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    Haryana News: किसानों के अब ढैंचा का बीज नहीं मिलेगा मुफ्त, पक्का बिल देने पर प्रति एकड़ 1000 रुपये ही दिए जाएंगे

    Updated: Sat, 17 May 2025 04:51 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने इस बार ढैंचा का बीज मुफ्त देने की बजाय किसानों को प्रति एकड़ 1000 रुपये देने का फैसला किया है। किसान कहीं से भी ढैंचा का बीज खरीद सकते हैं उन्हें पक्का बिल लेना होगा। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर खेत की फोटो भी अपलोड करनी होगी ।

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    सरकारी बिक्री केंद्रों पर इस बार ढैंचा का बीज नहीं मिलेगा।

    जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़: भूमि की उर्वरा को बढ़ाने के लिए किसानों को हर वर्ष सरकार ढैंचा का बीज मुफ्त देती थी। इस बार सरकार किसानों को ढैंचा का बीज मुफ्त में नहीं देगी।

    सरकार ने किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ ढैंचा के बीज का सीधा भुगतान करने के लिए कहा है। किसान कहीं से भी बीज खरीद सकता है। उसे बिल पक्का पेश करना होगा।

    भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए दिया जाता था ढैंचा बीज 

    किसानों के पास जोत की भूमि अब टुकड़ों में बची है। बड़े से बड़ा किसान अब पांच एकड़ भूमि का मालिक है। यही कारण है कि अब भूमि से किसान लगातार फसल लेते हैं। खरीफ में धान की रोपाई ज्यादा की जाती है।

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    इससे भूमि की उर्वरा कमजोर पड़ जाती है। सरकार भूमि की उर्वरा को मजबूत बनाने के लिए जायद की फसल के रूप में किसानों को समर मूंग और ढैंचा का बीज देती है।

    अब ढैंचा बोने पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान मिलेगा

    हर वर्ष किसानों को ढैंचा का बीज मुफ्त में दिया जाता था। अब सरकार ने किसानों को ढैंचा का बीज सरकारी दुकानों से देना बंद कर दिया है।

    अब सरकार किसानों को ढैंचा बोने पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देगी। किसान कहीं से भी ढैंचा का बीज खरीद सकते हैं।

    बीज को खरीदते समय पक्का बिल लेना होगा। ढैंचा हरा होने पर उसका फोटो लेकर मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड करना होगा।

    किसान द्वारा ढैंचा के खेत का जो फोटो पोर्टल पर अपलोड़ किया है, उसका सत्यापन होने के बाद ही एक हजार रुपये का उसके खाते में भुगतान किया जाएगा। एक किसान 10 एकड़ तक ढैंचा की फसल बो सकते हैं। किसानों को 10 हजार रुपये तक भुगतान कर दिया जाएगा। जिले में पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर ढैंचा लगाने का लक्ष्य है। पहले आओ-पहले पाओ के सिद्धांत पर किसानों को लाभ दिया जाएगा।

    -डाॅ. अनिल कुमार, उपनिदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फरीदाबाद

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