'बत्ती गुल मीटर चालू', फरीदाबाद में अंधेरे में डूबी 1200 इंडस्ट्री; हजारों कर्मचारी परेशान
फरीदाबाद के एनआईटी औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं क्योंकि स्ट्रीट लाइटें या तो गायब हैं या खराब हैं। यह क्षेत्र, जिसमें 1200 कारखाने और 50,000 से अधिक कर्मचारी हैं, नगर निगम को सालाना करोड़ों रुपये का कर देता है। इसके बावजूद, मूलभूत सुविधाओं की उपेक्षा की जा रही है। अंधेरे के कारण कामगारों की सुरक्षा खतरे में है और फरीदाबाद की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी खराब हो रही है। कई बार शिकायतें करने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला है।

फाइल फोटो
दीपक पांडेय, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी के सबसे पहले स्थापित हुए सात दशक पुराने एनआइटी इंडस्ट्रियल क्षेत्र की सड़कों पर बत्ती इन दिनों गुल है। यहां की सड़के सूरज ढलते ही अंधेरे में डूब जाती है। निगम की ओर से सड़कों के किनारे लगाए स्ट्रीट लाइट के खंभे पर से लाइट गायब हैं। जहां पर लाइट भी लगाई गई है तो वह जलती नहीं है।
पूरे एनआइटी में कुल 1200 कारखाना यूनिट हैं और इनमें 50 हजार से अधिक कामगार, अधिकारी कार्यरत हैं। यहां सुई से लेकर हवाई जहाज के निर्माण में लगने कलपुर्जे बनते हैं, जिनका निर्यात दुनिया के बड़े देशों में होता है। यहां के कारखाना मालिकों से नगर निगम हर वर्ष तो 10 से 12 करोड़ रुपये सीवर, पानी और प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में वसूलता है।
यह केवल निगम को दिया जाना राजस्व है। जीएसटी और आयकर के माध्यम से प्रदेश और केंद्र सरकार को राजस्व अलग से जाता है। इतना राजस्व देने के बावजूद भी सड़के पूरी तरह से अंधेरे में डूबी हुई है।
खंभे तो लगाए पर लाइट लगाना भूले
एनआइटी इंड्रस्टियल एरिया की तीन सड़कों को रोशन करने के निगम की ओर पिछले साल 150 खंभे नए लगाए गए थे। लेकिन उनमें लाइट नहीं लगाई गई। कुछ पर पुरानी स्ट्रीट लाइट लगा दी गई जो कुछ दिनों तक जली, उसके बाद से खराब पड़ी हुई है।
इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार तत्कालीन निगम आयुक्त ए.मोना श्रीनिवास को भी स्ट्रीट लाइटों को लेकर ज्ञापन दिया गया था। उन्होंने संबंधित कार्यकारी अभियंता को आदेश भी दिया। लेकिन कुछ समय बाद ही उनका तबादला हो गया।
उससे पहले भी कई निगम आयुक्त को अपनी समस्या के संबंधित शिकायत दी जा चुकी है, पर सिवाय आश्वासनों के कभी इन सड़कों का अंधेरा दूर कर यहां रोशनी की व्यवस्था करने की पहल नहीं हुई।
चूंकि कामगार या तो साइकिल पर अथवा मोटरसाइकिल-स्कूटी से आवागमन करते हैं, इसलिए अंधेरे में उनके साथ कोई न कोई हादसा होने की आशंका बनी रहती है। अंधेरे में छिटपुट लूट की वारदात तो आम बात है।
अंधेरे की वजह से विदेशों में भी साख हो रही खराब
एनआइटी इंडस्ट्रियल एरिया में कई ऐसी कंपनियां है। जिनकी अलग-अलग देशों में भी प्लांट है। जिसमें फ्रिज और एसी निर्माता कंपनी व्हर्लपूल और पंखा बनाने वाली ओसवाल बड़ा नाम हैं। विदेशी प्रतिनिधि भी यहां पर कंपनी का विजिट करने के लिए आते हैं।
अंधेरे में डूबी इन सड़कों की वजह से विदेश में भी फरीदाबाद की साख खराब होती है। जनप्रतिनिधियों को कई कार्यक्रमों में भी खुले मंच से इंडस्ट्रियल एरिया की समस्याओं के बारे में बोला जा चुका है। फिर भी कोई समाधान नहीं निकलता है। पुष्पेंद्र सिंह, वरिष्ठ उपप्रधान, इंडस्ट्रियल एरिया वेलफेयर एसोसिएशन
नगर निगम टैक्स के नाम पर केवल नियमों का चाबुक चलाता है। अगर किसी फैक्ट्री या कंपनी में टैक्स बकाया हो जाता हैं तो तुरंत सीलिंग की कार्रवाई कर दी जाती है। लेकिन कभी वहां की मूलभूत सुविधाओं को जानने का प्रयास नहीं किया जाता है। इंडस्ट्रियल एरिया में तीन सड़कें ऐसी है। जहां पर रात के समय पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है। एक भी लाइट नहीं जलती है। कई निगम आयुक्त को इसके बारे में अवगत कराया जा चुका है। रमणीक प्रभाकर, महासचिव, मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फरीदाबाद
मेरे पास अभी तक उद्यमियों की ओर स्ट्रीट लाइट को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है। संबंधित कार्यकारी अभियंता अभी खंभों में स्ट्रीट लाइट लगवाने और जो पुरानी स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी है। उनको ठीक करवाने का आदेश जारी किया गया है। धीरेंद्र खड़गटा, आयुक्त, नगर निगम
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