हरियाणा में छुट्टियों में अवकाश में बच्चे सुनेंगे दादा-दादी और नाना-नानी से कहानियां, फिर स्कूल में देना होगा फीडबैक
हरियाणा शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और निपुण हरियाणा मिशन के तहत पहली से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए शीतकालीन अवकाश को सीखने का अव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और निपुण हरियाणा मिशन को धरातल पर उतारते हुए शिक्षा विभाग ने कक्षा पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए शीतकालीन अवकाश को केवल छुट्टी न मानकर सीखने का अवसर बनाने की ठोस पहल की है। एक जनवरी से 15 जनवरी 2026 तक घोषित शीतकालीन अवकाश के दौरान विद्यार्थियों को विशेष रूप से तैयार विंटर पैकेज (हिंदी व गणित) के माध्यम से रचनात्मक और ज्ञानवर्धक गृहकार्य दिया गया है। फतेहाबाद जिले के सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की गई है।
शिक्षा विभाग के अनुसार यह गृहकार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस लक्ष्य के अनुरूप है, जिसमें प्रारंभिक कक्षाओं में बुनियादी साक्षरता और गणनात्मक कौशल को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। खास बात यह है कि यह गृहकार्य केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है। विद्यार्थियों को माता-पिता, दादा-दादी और परिवार के अन्य बुजुर्ग सदस्यों के साथ मिलकर गतिविधियां करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे पारिवारिक संवाद और संस्कारों को भी बढ़ावा मिले।
पढ़ाई के साथ जीवन कौशल पर जोर
इस विशेष गृहकार्य का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम दोहराना नहीं, बल्कि बच्चों के व्यक्तिगत विकास, सोचने-समझने की क्षमता और जीवन कौशल को निखारना है। हिंदी विषय में जहां कहानी सुनाना, बातचीत, लेखन अभ्यास और शब्द ज्ञान से जुड़ी गतिविधियां शामिल की गई हैं, वहीं गणित में दैनिक जीवन से जुड़े उदाहरणों के माध्यम से गिनती, जोड़-घटाव और तार्किक सोच को मजबूत करने पर बल दिया गया है। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बनी रहेगी और सीखने का डर कम होगा।
सुरक्षित और खर्च-रहित गतिविधियां
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि शीतकालीन मौसम और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी गतिविधियां घर के भीतर या सुरक्षित वातावरण में पूरी की जा सकेंगी। किसी भी कार्य में अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता नहीं होगी। यह विंटर पैकेज पूरी तरह खर्च-मुक्त रखा गया है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर कोई बोझ न पड़े। विभाग का मानना है कि शिक्षा समानता के बिना गुणवत्ता संभव नहीं है।
गृहकार्य में चर्चा, प्रस्तुतीकरण, कहानी सुनना और विचार-विमर्श जैसी गतिविधियां शामिल की गई हैं, जिससे बच्चों का मानसिक और सामाजिक विकास हो सके। साथ ही, हल्की-फुल्की रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को अनुशासन और अभ्यास की आदत डालने का प्रयास किया गया है।
15 दिनों तक घर पर रहकर बच्चों ने क्या सीखा इसका आंकलन किया जाएगा। अभिभावकों से भी कहा जा रहा है कि वो नजर रखे और लगातार बच्चों पूछते रहे कि क्या सीखा। पढ़ाई के साथ सामाजिक ज्ञान भी मिलेगा।
अनीता बाई, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।
अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका अहम
इस पूरी व्यवस्था में अभिभावकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। उनसे आग्रह किया गया है कि वे बच्चों को कार्यपत्रक पूरे करने में सहयोग दें, लेकिन कार्य स्वयं न करें। वहीं, शिक्षकों द्वारा अवकाश के बाद कक्षा में इन कार्यपत्रकों की समीक्षा की जाएगी और बच्चों की प्रगति का आकलन किया जाएगा। इससे बच्चों को यह समझ आएगा कि उनका प्रयास महत्वपूर्ण है।
पहली से पांचवीं तक छुट्टी का अवकाश दिया जा रहा है। इसके लिए सभी को आदेश जारी कर दिया है। इस बार कुछ नया है जिससे बच्चों के अभिभावक भी शामिल होंगे। जब स्कूल लगेगा तो इसका फीडबैक लिया जाएगा।- दिलबाग सिंह कोआडिनेटर एफएलएन।

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