एक एकड़ जमीन के बदले मिलेगा 1200 गज का प्लाॅट, केंद्रीय मंत्री ने कहा-किसानों की मर्जी से होगा जमीन अधिग्रहण
केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद के किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा। यदि किसान अपनी जमीन सरकार को देते हैं तो उन्हें विकसित सेक्टर में आवासीय और वाणिज्यिक प्लॉट मिलेंगे। सरकार नए सेक्टरों के विकास के लिए गांवों को चिन्हित कर रही है पर किसानों की सहमति अनिवार्य है।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। अगर कोई किसान एक एकड़ जमीन सरकार को देता है तो सरकार उस सेक्टर को विकसित करेगी। उसी सेक्टर में एक हजार वर्ग गज का रिहायशी और 200 वर्ग गज का वाणिज्यिक प्लाॅट किसान को दिया जाएगा। यानी कुल 1200 गज का प्लाॅट दिया जाएगा। यह बात केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने रविवार को अपने कार्यालय पर किसानों से कही।
तब तक नहीं होगा अधिग्रहण
दरअसल, तिगांव विधानसभा क्षेत्र के किसान सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण की तैयारी को लेकर मंत्री से मिलने आए थे। उनके साथ पूर्व कांग्रेसी विधायक ललित नागर भी थे। किसानों को डर है कि सरकार जबरदस्ती जमीन ले लेगी। इस पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसान की मर्जी के उसकी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
किसान की जमीन पूरी तरह सुरक्षित
उन्होंने कहा कि किसी भी किसान से उसकी जमीन लेने के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। एक जमाना था जब देश में कांग्रेस की सरकार थी, तब किसानों की मर्जी के खिलाफ उनकी जमीनों का अधिग्रहण करते थे। बेबस किसान देखता रह जाता था, उसकी एक न चलती थी। मगर अब किसानों के हितों के विपरीत सरकार कोई निर्णय नहीं करेगी। किसान अपनी मर्जी से अगर जमीन चाहे तो उसको जो सही रेट लगता है, वह सरकार को ऑफर कर सकता है। सरकार को रेट सही लगा तो वह जमीन खरीद लेगी नहीं तो किसान के पास उसकी जमीन सुरक्षित है।
नए सेक्टरों के लिए चिन्हित गांव
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा नए सेक्टरों के लिए खेड़ी कलां, नचौली, ताजुपुर, ढहकौला, शाहबाद, बदरपुर सैद, साहुपुरा, सोतई, सुनपेड़, मलेरना, जाजरू, भैंसरावली, फत्तुपुरा, भुआपुर, जसाना, फरीदपुर, सदपुरा और तिगांव हैं। इन गांव में सेक्टर-94ए, 96, 96ए, 99, 100, 101, 102, 103, 140, 141, 142 विकसित किए जाएंगे। इनमें रिहायशी के अलावा वाणिज्यिक सेक्टर भी होंगे। प्राधिकरण की प्रशासक अनुपमा अंजलि सहित अन्य अधिकारियों ने गांव-गांव जाकर किसानों से बात की लेकिन उन्होंने रुचि नहीं दिखाई।
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