Faridabad News: टूट रहे आशियाना बनाने के सपने, दलालों के खोखले दावों का हुआ पर्दाफाश
फरीदाबाद में अवैध कॉलोनियों का जाल फैला हुआ है जिससे मास्टर प्लान 2031 खतरे में है। कॉलोनाइजर और दलाल लोगों को झूठे वादे करके प्लॉट बेच रहे हैं। इन अवैध कॉलोनियों में न तो पक्की सड़कें हैं और न ही बिजली कनेक्शन। सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। जहां सेटिंग नहीं होती थी वहां विभाग प्लॉट ध्वस्त कर देता था।

प्रवीण कौशिक, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी में शहर से लेकर यमुना नदी और नदी पार तक अवैध कॉलोनियों का जाल बिछा हुआ है। शायद ही कोई गांव बचा हो, जहां कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग न हो रही हो। शहरी क्षेत्र से सटे गांवों में अवैध औद्योगिक कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। यहां बड़े-बड़े प्लॉट काटकर औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं।
कॉलोनाइजरों और विभाग के बीच की कड़ी बने दलाल ध्वस्तीकरण न होने देने का ठेका ले रहे हैं। प्लॉट धारकों को भरोसा दिलाया जाता है कि विभाग में उनकी पूरी सेटिंग है। कोई कार्रवाई नहीं होगी। ऐसा कई सालों से होता आ रहा है। जहां सेटिंग नहीं होती थी, वहां विभाग प्लॉट ध्वस्त कर देता था।
मास्टर प्लान 2031 बड़े खतरे में
इसलिए आम आदमी का मानना है कि प्लॉट खरीदने में कोई जोखिम नहीं है। कॉलोनाइजरों और दलालों की इस करतूत से मास्टर प्लान 2031 बड़े खतरे में पड़ गया है। साथ ही सरकार के राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है। इस खेल में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्योंकि यह बात हजम नहीं होती कि इतने बड़े पैमाने पर काटी और विकसित की जा रही कॉलोनियों की जानकारी अधिकारियों को न हो। हालांकि पिछले दो महीने से इन कॉलोनियों को ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि इनके विकास के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
हाल ही में कुछ जगहों पर हुई कार्रवाई में दलालों की बात सामने आई है। यानी दलालों की विभाग में गहरी पैठ है। उसका किसी से कुछ संबंध है, जिसके कारण वह प्लॉट धारकों को इतना बड़ा आश्वासन दे रहा है।
बेहतर कनेक्टिविटी के दिखाते हैं सपने
प्लॉट खरीदने वालों से कॉलोनाइजर तमाम तरह के बड़े-बड़े वादे करते हैं। मुख्य रूप से नजदीकी शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी का जिक्र किया जाता है। पोस्टर लगाकर बताया जाता है कि जिले की जल्द ही ग्रेटर नोएडा और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीधी और आसान कनेक्टिविटी होने वाली है, फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू होने वाला है, बाईपास पर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भी बन चुका है।
ऐसे ही गुलाबी सपने दिखाकर लोगों को फंसाया जाता है और कॉलोनाइजर अवैध कॉलोनियों का जाल बिछाते नजर आते हैं। इन प्रोजेक्ट के आसपास कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त हो रही है और प्लॉटिंग का खेल बढ़ गया है। प्लॉट खरीदने वालों में जिले के ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली में रहने वाले लोग भी शामिल हैं।
खोले रखे हैं आफिस, रोज कराते हैं फोन
अवैध कॉलोनियों में प्लॉट बेचने का पूरा सिस्टम है। कॉलोनाइजर ऑफिस खोलकर बैठते हैं। इन ऑफिसों में युवतियां काम करती हैं। युवतियां दिनभर में 200 से 300 लोगों को फोन करती हैं। लोगों को तरह-तरह के लुभावने वादे करके आसान किश्तों पर प्लॉट मिलने की बात कही जाती है। उन्हें प्लॉट की रजिस्ट्री करवाने का लालच दिया जाता है। उन्हें पक्की सड़कें और बिजली कनेक्शन दिलाने का वादा किया जाता है।
मास्टर प्लान 2031 काे खतरा
मास्टर प्लान 2031 तैयार हो चुका है। इसके तहत तय किया गया है कि कहां क्या गतिविधियां होंगी। शहरीकरण का दायरा भी बढ़ाया गया है। गांवों में नए सेक्टर बनाए जाएंगे। अगर कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग होती है तो मास्टर प्लान की गतिविधियां प्रभावित होंगी। इस प्लान के तहत मास्टर रोड और सेक्टर रोड बनाए जाएंगे। लेकिन अगर अवैध कॉलोनी काटी गई तो बाद में उसे हटाने में दिक्कत आएगी।
हां, यह सही है कि दलाल तोड़फोड़ रोकने का दावा करते हैं। अगर लोग उनके खिलाफ शिकायत करेंगे तो केस दर्ज किया जाएगा। हालांकि, अब नियमित रूप से तोड़फोड़ की जा रही है। शहर से लेकर गांव तक सभी अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार है। एक के बाद एक सभी जगह कार्रवाई की जाएगी। लोगों को गुमराह नहीं होना चाहिए और यहां प्लॉट नहीं खरीदना चाहिए।
- राहुल सिंगला, डीटीपीई
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