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    Ramlila: कोरोना को चुनौती देते हुए हरियाणा के इस शहर की युवतियां-महिलाएं उतरी मैदान में

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:59 PM (IST)

    Ramlila फरीदाबाद में इस बार सिर्फ एक श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी ने ही प्रभु श्रीराम की लीला का मंचन करने का साहस जुटाया और इसमें भी बड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए मंच पर उतरी हैं शहर की नारियां।

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    श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला में अपनी भूमिका निभाती युवत।

    फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। कोरोना ने बड़ी संख्या में लोगों को घर पर ही कैद होने के लिए मजबूर कर दिया है। स्कूल-कालेज अभी भी बंद हैं, जबकि सिनेमा हाल 15 अक्टूबर से खुल तो गए हैं, पर दर्शक गायब हैं। आखिर जान की सुरक्षा का सवाल है। कारोबार और नौकरी के लिए घर से निकलना लोगों की मजबूरी है, क्योंकि पापी पेट का सवाल है। कोरोना जैसी विपदा के कारण रामलीला मंचन पर भी संकट है। औद्योगिक जिले में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता रहा है, पर इस बार सिर्फ एक श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी ने ही प्रभु की लीला का मंचन करने का साहस जुटाया और इसमें भी बड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए मंच पर उतरी हैं शहर की महिलाएं और युवतियां।

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    श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी की ओर से रविवार रात को डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर-14 के महात्मा हंसराज सभागार में जब मंचन शुरू हुआ, तो विगत वर्षों में महिला चरित्रों को शिद्दत से सार्थक करती आई योगंधा वशिष्ठ, तान्या व मौनिक भाटिया, रुषाली ग्रोवर, रजनी भारद्वाज में इस बार भी मंच पर उतरने का वही उत्साह दिखा। कोरोना संक्रमण के डर को पीछे छोड़ प्रभु राम का नाम लेती हुई अपनी भूमिका का सशक्त निर्वाह करने के उद्देश्य से मैकअप कराते हुए योगंधा वशिष्ठ ने कहा कि निश्चित रूप से यह रोग भयावह है, पर हमने प्रभु राम के भरोसे इस चुनौती को स्वीकार करने का साहस जुटाया। कमेटी ने भी मंचन के दौरान शारीरिक दूरी, सभी के लिए मास्क, हाथों को सैनिटाइज करने जैसे आवश्यक प्रबंध किए हैं। मंचन के दौरान भी स्टेज पर शारीरिक दूरी का ध्यान रखा जा रहा है।

    तान्या और मौनिक नहीं किसी से कम

    कौशल्या का किरदार निभाने वाली तान्या भाटिया इसी मंच पर पूर्व में तीन साल सीता का दमदार किरदार निभा चुकी हैं। कौशल्या के अलावा श्रवण कुमार की माता ज्ञानवती की भूमिका निभाने वाली तान्या भाटिया भी किसी से कम नहीं हैं। उन्हें कोरोना काल में भी अपने परिवार से भरपूर सहयोग मिला और प्रभु राम जी चाहते हैं कि मंच पर उतर कर अपनी भूमिका निभाएं, इसलिए यहां पर मौजूद हैं। बाकी सभी को अपना ध्यान रखना जरूरी है। वहीं शूर्पनखा और कैकेयी की भूमिका मेें जान डालने वाली मौनिक भाटिया ने कहा कि कोरोना में मंच पर उतरना निश्चित रूप से सभी के लिए चुनौतीपूर्ण है, पर कमेटी ने बेहद अच्छे प्रबंध किए हैं। हम सब भी सावधानी बरत रहे हैं। प्रभु राम सब ठीक करेंगे।

    इसी तरह से सुमित्रा व पार्वती की भूमिका में रुषाली ग्रोवर, शबरी की भूमिका में रजनी भारद्वाज, मंथरा की भूमिका में अलका सक्सेना, तारा की भूमिका में रशमिंदर, सुनैना की भूमिका में बबीता मेहरा, माता अनुसूईया की भूमिका में स्नेहा, चारवी चावला, ओमयारा, ओमिशा चावला, असावरी वशिष्ठ, आरमा डबराल, फिजा खान , मेहक ग्रोवर, वंदिनी नंदा भी अलग-अलग भूमिका में मंच पर उतरने को तैयार हैं।

    2009 में हुई थी शुरुआत

    वर्ष 2008 से पहले शहर की सभी रामलीला कमेटियों के मंच पर महिला किरदार भी पुरुष ही निभाते थे, पर 2009 में इस मिथक को तोड़ा श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी सेक्टर-15 ने। जिन्होंने वर्ष 2009 में सीता की भूमिका निभाने के लिए एक युवा गायिका अंबिका पुंज को मंच पर उतारा था, बस मुख्य निर्देशक अनिल चावला का यह प्रयोग इतना सफल रहा कि अब इस मंच पर सभी महिला किरदारों को महिलाएं ही निभाती हैं।

    श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी के प्रधान दिलीप वर्मा के अनुसार, यह हमारे लिए और पूरे शहर के लिए गर्व की बात है। नारी आज हर रूप में सशक्त है। धरती से लेकर माउंट एवरेस्ट और आसमान तक और यहां तक की अब युद्ध के मोर्चे पर भी महिलाएं अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए तैनात हो रही हैं। प्रभु राम की लीला दिखाने में अपना योगदान देने वाली सभी महिला कलाकारों इसके लिए बधाई की पात्र हैं और अपनी भूमिकााओं को बेहद सशक्त तरीके से निभाने के लिए तैयार हैं।

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