अरावली जंगल सफारी योजना पर लग सकता है ग्रहण, सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जानिए क्या है मामला?
अरावली जंगल सफारी के निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह निर्माण कार्य अवैध है और इससे पर्यावरण को खतरा है, क्योंकि इससे अरावली पर्वत श्रृंखला के प्राकृतिक स्वरूप को नुकसान पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई करेगा और निर्णय लेगा।
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अरावली के इसी इलाके में विकसित किया जाएगा जंगल सफारी पार्क। जागरण
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। अरावली पहाड़ी क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े जंगल सफारी पार्क विकसित करने की योजना पर ग्रहण लगने की आशंका है। पार्क बनाने के विरुद्ध डाली गई अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी। तब तक पार्क से संबंधित किसी भी प्रकार की गतिविधि पर पूरी तरह रोक रहेगी।
याचिकाकर्ता डॉ. आरपी बालवान वन विभाग से ही सेवानिवृत वन संरक्षक हैं। उनका मानना है कि जंगल सफारी पार्क विकसित किए जाने से न केवल अरावली बर्बाद हो जाएगी बल्कि बाहर से लाए जाने वाले वन्य जीवों के साथ भी अन्याय होगा। गुरुग्राम में लाेगों के पीने के लिए पानी नहीं है।
ऐसे में वन्य जीवों के लिए कितना पानी चाहिए। कुल मिलाकर अरावली को बर्बाद करने की साजिश है। इसे कतई सफल नहीं होने दिया जाएगा। याचिकाकर्ताओं में उनके साथ सात अन्य सेवानिवृत आइएफएस अधिकार भी शामिल हैं। अधिकतर का हरियाणा से संबंध नहीं है। सभी अरावली को बचाना चाहते हैं।
गुरुग्राम-नूंह की 10 हजार एकड़ में विकसित होना है जंगल सफारी पार्क
बता दें कि प्रदेश सरकार ने गुरुग्राम एवं नूंह जिले की 10 हजार एकड़ भूमि पर अरावली जंगल सफारी पार्क विकसित करने की योजना बनाई है। चार चरण में योजना पर काम होना है। इसका डिजाइन भी तैयार कर स्वीकृति के लिए सेंट्रल जू अथारिटी के पास भेज दिया गया है। यही नहीं वन विभाग काम शुरू करने के लिए पहली किश्त के तौर पर केंद्र सरकार से 500 करोड़ रुपये की डिमांड भी कर चुका है।
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