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    Surajkund Mela: सूरजकुंड मेले में सेल का खेल शुरू, हर सामान पर 20 से 50 फीसदी तक मिल रही छूट

    Updated: Sat, 22 Feb 2025 10:25 AM (IST)

    Surajkund Mela Sale सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला अपने समापन की ओर बढ़ रहा है और इसके साथ ही मेले में सेल का खेल भी शुरू हो गया है। वुडन की कृतियों सहारनपुर के स्टालों परंपरागत चटाइयों और सजावटी सामानों पर आकर्षक छूट दी जा रही है। ओडिशा पवेलियन में पट्ट चित्रकारी की हर वस्तु पर 20% तक की छूट मिल रही है।

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    Surajkund Fair: सूरजकुंड मेले में सेल का खेल शुरू, हस्तशिल्प उत्पादों पर भारी छूट। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद।Surajkund International Crafts Mela: सात फरवरी से शुरू हुआ सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला समापन कीओर है। रविवार को मेले का समापन किया जाएगा। समापन के नजदीक आते ही मेले में सेल का खेल शुरू कर दिया गया है। बहुत से उत्पादों की सेल शुरू हुई है तो कई जगह विशेष छूट दी जाने लगी है।

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    मेले में वुडन की कृतियों पर कई जगह सेल लगा दी गई है। हर आइटम के दाम 100 रुपये कर दिए गए हैं। वुडन की कृतियों में फोटो फ्रेम, कंघी, ज्वैलरी बाक्स और खिलौना 100 रुपये में बिक रहा है।

    200 रुपये का सामान सिर्फ 100 रुपये में

    जबकि पहले यही आइटम 200 रुपये में बेची जा रही थी। ऐसे ही सहारनपुर के स्टाल पर भी कई कृतियों की सेल लगाई गई है। छोटी चौपाल के आसपास कई स्टालों पर मैट और दरी की भी सोल लगाई गई है।

    ओडिशा पवेलियन में भानु बाला द्वारा पट्ट चित्रकारी में तैयार नजरबट्टू की खरीदारी करती हुई महिला। जागरण

    फूड कोर्ट के पास स्टॉल नंबर 1196 पर वुडन का चकला बेलन, टोकरी के साथ ही कई सजावटी कृतियां हैं। यहां भी सेल लगा कर हर माल 200 रुपये में बेचा जा रहा है।

    हर आइटम की खरीद पर 20 प्रतिश्त तक छूट

    ओडिशा पवेलियन में निरंजन ने पट्ट चित्रकारी की हर आइटम की खरीद पर 20 प्रतिश्त तक छूट देनी शुरू कर दी गई है। उनके पास घर की सजावट का समान भी है। निरंजन कहते हैं कि अब मेले के सिर्फ दो दिन ही रह गए हैं। ऐसे में सामान को ले जाने से बेहतर है कि छूट देकर पर ही सामान को बेचा जाए।

    बता दें 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला नारी सशक्तिकरण के लिहाज से भी उपयोगी सिद्ध हो रहा है।स्व्यं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों की खूब बिक्री हो रही है।

    मेले में पश्चिम बंगाल की अंजू मनरा बेगम के स्टाल नंबर 660 पर कांथा वर्क का सूट खरीदती हुई प्रियंका और चित्रलेखा। जागरण

    खास कर ग्रामीण महिलाओं की ऐसे मेले के आयोजन से आर्थिक स्थिति सुधर रही है। मेला परिसर में छोटी चौपाल के नजदीक ऐसे कई स्टाल हैं, जिन पर महिलाओं की ओर से बनाए गए उत्पाद हैं।

    सरस्वती जन कल्याण समिति से जुड़ी हैं 1200 महिलाएं

    करनाल की सरस्वती जन कल्याण समिति से 1200 महिलाएं जुड़ी हैं। जो अपने-अपने घरों में ऊन के स्वेटर, जैकेट, टोपी तथा बच्चों की ड्रेस बनाती हैं। समिति से जुड़ी पूजा यहां मेले में ऊन के स्वेटर, टोपी तथा बच्चों की ड्रेस लेकर आई हैं। इनका स्टॉल नंबर 641 है।

    स्टाल संचालिका पूजा कहती हैं कि उनकी संस्था से जुड कर बहुत ही महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हुई हैं। संस्था से जुड़ी नीलम और गीता कहती हैं कि उन्हें संस्था से जुड़ कर हर महीने 10 हजार रुपये तक कमा लेती हैं।

    ऐसे ही छोटी चौपाल के पास ही पंचकूला का स्टाल नंबर 644 है। विरासत टू बैक रूट के स्टाल पर विभिन्न गांवों की महिलाओं द्वारा निर्मित दरी और मैट हैं। इस संस्था से जुड़ कर रायपुर रानी, पंचकूला की बहुत सी महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी है।

    संस्था से लगभग आठ से साल से जुड़ी सलीमन और नूरी कहती हैं कि पहले उनके परिवार की हालतठीक नहीं थी। अब वह हर महीने लगभग 10 हजार रुपये कमा लेती हैं।

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