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    अब टूटेगा Delhi Blast के आतंकियों का गुप्त ठिकाना! साउंडफ्रूफ करने लिए बनाई थीं 4 फुट चौड़ी दीवारें

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 04:08 PM (IST)

    फरीदाबाद में आतंकियों की खतरनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ। अल फलाह यूनिवर्सिटी के पास एक गांव में 200 वर्गगज के प्लाट में 11 फुट नीचे बेसमेंट बनाया गया, जिसे मदरसे का नाम दिया गया था। यहां बच्चों को कट्टरता का पाठ पढ़ाया जाता था। बेसमेंट को साउंडप्रूफ बनाने के लिए चार फुट मोटी दीवारें बनाई गई थीं। प्रशासन अब इस अवैध निर्माण को तोड़ने की तैयारी कर रहा है।

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    चार फुट मोदी दीवारें बनाई गईं, जिससे आवाज बाहर नहीं जा सके। जागरण

    प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। देश दहलाने की साजिश रच रहे आतंकियों का मकसद खतरनाक था। पुलिस सूत्रों के अनुसार आतंकी अल-फलाह यूनिवर्सिटी ही नहीं बल्कि आसपास के गांव को भी आतंक का केंद्र बनाने में लगे हुए थे। यानी आतंकियों की ऐसी पौध तैयार कर रहे थे जो देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके मंसूबों को पूरा कर सके।

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    धौज स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से करीब आधा किलोमीटर दूर खेतों के बीच में 200 वर्गगज प्लाॅट के 11 फुट नीचे बेसमेंट बनाया गया। इसे मदरसे का नाम दिया गया था, लेकिन यह किसी बंकर से कम नहीं था। इसके चारों ओर दीवार की मोटाई चार फुट थी। बाहरी चहारदीवारी से चार फुट अंदर तक सीमेंट मिक्सचर डाला था ताकि मजबूत आधार रहे।

    पूरी तैयारी थी कि इसे साउंडप्रूफ किया जाए ताकि अंदर की कोई भी आवाज या अन्य हलचल बाहर न जाए। इस निर्माण पर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर जमीन के नीचे ही क्यों यह मदरसा बनाया गया, जबकि आसपास बने मकानों में किसी में भी बेसमेंट नहीं है। वैसे भी 200 वर्गगज के प्लाॅट पर बेसमेंट बनाने का मतलब ही नहीं बनता।

    सूत्रों के अनुसार यहां इमाम के रूप में डाॅ. मुजम्मिल करीब 20 बच्चों को मुस्लिम कट्टरता का पाठ पढ़ाता था, बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही थी। क्योंकि मुजम्मिल प्रतिदिन बच्चों के खाने-पीने के लिए जरूर कुछ न कुछ लाता था। यहां आसपास बेहद गरीब परिवार रहते हैं, इसलिए वह इसके चंगुल में फंसते जा रहे थे।

    बच्चों की उम्र पांच साल से 15 साल के बीच थी। बच्चों को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर के हिंदुओं के खिलाफ व मुस्लिम कट्टरता वाले वीडियो भी दिखाए जाते थे, जिनके बारे में बाहर अन्य किसी को पता न चल सके। इसी सोच के साथ इस तरह जमीन के नीचे बंकरनुमा ढांचा तैयार किया गया था। साउंडफ्रूफ के मकसद से ही मोटी दीवारें बनाई गई।

    ऊपर होता निर्माण, बनाते गुप्त दरवाजा

    सूत्रों के अनुसार अभी बेसमेंट ही तैयार हुआ था, ऊपर भी निर्माण किया जाना था। पता चला है कि जब ऊपर निर्माण पूरा हो जाता तो यहां एक गुप्त दरवाजा भी लगाया जाता, जो सीढ़ियों से सीधे बेसमेंट तक जाता। यहां आतंकी अपनी गुप्त मीटिंग करते और आतंक की पाैध तैयार करने के लिए कट्टरता का पाठ पढ़ाते। बाहर से देखने पर पता नहीं चलता कि यहां कोई बेसमेंट में निर्माण किया हुआ है।

    बच्चे-अभिभावक बोले, इमाम गायब

    आसपास के मकानों में रहने वाले बच्चे व उनके अभिभावकों से बात करने की कोशिश की गई तो वह कुछ अधिक बताने को तैयार नहीं हुए। रास्ते में खेलते हुए कुछ बच्चों ने बताया कि इमाम साहब कहां गायब हैं, कई दिन से नहीं आ रहे।

    अब हो रही तोड़ने की तैयारी

    यहां कृषि योग्य भूमि पर किसी शकील नाम के शख्स ने यह अवैध काॅलोनी काटी थी। काॅलोनी में करीब 15 मकान बने हुए हैं। कुछ अभी भी बन रहे हैं। इससे पहले जिला प्रशासन की टीम ने यहां झांककर भी नहीं देखा कि क्या हो रहा है, लेकिन अब आतंकी गतिविधियां आने के बाद प्रशासन की नजर काॅलोनी और खासकर इस बेसमेंट पर टिक गई है। इस बेसमेंट को तहस-नहस करने की तैयारी हो रही है।

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