Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर का बदहाल, सरकारी लापरवाही ने बर्बाद किया 109 करोड़ का सपना; मैदानों में चर रहे मवेशी

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 12:07 AM (IST)

    राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर, जिसे 109 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, सरकारी लापरवाही के कारण आज बदहाल स्थिति में है। यह परिसर, जो कभी खेलों का केंद्र बनने का सपना था, अब खंडहर में तब्दील हो गया है, जहाँ मैदानों में मवेशी चर रहे हैं। खिलाड़ियों का सपना टूट गया है और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है।

    Hero Image

    रेवाड़ी जिले के धारूहेड़ा में बदहाल स्थिति में राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर। जागरण

    सुशील भाटिया, फरीदाबाद। खेल-खिलाड़ियों को प्रदेश में आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार बजट का अच्छा खासा प्रविधान करती है, लेकिन उनका सदुपयोग नहीं हो पाता। ग्रामीण अंचल की खेल प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से गांवों में ही स्थापित किए गए राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जिनके निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। निर्माण के बाद वहां उपकरण भी लगाए गए। ग्राउंडमैन व ग्राउंड मैनेजर नियुक्त कर उनके वेतन पर भी धनराशि खर्च की गई, लेकिन इसके बावजूद ज्यादातर ग्रामीण खेल परिसर बदहाली का शिकार हैं। बदहाल इस कदर कि 10 साल पहले भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में छह जिलों के 27 ग्रामीण खेल परिसरों को खेल के लिए अनफिट करार दे दिया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निर्माण पर औसतन 55 लाख रुपये 

    प्रदेश के विभिन्न जिलों में बनाए गए कुल 163 राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसरों को ग्राम पंचायत की साढ़े छह एकड़ भूमि पर बनाया गया था और इनका निर्माण हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड ने किया था। प्रत्येक परिसर के निर्माण पर औसतन 55 लाख रुपये का खर्च आया था।

    इस तरह से इन सभी परिसरों को तैयार करने पर कुल 89 करोड़ 65 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इस धनराशि में प्रत्येक परिसर में एक भवन का निर्माण करने के साथ ही इनडोर खेलों के उपकरण, बास्केटबाल, वालीबाल कोर्ट व दौड़ के लिए ट्रैक का निर्माण भी शामिल था।

    अप्रैल-2010 में बनकर तैयार हुए फरीदाबाद के अटाली गांव में बने खेल परिसर पर 62.53 लाख रुपये खर्च हुए थे, जबकि मई-2010 में बने तिगांव गांव के खेल परिसर पर 51.86 लाख रुपये खर्च हुए थे।

    दो वर्ष तक वेतन दिया गया

    इसके साथ ही सभी ग्रामीण खेल परिसरों में खिलाड़ियों की कोचिंग और रखरखाव पर दस वर्षों में 19 करोड़ 56 लाख रुपये खर्च किए गए। इस धनराशि में पांच हजार रुपये प्रतिमाह के अनुसार ग्राउंड मैन को दस वर्ष तक और 25 हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से ग्राउंड मैनेजरों को दो वर्ष तक वेतन दिया गया।

    ये दोनों नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर की गई थीं। ग्राउंड मैनेजर पर खिलाड़ियों की कोचिंग व परिसर के केयर टेकर का दायित्व था। ग्राउंड मैनेजरों के दो साल और ग्राउंड मैन के दस साल के अनुबंध का आगे नवीनीकरण नहीं किया गया। इस तरह परिसर को तैयार करने और वेतन देने में कुल 109 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की गई।

    2015 में जारी हुआ था 8.34 करोड़

    दस वर्ष पहले राज्य सरकार ने प्रदेश के खस्ताहाल 15 जिलों के ग्रामीण खेल परिसर की दशा सुधारने के लिए 8.34 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। इस बजट में भिवानी के पांच स्टेडियम के लिए चार करोड़, सीएम सिटी करनाल जिले को आठ लाख रुपये, सोनीपत को 31 लाख रुपये और यमुनानगर को 20 लाख रुपये दिए गए थे।

    फिर भी खेलने योग्य नहीं था खेल परिसर

    100 करोड़ से अधिक राशि खर्च करके बनाए गए खेल परिसरों के चार साल बाद कैग की एक कमेटी ने छह जिलों झज्जर, रोहतक, भिवानी, यमुनानगर, अंबाला और फतेहाबाद के 27 खेल परिसरों का निरीक्षण किया था तो वहां उपकरणों और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव पाया और खेल गतिविधियों के लिए इन्हें अनुपयुक्त पाया था।

    रिपोर्ट: कृषि अपशिष्ट था फैला हुआ 

    कैग ने वित्त वर्ष 2014-15 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 70 प्रतिशत खेल के मैदान ऊबड़-खाबड़ और खेल के लिए अनुपयुक्त हैं। टीम ने कहीं चारदीवारी टूटी पाई, कहीं पशु चर रहे थे और कहीं कृषि अपशिष्ट फैला हुआ पाया था। रिपोर्ट में बिजली, पानी और बाथरूम उपलब्ध नहीं होने का जिक्र भी किया गया था और कहीं पर छत ही टपकती पाई गई थी। राजीव गांधी खेल परिसरों की बदहाली की तस्वीर दिखाने वाली यह रिपोर्ट अप्रैल 2016 में जारी हुई थी, अब तो स्थिति और विकट है।

    देश का नाम रोशन कर सकें

    प्रशासनिक उदासीनता की वजह से देखरेख के अभाव में ये खेल परिसर बदहाली का शिकार हो चुके हैं। इतनी बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी खिलाड़ियों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह पीड़ा का विषय है। सरकार को चाहिए कि इनमें व्याप्त समस्याओं पर ध्यान देकर उनका निवारण करे, ताकि खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकें।

    -प्रीतम सिवाच, भारतीय हाकी टीम की पूर्व कप्तान एवं द्रोणाचार्य अवार्डी कोच

    मौजूदा सरकार जवाब दे

    यह ठीक है कि ये खेल परिसर कांग्रेस सरकार में बने। वर्ष 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन तब तक तो इनकी हालत ठीक रही और यहां खिलाड़ी खूब अभ्यास करने आते थे। अब प्रदेश में पिछले 11 साल से भाजपा की सरकार है। सरकार खेलों को बढ़ावा देने का ढिंढोरा तो पीटती है, लेकिन हालात सबके सामने हैं। मौजूदा सरकार जवाब दे कि इनकी सुध क्यों नहीं ली गई।

    -करण सिंह दलाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री

    यह भी पढ़ें- फरीदाबाद में एक ही दिन में दो हजार शादियां, ट्रैफिक पुलिस ने पार्किंग को लेकर बदले कई नियम