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    चार साल में भी न दे सके RTI का जवाब, अधिकारियों की अनदेखी पर राज्य सूचना आयोग ने लगाया जुर्माना

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 06:37 PM (IST)

    फरीदाबाद नगर निगम के एक अधिकारी पर आरटीआई के तहत सूचना न देने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अजय सैनी ने 2021 में सेक्टर-15ए की एक सड़क के बारे में जानकारी मांगी थी लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। राज्य सूचना आयोग के आदेश के बाद भी सूचना नहीं दी गई जिसके चलते यह जुर्माना लगाया गया। कार्यकर्ता ने सिस्टम पर सवाल उठाए।

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    आरटीआई : चार साल में भी नहीं दी सूचना, अब हुआ 25 हजार जुर्माना

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। आरटीआई का सरकारी महकमों के अधिकारियों ने मजाक बना दिया है। सूचना देने में महीनों नहीं बल्कि साल लग जाते हैं। अपनी कमियां छुपाने के लिए अधिकारी सूचना नहीं दे रहे हैं। एक ऐसा ही मामला नगर निगम का सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता अजय सैनी ने 2021 में नगर निगम में एक आरटीआई लगाई थी। इसमें सेक्टर-15ए की एक सड़क के बारे में पूरी जानकारी मांगी गई थी। इसके बजट व टेंडर के दस्तावेज की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की गई थी लेकिन निगम अधिकारियों ने सुनवाई नहीं की।

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    न आदेश का पालन और कानून का डर

    तय समय बीत जाने के बाद सैनी ने अपील की। सुनवाई न होने पर द्वितीय अपील की। इसके बाद भी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। सैनी ने राज्य सूचना आयोग के पास अपील दायर कर दी। वहां से भी शोकाॅज नोटिस जारी किए जाते रहे लेकिन संबंधित अधिकारी पेश नहीं हुए।

    आयोग ने सूचना देने के आदेश दिए, इसका भी कोई असर नहीं हुआ। नगर निगम से कार्यकारी अभियंता ओमदत्त एक बार जरूर पेश हुए थे लेकिन लेखा शाखा के अधिकारी नहीं आए। इसी मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने नगर निगम के सहायक लेखा शाखा अधिकारी विजय सिंह पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

    चार साल बाद भी सूचना नहीं

    अजय सैनी ने सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आरटीआइ का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं लेते। यदि कोई सूचना मांग ली तो इतने चक्कर लगाने पड़ते हैं कि बेचारा दोबारा आरटीआई लगाने के बारे में सोचेगा भी नहीं। राज्य सूचना आयेाग तक अपील करने के बाद भी सूचना चार साल तक नहीं मिली। सूचना न देने वाले अधिकारियों पर जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि विभागीय कार्रवाई भी होनी चाहिए। जब तक सख्ती नहीं होगी, आरटीआई को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।

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