड करते ही एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक का दबाव नहीं दिखाई देगा। एलिवेटेड करने के बाद चार से पांच किलोमीटर के अंतराल पर वाहनों के एंट्री व एग्जिट के लिए कट बना दिया जाए। ऐसे में जिसे सीधे निकलना है, वही एलिवेटेड भाग का इस्तेमाल करेगा।
-जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार एनएचएआई
द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट
- कुल चार पैकेज में बांटकर लगभग साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये से एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया है।
- गुरुग्राम में पहला पैकेज खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक से बसई-धनकोट के नजदीक तक 8.76 किलोमीटर का है।
- गुरुग्राम में दूसरा पैकेज बसई-धनकोट के नजदीक से गुरुग्राम-दिल्ली सीमा तक 10.2 किलोमीटर का है।
- दिल्ली में पहला पैकेज गुरुग्राम-दिल्ली सीमा से बिजवासन तक लगभग 4.20 किलोमीटर का है।
- दिल्ली में दूसरा पैकेज बिजवासन से महिपालपुर में शिवमूर्ति तक 5.90 किलोमीटर का है।
- प्रोजेक्ट का 18.9 किलोमीटर हिस्सा गुरुग्राम में जबकि बाकी 10.1 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में पड़ता है।
- प्रोजेक्ट का 23 किलोमीटर भाग एलिवेटेड और लगभग चार किलोमीटर भूमिगत (टनल) बनाया गया है।
- द्वारका एक्सप्रेसवे से पालम एयरपोर्ट तक जाने के लिए 3.6 किलोमीटर लंबी टनल बनाई गई है।
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