जनता तो छोड़िए पुलिस भी परेशान, नगर निगम की क्या है ऐसी नाकामी जिससे मार्केटिंग करना छोड़ दिए लोग
सेक्टर-21ए शहर के पॉश सेक्टरों में से एक है। कई स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब हैं। पार्क में लाइटें जले हुए काफी समय हो गया है। दिन ढलते ही अंधेरा छा जाने के कारण लोगों ने शाम को सैर पर जाना बंद कर दिया है। महिलाएं भी थोड़ी दूर जाने से कतराने लगी हैं। लोगों ने अपने घरों के आगे एलईडी लगवा ली हैं। इससे काम चला रहे हैं।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करने वाले अधिकारी शहर से अंधेरा भी दूर नहीं कर पा रहे हैं। फाइलों की बात करें तो पूरा शहर जगमगाता नजर आता है। हकीकत यह है कि दिन ढलते ही शहर के चौक-चौराहे, सेक्टर की सड़कें, पार्क अंधेरे में डूब जाते हैं। लाइटें सालों से खराब पड़ी हैं।
हर साल ठेका दिया जाता है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता। लाखों खर्च करने के बाद भी लाइट क्यों नहीं जल रही, इसकी नगर निगम ने जांच नहीं की है। मिलीभगत के चलते अधिकारी भी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। नगर निगम के पास पूरे शहर में 55 हजार से अधिक लाइटें हैं।
अंधेरे के कारण चलना बंद कर दिया
सेक्टर-21ए शहर के पॉश सेक्टरों में से एक है। सेक्टर की कई स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब हैं। पार्क में लाइटें जले हुए काफी समय हो गया है। दिन ढलते ही अंधेरा छा जाने के कारण लोगों ने शाम को सैर पर जाना बंद कर दिया है। महिलाएं भी थोड़ी दूर जाने से कतराने लगी हैं। लोगों ने अपने घरों के आगे एलईडी लगवा ली हैं। इससे काम चला रहे हैं।
अपने खर्च पर लाइटें ठीक करवा रहे हैं लोग
शहर के अधिकतर बाजारों का हाल भी ऐसा ही है। यहां कई लाइटें खराब पड़ी हैं। मार्केट एसोसिएशन और स्थानीय लोग किसी तरह अपने स्तर पर इन लाइटों की मरम्मत करवा लेते हैं, लेकिन नगर निगम कोई ध्यान नहीं देता। सेक्टर-46 में लगी 40 से ज्यादा लाइटों के रखरखाव का जिम्मा स्थानीय लोगों ने खुद ही उठा रखा है।
नगर निगम को कोई परवाह नहीं
आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी इन लाइटों की मरम्मत करवाते रहते हैं। निगम की तरफ से कोई नहीं आता। स्थानीय निवासी भूपेंद्र नागर के मुताबिक, वह कई बार निगम कर्मचारियों को फोन करते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती, इसलिए अब उन्होंने कुछ भी कहना बंद कर दिया है। सेक्टर-15ए के लोग भी खुद ही लाइटों की मरम्मत करवा लेते हैं।
यहां भी बुरा हाल
- सेक्टर-21सी में भी काफी लाइटें खराब हैं, शिकायत की है लेकिन समाधान नहीं हो सका।
- सेक्टर-9-10 की डिवाइडिंग सड़क पर अंधेरा रहता है।
- सेक्टर-दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, 10, 11, 12 सहित अन्य सेक्टरों में भी काफी लाइटें खराब पड़ी हैं।
सड़कों पर भी अंधेरा
शहर में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो जहां सभी लाइटें जल रही हों। फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण, स्मार्ट सिटी, नगर निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और लोक निर्माण विभाग की सड़कें दिन ढलते ही अंधेरे में डूब जाती हैं। यहां तक कि रेलवे और नहर पुलों की हालत भी खराब है। ज्यादातर लाइटें काम नहीं कर रही हैं।
पुलिस कहती है, अंधेरा दूर करो
महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने नगर निगम और अन्य विभागों को कई पत्र लिखे हैं। इसमें बताया गया है कि अंधेरे के कारण महिलाएं कहां असुरक्षित महसूस करती हैं। इन जगहों पर अंधेरा हटाने को कहा गया है। दरअसल, शहर में देर रात तक महिलाएं काम से घर तक आती-जाती हैं। अंधेरे के कारण कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसलिए पुलिस का जोर है कि सड़कों पर अंधेरा न हो।
जब हमने ठेकेदार से बात की तो उसने कहा कि ठेका खत्म हो चुका है। अब लाइट ठीक करवाने के लिए अगले टेंडर का इंतजार करना पड़ेगा। जबकि यहां लाइट महीनों से खराब पड़ी है। निगम अधिकारी सुनते ही नहीं।
गजराज नागर, प्रधान, डब्ल्यूसीआरए, सेक्टर-21ए
नगर निगम को बुलाने से कोई फायदा नहीं है। जब भी लाइट खराब होती है तो हम अपने स्तर पर बिजली मैकेनिक को बुलाकर काम करवा लेते हैं।
जनक गोयल, सेक्टर-15ए
लाइटें लगभग हर दिन खराब रहती हैं। अधिकारी अनुबंध समाप्त होने की बात कह रहे हैं। अनुबंध होने के समय समस्या का समाधान नहीं हुआ। अधिकारी सिर्फ बहाने बनाते रहते हैं।
जगदीश चौहान, प्रधान, डब्लूएआर सेक्टर-21सी, पार्ट वन
सेक्टर में लाइटें महीनों से खराब हैं। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। अंधेरे से सेक्टरवासी परेशान हैं। अपराध का डर बना रहता है।
सुरेंद्र राणा, प्रधान, सेक्टर-21डी
लाइटों की मरम्मत का ठेका खत्म हो चुका है। लेकिन जो लाइटें काम नहीं कर रही हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी। इसके लिए अनुमति मांगी गई है।
सुशील ठाकरान, अधिशासी अभियंता, नगर निगम
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