फरीदाबाद में स्कूल में दोस्ती बनी दुश्मनी, तीन किशोरों ने किशोरी से बात करने पर सहपाठी पर चाकू से किया हमला
फरीदाबाद में एक हैरान करने वाली घटना घटी। एक स्कूल में तीन किशोरों ने अपने सहपाठी पर सिर्फ इसलिए चाकू से हमला कर दिया क्योंकि वह एक लड़की से बात कर रहा था। इस घटना ने दोस्ती और दुश्मनी के बीच की पतली रेखा को उजागर कर दिया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़। जिन हाथों में किताब-कापी और लिखने के लिए पैन होना चाहिए ताकि पढ़ाई पर ध्यान दिया जा सके, उसके स्थान पर किशोरों के हाथ में चाकू हैं और ध्यान कहीं ओर। ऐसे ही एक मामले में एक स्कूल में तीन किशोरों ने साथ पढ़ने वाले सहपाठी को चाकू मार कर बुरी तरह से घायल कर दिया।
किशोरों ने सहपाठी को साथ पढ़ने वाली किशोरी से बात करने से मना किया था। जब वह नहीं माना तो उसे चाकू घोंप दिया। गंभीर अवस्था में घायल किशोर सहपाठी को ग्रेटर फरीदाबाद स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया है।
सुभाष काॅलोनी के रहने वाले नाबालिग ने बताया कि उसकी सहपाठी किशोरी अच्छी मित्र है। अक्सर वह दोनों साथ बात करते हैं। उन दोनों का बात करना साथ पढ़ने वाला एक अन्य किशोर को अच्छा नहीं लगता था। उसने मना किया कि किशोरी से बात न करे। लेकिन उसने बात को अनसुना कर दिया था।
इस पर उस किशोर ने अपने दो दोस्तों के साथ कल्पना चावला सिटी पार्क में बता करने के बहाने बुलाया। बृहस्पतिवार की शाम को सात बजे पार्क में उनसे बात करने के लिए पहुंच गया। वहां पर किशोर के एक साथी ने नाबालिग को पकड़ लिया और जेब से चाकू निकाल कर उसके पेट में घोंप दिया और उसके तीसरे साथी ने नुकीले हथियार से उसके सिर पर वार कर दिया। घटना के बाद आरोपित भाग गए।
शाेर मचाने पर लोग एकत्रित हुए और घायल किशोर को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया। थाना आदर्श नगर प्रभारी मनोज कुमार का कहना है कि घायल नाबालिग को ग्रेटर फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल में भर्ती कराया है। तीनों आरोपित फरार हैं। जानलेवा हमला करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
कई बार अभिभावक अपनी व्यस्तता के चलते बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। किशोर अवस्था ऐसी होती है कि इस समय भले-बुरे का ज्ञान नहीं होता। गलत किशोरों की संगत में पढ़ जाते हैं और अपराध की तरफ चले जाते हैं। बच्चों को अभिभावकों को पर्याप्त समय देना चाहिए। ताकि वह पढ़ाई पर ध्यान दें और उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहे।
-डाॅ. स्वाति सिंह, मनोचिकित्सक
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