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    चिंटल पैराडिसो सोसायटी: सुप्रीम कोर्ट में सरकारी जवाब में देरी, असुरक्षित टावरों में फंसे 90 परिवार

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:43 AM (IST)

    गुरुग्राम की चिंटल पैराडिसो सोसायटी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकारी जवाब दाखिल करने में देरी हुई है, जिसके कारण असुरक्षित टावरों में 90 परिवार फ ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम। चिंटल पैराडिसो सोसायटी हादसे से जुड़े मामले में जिला प्रशासन की सुस्ती एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सर्वोच्च न्यायालय में कई सुनवाई तिथियां बीत जाने के बावजूद अब तक जिला प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया है। सरकारी स्तर पर हो रही इस देरी के कारण मामला लंबित है और सोसायटी के सैकड़ों लोग आज भी असुरक्षित हालात में जीवन जीने को मजबूर हैं।

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    सोसायटी निवासी मनोज सिंह का कहना है कि प्रशासनिक जवाब में देरी ही न्यायिक प्रक्रिया के आगे बढ़ने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। टावर ए, बी और सी को पहले ही असुरक्षित घोषित किया जा चुका है, इसके बावजूद करीब 90 परिवार इन्हीं इमारतों में रहने को विवश हैं।

    उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी भी तरह की जनहानि होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उन सरकारी अधिकारियों की होगी जिन्होंने समय रहते न्यायालय में जवाब दाखिल नहीं किया।

    सोसायटी निवासी डा. निहारिका ने आरोप लगाया कि बिल्डर ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए पीड़ितों को दिया जाने वाला किराया भी बंद कर दिया है। इस संबंध में उपायुक्त को लिखित अनुरोध किया गया था, लेकिन अब तक बिल्डर के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो सभी असुरक्षित टावरों को गिराया गया है और न ही पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ है।

    सोसायटी निवासियों के अनुसार बिल्डर पुनर्निर्माण की आड़ में अधिक फ्लैट बनाने की योजना पर काम कर रहा है और इसके लिए एक हजार रुपये प्रति वर्गफुट की दर से निर्माण लागत वसूलना चाहता है। इसी के विरोध में प्रभावित परिवारों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।

    अदालत ने अब तक चार सुनवाइयों में सरकारी पक्ष से जवाब मांगा है। जुलाई में हुई पिछली सुनवाई के दौरान मामले के अंतिम निपटारे के लिए 23 सितंबर की तारीख तय की गई थी लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया।

    इस मामले में अतिरिक्त उपायुक्त गुरुग्राम वत्सल वशिष्ठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जिला नगर योजनाकार (प्रवर्तन) विभाग को जवाब दाखिल करना है। विभाग की ओर से अभी जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस संबंध में विभाग से जानकारी मांगी जाएगी।