फरीदाबाद में कुत्तों के काटने के बाद इंजेक्शन के लिए भटकते हैं मरीज, इस दिन बंद रहता है टीकाकरण केंद्र
फरीदाबाद में कुत्ते के काटने के मामले बढ़ रहे हैं। जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में छुट्टी वाले दिन एंटी रेबीज इंजेक्शन की सुविधा नहीं होने से मरीजों को परेशानी होती है। आपातकालीन विभाग में इंजेक्शन उपलब्ध न होने पर घायलों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है या दिल्ली रेफर किया जाता है। मरीजों को खुद इंजेक्शन खरीदने पड़ते हैं।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। जिले में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। शहर के विभिन्न इलाकों से हर रोज 80 से 100 कुत्ते के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल की ओपीडी में जब कोई कुत्ते के काटने का शिकार व्यक्ति इलाज के लिए आता है तो उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन लगा दिया जाता है, लेकिन रविवार या अन्य किसी छुट्टी वाले दिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं होती। ओपीडी बंद रहती है और आपातकालीन विभाग में इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
घायलों को रेफर कर दिया जाता है। इमरजेंसी विभाग में आने पर घायल अस्पताल से छुट्टी के दिन ही निराश होकर लौट जाते हैं और मजबूरन निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। रविवार को भी यही स्थिति रही। टीकाकरण कक्ष पर ताला लगा था।
बच्चे को दिल्ली किया गया रेफर
संजय कॉलोनी निवासी अब्दुल अपने आठ वर्षीय भतीजे आबिद को कुत्ते के काटने पर रविवार को जिला नागरिक अस्पताल की आपातकालीन विभाग में इलाज के लिए लेकर आए थे। यहां एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। सूफियान के हाथ में गंभीर चोट होने के कारण उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। गफ्फार ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई।
खुद खरीद कर लाया इंजेक्शन
एसजीएम नगर निवासी राजकुमार के पैर में कुत्ते ने हमला कर दिया था, जिससे वह घायल हो गया था। वह इंजेक्शन लगवाने के लिए आपातकालीन विभाग में आया था। यहां इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। उसने बाहर से 380 रुपए का इंजेक्शन खरीदा, तब जाकर उसे इंजेक्शन दिया गया।
तीन नंबर में आवारा कुत्तों कर आतंक
सी ब्लॉक नंबर 3 में आवारा कुत्तों का आतंक है। बड़खल नगर की रहने वाली मंजू कल किसी काम से सी ब्लॉक नंबर 3 में आई थी। वह अपने घर जा रही थी, तभी कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर दिया। उसका कहना है कि जब कोई सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए जाता है, तो वहां लंबी लाइन में लगने के बाद ही टीकाकरण होता है। आपातकालीन विभाग में टीकाकरण नहीं होता। इसलिए उसने निजी अस्पताल में जाकर टीका लगवाया।
छुट्टी के दिन अस्पताल के आपातकालीन विभाग में आमतौर पर कुत्तों के काटने के पांच से सात मामले आते हैं। अगर कुत्ते के काटने से घायल गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, तो उन्हें रेफर कर दिया जाता है। बाकी घायलों को उनके रिश्तेदार खुद खरीदकर इंजेक्शन देते हैं।
हमारे इलाके में पिछले डेढ़ महीने में आवारा कुत्तों ने चार बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि सरकारी अस्पताल में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। आपातकालीन विभाग में प्रतिदिन टीकाकरण की व्यवस्था होनी चाहिए।
-वासु मित्र सत्यार्थी, समाजसेवी, निवासी तीन नंबर सी ब्लॉक।
हमारे पास पर्याप्त मात्रा में एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध हैं। आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क इंजेक्शन दिए जा रहे हैं, जबकि अन्य श्रेणी के घायलों को 100 रुपये लेकर इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। आमतौर पर ओपीडी में बड़ी संख्या में घायल आते हैं। आपातकालीन विभाग में दो से चार केस ही आते हैं। फिर भी इस मुद्दे को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष उठाया जाएगा और आपातकालीन विभाग में आने वाले घायलों को भी एंटी रेबीज इंजेक्शन दिए जाने का प्रयास किया जाएगा।
-डॉ. विकास गोयल, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल।
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