Faridabad: पहले भी था दामन दागदार, लेकिन तैनाती मलाईदार पद पर पाता रहा विकास; अब पहुंचा जेल की सलाखों के पीछे
एचएसआईआईडीसी के जिस संपदा अधिकारी विकास चौधरी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने बुधवार को रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है वो पहले भी दो बार रिश्वत मांगने और रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होकर जेल की सलाखों के पीछे जा चुका है।

फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास संरचना निगम (एचएसआइआइडीसी)के जिस संपदा अधिकारी विकास चौधरी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने बुधवार को रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है, वो पहले भी दो बार रिश्वत मांगने और रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होकर जेल की सलाखों के पीछे जा चुका है। वर्ष 2011 में तत्कालीन जिला उपायुक्त प्रवीन कुमार ने विकास चौधरी को पकड़वाया था और फिर जेल से बाहर आने पर सोनीपत में रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ था। दामन दागदार होने के बावजूद विकास विभिन्न मलाईदार पदों पर नियुक्तियां पाता रहा।
अब विकास यहां एचएसआइआइडीसी मेें संपदा अधिकारी के पद पर आइएमटी में नियुक्ति पाकर माेटी मलाई मार रहा था। एचएसआइआइडीसी, एचएसवीपी की तर्ज पर काम करता है। जो सेक्टर एचएसआइआइडीसी के पास हैं, उनमें नक्शे पास करना, कंपलीशन देना, बचे हुए प्लाटों की नीलामी करना, मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने सहित उद्योग चलाने की एनओसी भी एचएसआइआइडीसी के संपदा अधिकारी द्वारा दी जाती है। उद्योगपतियोें की शिकायत है कि यह सारे कार्य बिना सुविधा शुल्क चुकाए नहीं होते और सभी बड़े परेशान थे। उद्योगपतियों में विकास चौधरी की गिरफ्तारी से खुशी है।
सेवानिवृत्त जज के पुत्र से मांगी थी रिश्वत
वर्ष-2011 में विकास चौधरी हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जिले में क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। आरोप था कि तब एक सेवानिवृत्त जज के पुत्र के कारखाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र देने के नाम पर रिश्वत की मांग की थी। उस समय विकास चौधरी रंगे हाथ तो पकड़ में नहीं आया, पर कारखाना मालिक की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन जिला उपायुक्त प्रवीन कुमार ने विकास चौधरी को अपने कार्यालय बुलवाया और एफिडेविट देते हुए गिरफ्तार करवाया था। तब न्यायिक हिरासत में विकास चौधरी नीमका जेल गए थे।
छह महीने बाद बहाल होकर सोनीपत में पाई तैनाती
नीमका जेल में कई दिनों तक न्यायिक हिरासत में सलाखाें के पीछे रहने के बाद जब छूट कर विकास चौधरी बाहर आए तो फिर से अपनी नियुक्ति के प्रयास शुरू कर दिए। बताया जाता है कि तब कारखाना मालिक वाला मामला रफा-दफा हो गया था। तब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस की सरकार थी। करीब छह महीने की कवायद के बाद विकास चौधरी को कामयाबी मिली और सोनीपत में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाई।
कार शोरूम संचालक ने पकड़वाया रिश्वत लेते
चूंकि मुंह को खून लगा हुआ था तो कब तक खाली बैठे रहते। ऐसे में विकास चौधरी ने फिर से अपना खेल शुरू कर दिया। इस बार जनवरी-2012 में रोहतक रोड पर स्थित एक कार शोरूम पर छापामार कार्रवाई के बाद रिश्वत की मांग की। आरोप लगा कि शोरूम संचालक से सील की गई वाशिंग मशीन व जनरेटर को छुड़वाने की एवज में 50 हजार रुपये की मांग की थी। संचालक ने इस बाबत विजिलेंस को शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की थी। तब डीएसपी सज्जन कुमार के नेतृत्व में छापामार टीम गठित की गई थी। गन्नौर के एसडीएम सत्यभूषण लोहिया तब ड्यूटी मजिस्ट्रेट थे। तब जैसे ही शिकायतकर्ता ने विकास चौधरी को रिश्वत की रकम थमाई तो संकेत मिलते ही टीम ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।
एमसीडी में कनिष्ठ अभियंता था विकास चौधरी
यह जानकारी मिली है कि विकास चौधरी दिल्ली नगर निगम में कनिष्ठ अभियंता था। इस दौरान हरियाणा में नियुक्तियां निकली तो विकास चौधरी का चयन प्रदेश सेवा में हो गया। बाद में वो डेपुटेशन पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नियुक्ति पा गया।
बार-बार फरीदाबाद में पाईं नियुक्तियां, होगी जांच
वर्ष 2016 में विकास चौधरी ने फिर तिकड़म लगवा कर फरीदाबाद में एचएसआइआइडीसी में संपदा अधिकारी के पद पर नियुक्ति पाई। तब स्थानीय उद्योगपतियों ने तत्कालीन उद्योगमंत्री विपुल गोयल से इसकी शिकायत की। विपुल गोयल ने तब आरोपित अधिकारी का तबादला सोनीपत करवा दिया। इधर बाद के वर्षों में विकास चौधरी फिर जुगाड़ लगवा कर फरीदाबाद आ गए। इस दौरान फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के एक पूर्व प्रधान ने भी विकास चौधरी की शिकायत की। अब एंटी करप्शन ब्यूरो इन सभी शिकायतों और विकास चौधरी के राजनीतिक आकाओं से संबंधों की भी जांच करेगी तो निश्चित रूप से चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं।
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