ऐसे कैसे सुरक्षित रहेंगे मरीज : आपातकालीन विभाग में नहीं हैं रैबीज का इंजेक्शन, घायल निराश होकर लौट रहे
फरीदाबाद के नागरिक अस्पताल में कुत्ते बिल्ली या बंदर के काटने पर आपातकालीन इलाज न मिलने से मरीजों को परेशानी हो रही है। एंटी रैबीज इंजेक्शन कक्ष बंद रहने और ओपीडी में सीमित समय तक ही इलाज उपलब्ध होने के कारण लोगों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज में देरी से जोखिम बढ़ सकता है।
अनिल बेताब, फरीदाबाद। अगर आपके गली-मोहल्ले या परिवार में किसी सदस्य को कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चूहे ने काटा है तो सरकारी अवकाश वाले दिन जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में न आएं। बाकी दिनों में भी यहां आपातकालीन विभाग में आने पर कोई इलाज नहीं होता है। इलाज के दौरान एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाए जाने को बनाया गया इंजेक्शन कक्ष बंद रहता है। अगर आप इलाज के लिए अस्पताल आ भी गए तो निराश ही लौटना पड़ेगा। यहां ओपीडी में आने पर सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक ही इलाज मिल पाएगा।
इलाज में देरी से बढ़ जाता है जोखिम
बात रविवार की हो या अन्य किसी सरकारी दिवस की। आपातकालीन विभाग में अन्य बीमारियों का इलाज तो होता है, मगर कुत्ते काटे का नहीं। रिकाॅर्ड की बात करें तो प्रतिदिन ओपीडी में 70 से 100 मामले कुत्ते, बिल्ली, बंदर और चूहे काटने के आते हैं।
वहीं, आपातकालीन विभाग में पांच से 10 मामले आते हैं। आपातकालीन विभाग में जब इंजेक्शन नहीं मिलता तो लोगों को मजबूरी में इलाज के लिए निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कुत्ते काटे जाने के मामले में इलाज में देरी जोखिम को बढ़ा सकती है।
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इलाज न मिलने पर जताई नाराजगी
जवाहर कालोनी निवासी गुलशन को घर में ही कुत्ते ने हाथ में काट लिया था। गुलशन नागरिक अस्पताल के आपातकालीन विभाग में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने आए थे, मगर वहां इलाज नहीं मिला तो निजी डाक्टर के पास इंजेक्शन के लिए जाना पड़ा। राहुल कालोनी निवासी मोहम्मद ताहिर का नागरिक अस्पताल में कुत्ते काटे जाने का इलाज चल रहा है।
कुत्ते काटे जाने पर हाथ में दर्द हो रहा था। जिला नागरिक बादशाहखान अस्पताल के आपातकालीन विभाग में आए थे तो उन्हें कहा गया कि ओपीडी के समय में ही आना। एनआइटी निवासी हंसराज ने सीएमओ से मांग की कि आपातकालीन विभाग में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन होना चाहिए, ताकि किसी मरीज को आने पर निराश न लौटना पड़े।
कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा
"तीन नंबर सी ब्लाॅक में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। बच्चे और वरिष्ठ नागरिक अधिक परेशान हैं। सरकारी अस्पताल जाओ तो वहां आपातकालीन विभाग में रैबीज इंजेक्शन ही उपलब्ध नहीं है।"
-वसु मित्र सत्यार्थी, समाजसेवी, एनआइटी तीन सी।
विशेषज्ञ की सलाह
यूनिवर्सल अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन ने सलाह दी कि किसी भी जानवर के काटने या खरोंच लगने पर तुरंत साबुन और पानी से घाव को अच्छे से धोना चाहिए। फिर डाक्टर से संपर्क करें। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। बच्चे बड़ों की अपेक्षा अधिक घबरा जाते हैं। ऐसे में उन पर खास ध्यान दें। नजदीकी अस्पताल में जाकर इलाज कराएं।
तुरंत रैबीज का टीका लगवाना जरूरी
"रैबीज एक घातक बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित कुत्ते, बिल्ली या अन्य जानवर के काटने से फैलती है। ऐसे मामलों में तुरंत रैबीज का टीका लगवाना जरूरी है। रैबीज का इंजेक्शन आमतौर पर चार चरणों में लगाया जाता है। पहले दिन, फिर तीसरे, सातवें और 28वें दिन इंजेक्शन लगवाना चाहिए। इंजेक्शन न लगवाने पर वायरस मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर देता है, जिससे रोगी का जोखिम बढ़ सकता है।"
-डाॅ. अनुभव गुप्ता, वरिष्ठ फिजिशियन, एकार्ड अस्पताल, ग्रेटर फरीदाबाद।
"आपातकालीन विभाग में 24 घंटे एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध रहेंगे। इस बारे में ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर और नर्सिंग अधिकारी को आदेश दिए गए हैं। ओपीडी समय के बाद भी इंजेक्शन लगाए जाएंगे।"
-डाॅ. जयंत आहूजा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
ओपीडी में आने वाले कुत्ते काटे जाने के मामलों का ब्योरा
संख्या, तारीख
- 80, 6 अगस्त
- 73, 7 अगस्त
- 0, 9 व 10 अगस्त (सरकारी अवकश)
- 145, 11 अगस्त
- 85, 12 अगस्त
- 80, 13 अगस्त
- 85, 14 अगस्त
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