बारिश बनी किसानों की आफत, धान और बाजरे की फसलें बर्बादी की कगार पर, चारे के लिए भी नहीं रही उपज
फरीदाबाद में बारिश से किसान चिंतित हैं। धान की फसलें गिर गई हैं और कटाई मुश्किल हो रही है। ज्वार-बाजरा भीगने से खराब हो सकता है जिससे चारे का संकट आ सकता है। मंडियों में धान गीला होने से सरकारी खरीद प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के अनुसार फसलों को 10-20% तक नुकसान हुआ है किसानों को पीआर धान की खरीद का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़। अन्नदाता जिले में हुई वर्षा से धान की फसल के जमीन पर गिरने और जलभराव होने से काफी चिंतित दिखाई दिए। ऐसी स्थिति में फसल को काटना भी मुश्किल होगा। ज्वार व बाजरा की जो फसल पकाव पर या काट कर खेत के अंदर रखी हुई है, उसका दाना काला पड़ सकता है।
खरीफ की फसल धान पक चुका है और मंडियों में धान-बाजरा की आवक पूरे जोर से हो रही है। सोमवार की रात को हुई वर्षा से खेतों में खड़ी फसलों की कटाई का काम पूरी तरह से प्रभावित हो गया क्योंकि जमीन गिली होने से फसल को काटना मुश्किल हो रहा था। मंडियों में पड़ी हुई धान की फसल गिली हो गई। पूरे दिन मंडियों में धान की फसल को कामगार सुखाते रहे। कई किसान भी इस काम में जुटे हुए थे। धान के गीलापन को ध्यान रखते हुए मिलर और एजेंसी ने मंगलवार को सरकारी खरीद नहीं की।
"हमारे गांव फिरोजपुर कलां में वर्षा से खेतों में खड़ी धान की फसल जमीन पर गिर गई है। कई जगह पर जलभराव हो गया है और फसल को काटना मुश्किल होगा। धान का दाना जमीन में जो गिर गया है, वह गल कर नष्ट हो जाएगा। जो फसल जमीन पर गिर गई वह अब खड़ी नहीं हो पाएगी। इसका कोई मुआवजा भी नहीं मिलेगा।"
-मुकुल कुमार, किसान
"वर्षा से जो बाजरे की फसल खड़ी हुई है, उसका बूर धुल गया। ज्वार और बाजरे की फसल खेतों में कटी हुई पड़ी है, उसका दाना भीगने के कारण काला पड़़ जाएगा और अंकुरित भी हो सकता है। चारे के काम भी नहीं आएगी। पशुओं के लिए चारे का संकट भी पैदा हो सकता है। ऐसी स्थिति में फसल को बचाने के लिए कुछ किया भी नहीं जा सकता।"
-हरीश कुमार, किसान
"वर्षा से जो फसल खेतों में खड़ी हैं वह चाहे धान की हो या फिर बाजरा-ज्वार उसमें 10 से 20 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है। अब तो जितनी वर्षा होगी, उसका नुकसान ही होगा। वर्षा की अब फिलहाल कृषि की दृष्टि से किसी भी तरह से जरूरत नहीं है।"
-डाॅ. अनिल सहरावत, जिला उपनिदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फरीदाबाद
"वर्षा से जो धान मंडी में भीगने से गीला हो गया था, उसे सूखा कर मिलर ने खरीद लिया। सबसे ज्यादा परेशानी उन किसानों को हो रही है, जिन्होंने पीआर धान लगाया हुआ है। किसान धान मंडी लेकर आना चाहते हैं, लेकिन यहां पर कोई खरीदने के लिए तैयार नहीं है। पटवारियों ने भी अभी तक सत्यापन नहीं किया है। वह फसल को अपने घर के अंदर भी नहीं रख सकते। सरकार को पीआर धान की खरीद करनी चाहिए।"
-नरेश कुमार बंसल, आढ़ती
"वर्षा होने के कारण मंगलवार को मंडी में धान की आवक बहुत कम रही। बाजरा 800 क्विंटल आया। इसे निजी खरीदारों ने खरीदा है। धान की सरकारी खरीद करने के लिए मिलर और एजेंसी के अधिकारी भी नहीं आए। बुधवार को दो-तीन मिलर और एजेंसी के अधिकारियों पीआर धान की सरकारी खरीद करने के लिए आने की उम्मीद है।"
-इंद्रपाल सिंह, सचिव एवं कार्यकारी अधिकारी मार्केट कमेटी बल्लभगढ़
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