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    खेलों में हरियाणा अव्वल फिर भी खत्म नहीं हो रही लापरवाही: ग्रामीण स्टेडियम बदहाल, कहां खेल निखारें माटी के लाल

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 07:10 AM (IST)

    हरियाणा खेलों में आगे है, लेकिन ग्रामीण स्टेडियमों की हालत खराब है। बुनियादी सुविधाओं की कमी से खिलाड़ियों को अभ्यास में दिक्कत हो रही है। उचित उपकरणों और प्रशिक्षण के अभाव से ग्रामीण युवाओं को प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल रहा। खिलाड़ी निराश हैं और सरकार की उदासीनता दिख रही है। खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    सुशील भाटिया, फरीदाबाद। पेरिस ओलिंपिक-2024 में हमारे देश ने छह मेडल हासिल किए थे, इनमें से पांच हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते थे। उससे पिछले 2020 में टोक्यो ओलिंपिक में भारत ने सात मेडल जीते, इनमें चार हरियाणा के खिलाड़ियों ने हासिल किए थे। ओलिंपिक पदक जीतने में सक्षम ऐसे खेल सूरमाओं की धरती हरियाणा में 13 साल के लंबे अरसे बाद हरियाणा ओलिंपिक गेम्स का आयोजन दो नवंबर से शुरू हो रहा है। सात हजार एथलीट्स विभिन्न जिलों में विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगे।

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    गुरुग्राम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खेलों का शुभारंभ करेंगे, इन खेलों के आयोजन का मकसद 2028 में लास एंजिल्स ओलिंपिक खेलों की बेहतर तैयारी का आगाज भी है, पर उसी हरियाणा की धरती पर बने राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर बदहाली का शिकार हैं। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे।

    इस सीरीज के माध्यम से सिलसिलेवार बताएंगे कि ग्रामीण अंचल में बनाने का उद्देश्य क्या था। राजीव गांधी खेल परिसरों की दुर्दशा को उजागर करने का हमारा उद्देश्य भी यही है कि सरकार इनकी सुध ले, यहां की बदहाली दूर हो, खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने और दिखाने का एक बेहतर माहौल यानी मैदान व संसाधन मिलें। इन संसाधनों का उपयोग कर खिलाड़ी खेलो के वैश्विक मंच पर अपना हुनर दिखाएं और देश-प्रदेश के लिए गौरव अर्जित करें।

    दो दशक पहले कांग्रेस सरकार में बने थे खेल परिसर

    करीब दो दशक पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार में राज्य के विभिन्न जिलों में ग्रामीण अंचल में राजीव गांधी खेल परिसर का निर्माण होना शुरू हुआ था। पूरे हरियाणा में 163 खेल परिसर बनाए गए थे। इसमें दक्षिण हरियाणा में औद्योगिक जिला फरीदाबाद में बल्लभगढ़ के गांव फतेहपुर बिल्लौच, अटाली, करनेरा, धौज, तिगांव व पाली में खेल परिसर बनाए गए थे।

    पड़ोसी जिला पलवल में गांव अच्छेजा, खेड़ला, पृथला, बंचारी और मिंडकौला में, नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका, कामेेंडा, पिनगवां, सिरोली, मढ़ी, नगीना, तावडू और नूंह में, गुरुग्राम में दौलताबाद व फरुखनगर में, रेवाड़ी में नेहरूगढ़, मनेठी, गुरावड़ा में, महेंद्रगढ़ में महेंद्रगढ़, पाली, सिहमा व धौलेड़ा में और सोनीपत में गोहाना में महमूदपुर में, जुआं गांव, खरखौदा के सिसाना गांव सहित 16 खेल परिसर बनाए गए थे।

    इनमें से दो-चार को छोड़ कर बाकी सब बदहाली का शिकार हैं। किसी का भवन ही जर्जर हो गया है तो कुछ से उपकरण ही गायब हो गए हैं। कहीं मैदान का स्वरूप ही गायब होकर वहां जंगल सा नजर आता है और पशु विचरते रहते हैं। ऐसे में माटी के लाल कहां तो अपने खेल को निखारें और कहां उचित मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें।

    हम सीरीज की पहली पांच कड़ियों में बताएंगे कि खेल परिसर क्यों बदहाल हो गए, देखरेख के अभाव में टैक्स के रूप में दिए गए जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए, खेल प्रतिभाओं को उभारने में कैसे विफल रहे, बदहाली दूर करने में गतिरोध कहां है और इसकी बदहाली कैसे दूर हो, इन सब बिंदुओं पर एक-एक करके बात करेंगे।

    खेल मैदान में वही बच्चे आते हैं जो जमकर पसीना बहा सकें और जो पसीना बहाते हैं उन्हीं का हुनर सामने आता है। ग्रामीण अंचल के बालक इसमें आगे रहते हैं। भूपेंद्र सिंह जैसे एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ी प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले हरियाणा के गांवों से आने वाले कई खिलाड़ियों ने भी यह साबित किया है। यह सही मुद्दा है। सरकार इस ओर ध्यान दे।

    -सरकार तलवाड़, पूर्व खेल उप निदेशक एवं द्रोणाचार्य अवार्डी प्रशिक्षक

    राजीव गांधी खेल परिसर की बदहाली देख कर वास्तव में दुख होता है। गांव के युवाओं में यह दम-खम है कि वह खेल मैदानों में अपनी प्रतिभा को बखूबी दिखाएं, पर जब मैदान में ट्रैक की जगह जंगली घास होगी तो कोई दौड़ कहां लगाएगा और प्रतिभा को कौन देखेगा। सरकार अगर खेल मैदानों की दशा ठीक कर दे तो खेलो इंडिया व ओलिंपिक खेलों में हरियाणा का ही राज रहेगा।

    -भीम सिंह, बैंकाक एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक व अर्जुन अवार्डी

    राजीव गांधी खेल परिसर बनाने का निर्णय सरकार का अच्छा निर्णय था, इस पर करोड़ाें रुपये खर्च हुए थे, अब वह जर्जर हो रहे हैं। इनकी दशा सुधारी जाए और कोच नियुक्त किए जाएं, ताकि किशोर-युवा खिलाड़ियों को अभ्यास का बेहतर माहौल मिल सके।

    -भूपेंद्र सिंह, एशियन गेम्स पदक विजेता

    कल पढ़ें: क्यों बदहाल हो गए खेल परिसर। अगर आपको भी इस विषय पर कुछ कहना है तो हमें ई-मेल /Bsbhatia@nda.jagran.com पर या 9560798082 पर जानकारी दे सकते हैं।

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