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    Delhi Election Result: दिल्ली की जनता ने सालों तक नकारा, पार्टी बदली तो चमक गई इन नेताओं की किस्मत

    दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में राजकुमार चौहान अरविंदर सिंह लवली तरविंदर सिंह मारवाह चौधरी मतीन अहमद वीर सिंह धींगान ने जीत दर्ज की है। ये सभी नेता पहले जिस पार्टी में थे उसमें चुनाव नहीं जीत पाए थे। अब पार्टी बदलने के बाद दिल्ली की जनता ने इन्हें फिर से सत्ता में बिठाया है। ये सभी नेता जीत की उम्मीद में सालों से लगातार चुनाव लड़ रहे थे।

    By Rajesh KumarEdited By: Rajesh KumarUpdated: Mon, 10 Feb 2025 02:29 PM (IST)
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    दिल्ली की राजनीति में दल बदलते ही इन नेताओं की किस्मत चमक गई।

    स्वदेश कुमार, जागरण नई दिल्ली। राजनीति में कब किसकी किस्मत चमक जाए, यह तो पता नहीं, लेकिन इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में किस्मत बदलने के साथ ही कुछ नेताओं का पुनर्जन्म भी हुआ है। इनमें वीर सिंह धींगान, चौधरी मतीन का परिवार, तरविंदर सिंह मारवाह, राजकुमार चौहान और अरविंदर सिंह लवली शामिल हैं।

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    कांग्रेस से आप में आए वीर सिंह धींगान

    सीमापुरी से आप के टिकट पर चुनाव जीतने वाले वीर सिंह धींगान 1998 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। वह 2013 तक लगातार विधायक रहे। 2013 में आप अस्तित्व में आई और इसके साथ ही वीर सिंह धींगान का अस्तित्व भी खतरे में आ गया। वह 2013, 2015 और 2020 में आप उम्मीदवारों से चुनाव हारते रहे। लोगों को लगने लगा था कि अब उनकी बारी नहीं आएगी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले वह आप में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और इस बार वह 10 हजार से ज्यादा वोटों से जीते। यह उनके लिए राजनीतिक पुनर्जन्म जैसा है।

    परिवार सहित AAP में हुए शामिल

    सीलमपुर के रास्ते दिल्ली की राजनीति में बड़ा कद रखने वाले चौधरी मतीन अहमद 1998 से लगातार 22 साल तक कांग्रेस से विधायक रहे। इसके बाद 2015 के चुनाव में उन्हें पहली हार मिली। 2020 में भी यही कहानी दोहराई गई और वह राजनीति से अदृश्य होने लग गए थे, लेकिन इस बीच उनके बेटे जुबेर ने कांग्रेस के टिकट पर ही निगम का चुनाव जीत लिया। इसने उनके परिवार को संजीवनी दे दी, लेकिन इस चुनाव से पहले वह बेटे के साथ आप में शामिल हो गए और पार्टी ने उनके बेटे को ही सीलमपुर से प्रत्याशी दिया। जुबेर जीत भी गए।

    कांग्रेस से रहा पुराना नाता

    पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को चुनावी मैदान में धूल चटाने वाले तरविंदर सिंह मारवाह की कहानी भी ऐसी ही है। 1998, 2003 व 2008 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनने वाले 2013, 2015 और 2020 के चुनाव में हार गए। राजनीति से विदाई की अटकलें लगने लगीं। इस चुनाव में उन्होंने भी पाला बदला, लेकिन आप की जगह वह भाजपा में पहुंच गए। भाजपा ने मनीष सिसोदिया के सामने उन्हें उतारा। चुनाव जीतकर वह फिर से सक्रिय राजनीति में उतर गए हैं।

    कांग्रेस के शासनकाल में मंत्री रहे

    कांग्रेस के शासनकाल में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली की सत्ता से निर्वासन का लंबा समय गुजारा। लवली गांधीनगर सीट से 1998 से 2013 तक चार लगातार चुनाव जीते थे। वर्ष 2015 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। कुछ समय बाद वह भाजपा में चले गए। फिर कांग्रेस में ही लौट आए। 2020 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े तो तीसरे स्थान पर पहुंच गए। लोस चुनाव के समय वह भाजपा में शामिल हो गए। इस बार भाजपा के टिकट पर गांधीनगर सीट से चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बन गए।

    कभी कांग्रेस तो कभी AAP में रहे राजकुमार

    मंगोलपुरी से इस बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए राजकुमार चौहान का भी कभी दिल्ली की राजनीति में दबदबा था। कांग्रेस के टिकट पर 1993 से लगातार उन्होंने चार चुनाव जीते। 2013 व 2015 में उन्हें आप के प्रत्याशी शिकस्त दे दी थी।

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