' न तो बच्चों को न पशुओं को मिला खाना, अब भूखे रहना मुश्किल...' मोहना मंडी में ठहराए गए बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी
यमुना में बाढ़ से प्रभावित राजुपुर खादर के ग्रामीण पलवल प्रशासन की लापरवाही से मोहना अनाज मंडी में भूखे-प्यासे रहे। उपायुक्त के कहने पर आने के बावजूद उन्हें भोजन बच्चों के लिए दूध और पशुओं के लिए चारा नहीं मिला। फरीदाबाद प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने दुख जताया जबकि उपायुक्त ने व्यवस्था होने का दावा किया।

सुभाष डागर, बल्लभगढ़। यमुना में आई बाढ़ से प्रभावित राजुपुर खादर के ग्रामीण पलवल प्रशासन की लापरवाही से चलते अनाज मंडी में मोहना में भूखे-प्यासे भोजन की इंतजार में बैठे रहे।
शाम तक इनकी किसी ने सुध नहीं ली। बच्चों को भी कोई खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं हैं। पशु भी बिना चारे के बैठे रहे, जबकि यह लोग उपायुक्त के कहने पर ही अपने बच्चों और पशुओं को लेकर यहां पर आए थे।
फरीदाबाद के प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। दोनों जिलों के अधिकारियों में तालमेल के अभाव की वजह से लोग भूखे रहे। यमुना में बाढ़ आने की सूचना को लेकर पलवल के उपायुक्त हरीश कुमार मंगलवार को अपने अधिकारियों की टीम के साथ खादर के 15 गांवों के दौरे पर आए थे।
हम राजुपुर खादर से मंगलवार की शाम को अपने बच्चों और पशुओं को लेकर आ गए। हमसे उपायुक्त ने मोहना मंडी में आने के लिए कहा था। यहां पर प्रशासन की तरफ से किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
-रामअवतार, ग्रामीण
खादर के राजपुर गांव में जब उपायुक्त अपने अधिकारियाें की टीम के साथ पहुंचे तो उन्होंने ग्रामीणों से सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा। उपायुक्त ने कहा कि यदि किसी के परिचित नहीं हैं तो वह प्रशासन के बाढ़ राहत शिविर में ठहर सकते हैं।
उपायुक्त की यह बात सुनने के बाद ग्रामीणों ने कहा कि वह तो किसी परिचित के पास चले जाएं, लेकिन अपने पशुओं को किस के पास छोड़ कर जाएं। तब उपायुक्त ने ग्रामीणों से कहा था कि वह अपने पशुओं को लेकर मोहना अनाज मंडी में जाकर ठहर सकते हैं।
मंगलवार से लेकर बुधवार को दोपहर बाद के तीन बजे प्रशासन की तरफ से न तो कुछ खाने के लिए दिया गया है और न हमारे बच्चों के लिए कुछ भेजा गया है। भूखे रहना मुश्किल हो रहा है।
-मोनू, ग्रामीण
उपायुक्त के इतना कहने के साथ ही गांव के 50 ग्रामीण अपने बच्चों और 450 बकरियों को लेकर मोहना अनाज मंडी में आ गए। बाद में प्रशासन ने ग्रामीणों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
मेरा सबसे छोटा बच्चा तीन वर्ष का है। छोटा बच्चा तो अपना पेट ही दूध से भरता है। यहां पर बच्चों के लिए भी कुछ नहीं मिला। मैं खुद भी बिना भोजन के हूं तो बच्चों को क्या खिलाऊं।
-मीना, ग्रामीण महिला
इन ग्रामीणों को पलवल प्रशासन की तरफ से न तो भोजन दिया गया और न ही बच्चों के पीने के लिए दूध, चाय व अन्य सामग्री दी गई। पशुओं के लिए कोई चारा भी उपलब्ध नहीं था। फरीदाबाद प्रशासन ने भी ग्रामीणों से भोजन के बारे में नहीं पूछा।
यदि पलवल के अफसरों को कुछ भी देना ही नहीं था तो फिर हम से पशुओं और बच्चों के साथ मोहना मंड़ी में आने के लिए क्यों कहा। हमने बकरियों को तो जंगल में चराने के लिए भेज दिया है। उनका पेट तो भरे।
-विष्णु, ग्रामीण
बल्लभगढ़ के एसडीएम मयंक भारद्वाज का कहना था कि उन्हें इनके बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन यह पता नहीं था कि पलवल प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की है। इसलिए वह भोजन की व्यवस्था नहीं करा पाए। उन्होंने फिर मोहना के सरपंच से भोजन की व्यवस्था कराने के लिए कहा।
हमने मोहना अनाज मंडी में ठहरे ग्रामीणों के लिए चारे और भोजन की पूरी व्यवस्था की है। इतना नहीं इन ग्रामीणों की देख-रेख के लिए जिला परिषद के सीईओ की ड्यूटी लगाई है। वहां पर किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है।
-हरीश कुमार वशिष्ठ, उपायुक्त पलवल
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