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    Faridabad News: किताबों के इंतजार में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी, पुस्तकों के बिना कैसे पूरा होगा सिलेबस?

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Wed, 23 Apr 2025 05:52 PM (IST)

    फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 23 दिन बाद भी विद्यार्थियों को किताबों का इंतजार है। छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों को विशेष परेशानी हो रही है क्योंकि उन्हें अभी तक पुस्तकें नहीं मिली हैं जिससे सिलेबस पूरा करने में दिक्कत आ रही है। अभिभावकों का कहना है कि हर साल यही स्थिति रहती है।

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    किताबों के इंतजार में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 23 दिन बाद भी जिले के सरकारी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची हैं। विद्यार्थियों को पुरानी किताबों से ही सिलेबस पूरा करना पड़ रहा है।

    वहीं, नए दाखिले लेने वाले विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। सबसे ज्यादा परेशानी छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को हो रही है।

    सरकारी स्कूलों का हर साल यही हाल

    अभिभावकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों का हर साल यही हाल रहता है। जुलाई तक किताबें उपलब्ध कराने का सिलसिला चलता रहता है।

    जिले के 378 सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल से दाखिला प्रक्रिया शुरू हुई थी। सरकार व शिक्षा विभाग ने कहा था कि शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही किताबें उपलब्ध करवा दी जाएंगी।

    मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 15 अप्रैल तक सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंचाने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिली हैं।

    किताबों की कमी के कारण तत्परता कार्यक्रम को भी 15 से 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। समय पर किताबें नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

    सरकारी स्कूलों में हर साल यही रहता है हाल

    सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक की किताबें कुछ दिन पहले ही स्कूलों में पहुंची हैं। लेकिन ये अधूरी हैं। जबकि छठी से आठवीं कक्षा तक के अधिकतर विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिली हैं।

    शिक्षा विभाग का कहना है कि किताबें मिलते ही स्कूलों को उपलब्ध करा दी जाएंगी। जबकि अभिभावकों ने कहा कि सरकारी स्कूलों का हर साल यही हाल होता है। समय पर किताबें न मिलने से सिलेबस पूरा नहीं हो पाता, जिसका असर परीक्षा परिणाम पर भी पड़ता है।

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    सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी के कारण दाखिले नहीं बढ़ रहे हैं। पढ़ाई के लिए किताबें सबसे जरूरी हैं, लेकिन अभी तक सरकार और शिक्षा विभाग किताबें उपलब्ध नहीं करा पाया है।

    सरकारी स्कूलों में आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद ही किताबें पहुंच पाती हैं। इस साल भी शैक्षणिक सत्र के 23 दिन बीत चुके हैं, लेकिन छात्रों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। किताबें कब मिलेंगी, इस बारे में स्कूल कोई अपडेट नहीं दे रहे हैं। किताबें न मिलने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

    -शैलेंद्री, अभिभावक।

    किताबों के बिना पढ़ाई संभव नहीं है। मेरा बेटा सातवीं कक्षा में पढ़ता है। वह एक अप्रैल से स्कूल जा रहा है, लेकिन उसे अभी तक एक भी किताब नहीं मिली है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि क्या पढ़ाया जा रहा है। सरकारी स्कूल सिर्फ समय पर किताबें पहुंचाने का दावा करते हैं, हकीकत में छात्रों को जुलाई तक किताबें नहीं मिलती हैं।

    -बीना, अभिभावक।

    पहले चरण में पहली से पांचवीं कक्षा तक की किताबें स्कूलों को उपलब्ध कराई गई। अब छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए किताबें भेजी जा रही हैं। स्कूलों में किताबें पहुंचना शुरू हो गई हैं। जल्द ही विद्यार्थियों को भी किताबें उपलब्ध करा दी जाएंगी।

    -डॉ. मनोज मित्तल, उप जिला शिक्षा अधिकारी।

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