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    631 KM दूर केवल हैंड ग्रेनेड लेने आया था, फरीदाबाद से पकड़ा गया आतंकी? कई सवाल अभी भी अनसुलझे

    Updated: Sat, 08 Mar 2025 04:17 PM (IST)

    फरीदाबाद के पाली गांव में गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी को लेकर कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं। एसटीएफ अभी तक यह पता नहीं लगा पाई है कि अब्दुल रहमान केवल गड्ढे में दबे हुए हैंड ग्रेनेड लेने के लिए ही इतनी दूर क्यों आया था। यह भी पता नहीं चल पाया है कि पाली में खेत पर ही बने कोठरे में ग्रेनेड क्यों दबाए गए थे।

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    Faridabad Crime: अयोध्या से 631 किलोमीटर दूर केवल हैंड ग्रेनेड लेने आया था रहमान।

    दीपक पांडेय, फरीदाबाद। पाली गांव के खेत पर ट्यूबवेल के कोठरे में दो मार्च को गुजरात और हरियाणा एसटीएफ के संयुक्त आपरेशन में पकड़े गए आतंकवादी अब्दुल रहमान ( terrorist abdul rehman) की गिरफ्तारी को लेकर अभी तक कई सवाल पूरी तरह से अनसुलझे हैं। इसकी गुत्थी एसटीएफ सुलझा नहीं पा रही है।

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    यही कारण है कि ऐसे सवालों की वजह से एसटीएफ अधिकारी कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि फैजाबाद मिल्किपुर गांव से पाली गांव 631 किलोमीटर दूर है। यहां तक सफर तय करने में साढ़े आठ घंटे लगते हैं।

     कौन था हैंड ग्रेनेड दबाने वाला शख्स?

    अब सवाल यह है कि क्या अब्दुल रहमान केवल गड्ढे में दबे हुए हैंड ग्रेनेड लेने के लिए आया था। जबकि उत्तर प्रदेश में हैंंड ग्रेनेड अब्दुल को आसानी से उपलब्ध हो सकते थे। बताया जा रहा है फिर उसको वापस अयोध्या ही जाना था। उसका इतनी दूर आना और फिर हैंड ग्रेनेड लेकर वापस जाना, यह बात हजम नहीं हो रही है।

    इसके साथ ही एक अनजान जगह पर अब्दुल रहमान के लिए हैंड ग्रेनेड दबाने वाला शख्स कौन था। उस शख्स ने पाली में खेत पर ही बने कोठरे में ग्रेनेड क्यों दबाए। जबकि यह हैंड ग्रेनेड रहमान को दूसरे सुनसान जगहों पर दिए जा सकते थे। पूरे मामले की सुई पाली गांव पर आकर अटक रही हैं।

    गांव के ग्रामीण भी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं। एसटीएफ की ओर से अब्दुल के साथी का लोकल कनेक्शन होने से साफ इनकार किया जा रहा था। ऐसे में फिर सवाल यह खड़ा होता है कि अगर साथी का लोकल कनेक्शन नहीं था तो वह पाली के खेत पर कैसे पहुंचा। इसको लेकर एसटीएफ को अभी तक एक भी कड़ी नहीं खोज पाई है।

    अनसुझले मामले को लेकर ग्रामीण भी हैरान

    जिला पार्षद हरिंद्र भड़ाना ने बताया कि पाली गांव में करीब 10 हजार की आबादी है। इतनी बड़ी आबादी में हर एक व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल काम है। फिर भी मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों से बात की गई, लेकिन आतंकी की मदद करने वाले व्यक्ति को लेकर कोई भी बात सामने नहीं आई। लोगों को जागरूक करते हुए कहा गया है कि वह अपने किराएदारों का सत्यापन जरूर करवाएं।

    सरपंच रघुवर भड़ाना कहते है कि अब्दुल रहमान पाली तक किसके माध्यम से पहुंचा इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। पाली से लगते कुरेशीपुर सहित कई अन्य गांव भी है। इन गांव में भी साथी की तलाश होनी चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया है गांव से आतंकी का कोई मददगार नहीं है।

    पुलिस ने क्यों नहीं की पूछताछ

    इस मामले में बड़ा सवाल यह भी है कि जब आतंकी पाली गांव में मिला तो एसटीएफ या स्थानीय पुलिस ने गांव जाकर ग्रामीणों से पूछताछ नहीं की। देश की सुरक्षा से जुड़े इतने बड़े मामले में पुलिस का किसी भी ग्रामीण से पूछताछ न करना, यह बात भी कुछ ठीक नहीं लग रही है। पुलिस की पूरी कहानी में बड़ा झोल नजर आ रहा है। यही कारण है कि एसटीएफ या स्थानीय पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से साफ तौर पर बच रही है।

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