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    दिल्ली के इस अस्पताल में प्रसूति विभाग बदहाल, मरीजों को रेफर किया जा रहा जीटीबी हॉस्पीटल

    पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर स्थित डॉ. हेडगेवार अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। पिछले तीन महीनों से अधिकांश गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा जा रहा है। अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने से मरीजों को निजी लैब में महंगा अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। कांति नगर समेत कई इलाकों की महिलाओं को परेशानी हो रही है।

    By SHUZAUDDIN SHUZAUDDIN Edited By: Rajesh KumarUpdated: Wed, 23 Apr 2025 05:40 PM (IST)
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    डॉ. हेडगेवार अस्पताल के मरीजों को प्रसव के लिए जीटीबी भेजा जा रहा है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। राजधानी के विश्वास नगर स्थित डॉ. हेडगेवार अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग का हाल बुरा है। डॉक्टरों की कमी के कारण पिछले तीन महीने से यहां की अधिकांश मरीजों को प्रसव के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा जा रहा है।

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    इस अस्पताल में कुछ ही मरीजों का प्रसव हो रहा है। विभाग में गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी नहीं है। उन्हें निजी लैब में जाकर 1000 से 1500 रुपये में अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है।

    इन क्षेत्रों के मरीजों को परेशानी

    कांति नगर, लक्ष्मी नगर, विश्वास नगर, आनंद विहार, खुरेजी, गीता कॉलोनी, कृष्णा नगर, जगतपुरी, बिहारी कॉलोनी, पुराना सीलमपुर, गुरु अंगद नगर, दयानंद विहार, स्वास्थ्य विहार, विवेक विहार, सूरजमल विहार, भीकम सिंह कॉलोनी समेत कई इलाकों में रहने वाली गर्भवती महिलाएं डॉ. हेडगेवार अस्पताल में इलाज के लिए आती हैं।

    इस अस्पताल में मंगलवार और शुक्रवार को गर्भवती महिलाओं की ओपीडी लगती है। इसमें मरीजों की संख्या 400 से 500 होती है। दिसंबर 2024 में यहां करीब 40 गर्भवती महिलाओं ने प्रसव कराया था। डॉक्टरों की कमी के कारण जनवरी से मार्च तक अस्पताल का लेबर रूम बंद रहा, ओपीडी सुचारु रूप से चलती रही।

    अब भी विभाग में दो से तीन डॉक्टर ही हैं। जिस अस्पताल में इलाज चल रहा है, वहां प्रसव न होने से महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अस्पताल में इलाज करा रही गर्भवती महिलाओं की जब प्रसव की बारी आती है तो उन्हें जीटीबी रेफर कर दिया जाता है।

    गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जीबीटी अस्पताल

    अस्पताल सूत्रों ने बताया कि जीटीबी अस्पताल में कितनी गर्भवती महिलाओं को रेफर किया गया है। इसका कोई आंकड़ा नहीं है। डिलीवरी के लिए गर्भवती महिला को पहले वार्ड में भर्ती किया जाता है, आपातकालीन विभाग में भर्ती पर्ची बनाई जाती है। अगर वार्ड में भर्ती गर्भवती महिला को रेफर किया जाता है तो डॉक्टरों को उसकी पर्ची पर लिखना पड़ता है कि उन्होंने उसे रेफर क्यों किया। ताकि रेफर करने का जिक्र रिकॉर्ड में न आए।

    इसलिए डॉक्टर ओपीडी पर्ची पर जीटीबी अस्पताल रेफर लिख देते हैं, उस पर्ची पर लिखा रेफरल अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होता। इस मामले में अस्पताल के एमएस सुरेश कुमार को फोन करके और व्हाट्सएप पर मैसेज करके अस्पताल का पक्ष पूछा गया, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया।

    अस्पताल नहीं चला पा रहे हैं तो बंद कर दें

    विश्वास नगर के विधायक ओपी शर्मा ने दिशा समिति की बैठक में कहा था कि डॉ। हेडगेवार अस्पताल के महिला और प्रसूति विभाग को बंद कर देना चाहिए। यहां के मरीजों को जीटीबी अस्पताल भेजा जा रहा है। लेबर रूम तीन महीने से बंद है। गर्भवती महिलाएं परेशान हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद अस्पताल का निरीक्षण करने गए थे, डॉक्टरों की कमी है। महिलाएं बहुत परेशान हैं। अस्पताल में दवाइयों की भी कमी है।

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