शिल्प कला से जुड़े रह कर बेटे को बनाया इंजीनियर, चार पीढ़ियों से चला आ रहा कृतियां बनाने का सिलसिला
पयर्टन विभाग की ओर से हर वर्ष ग्यासी राम के कुनबे को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आमंत्रित किया जाता है। वस्त्र मंत्रालय की ओर से अलग-अलग शहरों में लगने वाली प्रदर्शनी व मेलारें में भी परिवार के सदस्य अपनी कृतियों के साथ जाते हैं।

फरीदाबाद, अनिल बेताब। कहते हैं कि अपनी परंपरा और विरासत को लेकर जो लोग जुनून के साथ निरंतर काम करते हैं, वही अपने आप को स्थापित कर पाते हैं। एसजीएम नगर के स्व. ग्यासी राम के परिवार के जीवन की सच्चाई भी कुछ ऐसी है। शिल्प कला से जुड़े रहे ग्यासी राम आज भले ही इस संसार में नहीं हैं, लेकिन उनका कुनबा पुश्तैनी कला को आगे बढ़ा रहा है। चार पीढियों से चला आ रहा टेराकोटा की कृतियां बनाने का सिलसिला आज भी जारी है।
पहले परदादा, दादा शिल्प कला से जुड़े थे और अब पौत्र, प्रपौत्र, प्रपौत्री इस कला से जुड़े हुए हैं। इनका बेटा सुख लाल और पोता नेम चंद भले ही हालात के चलते अधिक नहीं पढ़ पाए थे, लेकिन पुश्तैनी शिल्प कला से जुड़े रह कर अपने बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं। नेम चंद ने अपने बेटे भूपेंद्र को मैकेनिकल इंजीनियर बनाया है और वह निजी कंपनी में नौकरी कर रहा है। दूसरा बेटा कुनाल बीकॉम कर रहा है। ऐसे ही बेटी हेमा प्रजापति बारहवीं कर रही है। उनकी बहू मंजू बाला एमएससी कर रही हैं।
-कौशल्या की ओर से पाट पर की गई वारली पेंटिंग से सुसज्जित तथा स्वच्छता का संदेश देती हुई कृति।
एक साथ काम करते हैं परिवार के सदस्य
दीपावली के चलते इन दिनों सुख लाल, उनकी पत्नी ओमवती, बेटी कौशल्या मिट्टी के दीये, घर को सजाने को आकर्षक कृतियां तथा देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बना रहे हैं। ऐसे ही सुख लाल का भतीजा नेम चंद, नेम की पत्नी पुष्पा, बेटा भूपेंद्र तथा कुनाल भी साथ देते हैं। मार्केटिंग के काम में भी दोनों बेटे साथ रहते हैं। अक्टूबर, 2014 में ग्यासी राम का निधन हो गया था। नेम चंद बताते हैं कि दादा के निधन के बाद आर्थिक स्थिति के चलते कई बार हालात बिगड़े, मगर उन्होंने अपने पुश्तैनी काम से मुंह नहीं मोड़ा। बच्चे पढ़-लिख गए हैं, लेकिन काम में पूरा साथ देते हैं।
सूरजकुंड मेले में मिलता है मौका
पयर्टन विभाग की ओर से हर वर्ष ग्यासी राम के कुनबे को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आमंत्रित किया जाता है। वस्त्र मंत्रालय की ओर से अलग-अलग शहरों में लगने वाली प्रदर्शनी व मेलारें में भी परिवार के सदस्य अपनी कृतियों के साथ जाते हैं। वहां शिल्प कला को अच्छा बाजार मिल जाता है। अपने पुश्तैनी काम से इस परिवार की अलग पहचान बनी हुई है। शिल्प कला के दम पर ग्यासी
राम के परिवार के कई सदस्यों को नेशनल तथा स्टेट अवार्ड मिल चुके हैं।
परिवार को मिले अवार्ड पर एक नजर
-सुख लाल को वर्ष 2005 में स्टेट अवार्ड और 2011 में नेशनल मेरिट अवार्ड मिला, पाट पर उकेरी थी कृष्णलीला।
-ओमवती को राज्य का सांत्वना पुरस्कार मिला।
-नेम चंद को 2011 और उनकी पत्नी पुष्पा को वर्ष 2007 में स्टेट अवार्ड मिला।
-सुख लाल की बेटी कौशल्या को वर्ष 2012 में स्टेट अवार्ड मिला। कौशल्या ने टेराकोटा से तैयार पाट पर वारली पेंटिंग की थी और एक कदम स्वस्छता की ओर संदेश दिया था।
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