खतरे में Aravalli की हरियाली और जैव विविधता, जंगलों में इंडस्ट्रियल वेस्ट का हो रहा अवैध 'कारोबार'
हरियाणा के गुरुग्राम में अरावली की हरियाली और जैव विविधता खतरे में है। जंगलों में इंडस्ट्रियल वेस्ट का अवैध कारोबार हो रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर ...और पढ़ें

अरावली के बीच बार गुर्जर क्षेत्र में इस जगह पर इंडस्ट्रियल वेस्ट में आग लगी थी। सौजन्य : अग्निशमन विभाग
संदीप रतन, गुरुग्राम। अरावली की हरियाली और जैव विविधता एक बार फिर गंभीर खतरे में है। बार गुर्जर और इससे सटे नूंह जिले के कोटा क्षेत्र में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग और इंडस्ट्रियल वेस्ट का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है।
बीते दो दिनों में अरावली क्षेत्र में इंडस्ट्रियल वेस्ट में भीषण आग लगने की घटनाओं ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मानेसर और आसपास के क्षेत्र की हवा को भी जहरीला बना दिया है। अरावली के जंगलों में डेढ़ से दो एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल वेस्ट का विशाल ढेर जमा किया गया है।
यहां खुले कड़ाहों में आग जलाकर प्लास्टिक वेस्ट को पिघलाया जा रहा है। मौके पर कई गैस सिलेंडर भी मिले हैं, जिससे साफ है कि यह काम योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। आग की लपटों और उठते काले धुएं ने पूरे क्षेत्र को गैस चैंबर में बदल दिया है। किसी तरह की रिसाइक्लिंग या अन्य गतिविधि के कारण दोनों जगह पर भीषण आग लग गई।
फायर आपरेटर सुभाष दलाल ने बताया कि आग की सूचना मिलते ही मानेसर दमकल केंद्र के साथ-साथ सोहना और गुरुग्राम के दमकल केंद्रों से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
आग बुझने के बाद भी वेस्ट से लगातार धुआं उठता रहा, जिससे आसपास के गांवों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वॉले लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और सिरदर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। बता दें कि पिछले ढाई महीने से मानेसर का एक्यूआर पूरे एनसीआर में टाप कैटेगरी में रहा है और अभी भी राहत नहीं मिल पा रही है। नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एचएसआइआइडीसी और वन विभाग इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
जहरीली गैसें घोंट रही दम
विशेषज्ञों का कहना है कि इंडस्ट्रियल वेस्ट और प्लास्टिक जलने पर डाइआक्सिन, फ्यूरान, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड जैसी बेहद जहरीली गैसें निकलती हैं। ये गैसें लंबे समय तक हवा में बनी रहती हैं और फेफड़ों, हृदय तथा तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर डालती हैं।
इसके बावजूद आइएमटी मानेसर क्षेत्र में इंडस्ट्रियल वेस्ट के निस्तारण और चेकिंग को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। अक्टूबर से अब तक गुरुग्राम और मानेसर की हवा खराब श्रेणी में दर्ज की जा रही है। बुधवार को गुरुग्राम का एक्यूआइ 279 और मानेसर में 238 दर्ज किया गया।
नियमों का हो रहा उल्लंघन, वेस्ट निपटान की व्यवस्था नहीं
चौंकाने वॉली बात यह है कि उद्योगों से निकलने वॉले वेस्ट को रिसाइकल या सुरक्षित निपटान के लिए अलग से कोई प्रभावी सिस्टम मौजूद नहीं है। इसी का फायदा उठाकर अवैध कारोबारी अरावली के जंगलों को डंपिंग ग्राउंड बना रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एचएसआइआइडीसी तथा नगर निगम की ओर से अब तक कोई सख्त कार्रवाई न होने से इन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है।
सवालों के घेरे में वन विभाग
वन विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। संरक्षित अरावली क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। जंगलों में लग रही आग से न केवल पेड़-पौधों और वन्यजीवों को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि मिट्टी और भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो अरावली का यह हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो सकता है।
बार गुर्जर क्षेत्र में इंडस्ट्रियल वेस्ट कहां से लाकर जमा किया गया, इसकी जांच की जा रही है। जिन औद्योगिक इकाइयों से यह वेस्ट लिया गया है, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सिद्धार्थ भार्गव, क्षेत्रीय अधिकारी हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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