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    फरीदाबाद में 'आतंक की पाठशाला' बन रहीं मस्जिदें, कई इमाम पर ब्रेनवॉश सेंटर चलाने का जांच टीम को है शक

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 05:01 PM (IST)

    फरीदाबाद में कुछ मस्जिदों पर 'आतंक की पाठशाला' चलाने का संदेह है। जांच टीम को शक है कि कुछ इमाम ब्रेनवॉश सेंटर चला रहे हैं, जहाँ युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर धकेला जा रहा है। मस्जिदों में भड़काऊ भाषणों से युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और संदिग्धों की तलाश जारी है।

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    जनपद में हाई अलर्ट के बीच फरीदाबाद पुलिस का कॉम्बिंग/सर्चिंग अभियान जारी। सोशल मीडिया

    प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी की कुछ मस्जिदों को आतंकी इस्लाम पर चर्चा करने के लिए ब्रेनवाॅश करने का केंद्र बनाने में लगे हुए थे। पुलिस विभाग के सूत्र बताते हैं कि एक तरह से यहां आतंक की पाठशाला शुरू हो चुकी थी। मस्जिदों में बाहरी लोग आते थे और अपने आकाओं का संदेश देकर जाते थे। आतंकियों को यहां अधिक से अधिक मददगारों की तलाश थी। इसलिए उन्होंने मस्जिदों को चुना ताकि यहां आने वाले लोगों को टारगेट किया जा सके। इसके लिए सबसे अधिक युवाओं को चुना गया था ताकि किसी न किसी रूप में इनकी मदद ली जा सके। अब जांच टीमों के लिए बड़ी चुनौती यह है कि इन जगहों से कितने लोग ब्रेनवाॅश का शिकार हुए हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है।

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    फरीदाबाद में हैं 300 मस्जिदें

    दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले पास हुए आतंकी हमले के बाद एक के बाद एक यहां मस्जिदों से आतंकियों का कनेक्शन सामने आ रहा है। इस वजह से पुलिस अलर्ट हो गई है। मुस्लिम बहुल गांव व काॅलोनी की 50 से अधिक मस्जिद पुलिस की रडार पर हैं। अब तक करीब 140 मस्जिदों में पुलिस दस्तक दे चुकी है। सख्त हिदायत दी जा रही है कि संदिग्ध गतिविधियों में शामिल न हों और पुलिस को तत्काल सूचना भी दें। याद रहे जिले में करीब 300 मस्जिद हैं।

    इन मस्जिदों पर शक

    अल फलाह यूनिवर्सिटी मुस्लिम बहुल गांव में है। इससे सटे हुए फतेहपुर तगा, जोखापुर, सिरोही व टीकरी खेड़ा भी मुस्लिम बहुल हैं। धौज में ही करीब 30 मस्जिद हैं। फतेहपुर तगा में 12 और टीकरी खेड़ा, जखोपुर और सिरोही में 25 से अधिक मस्जिद हैं।

    मुजम्मिल दिन में पांच बार पढ़ता था नमाज

    यूनिवर्सिटी परिसर में मस्जिद का इमाम इश्तियाक तो सीधे रूप से आतंकी सफेदपोश डाॅ. मुजम्मिल के संपर्क में था। मुजम्मिल इस मस्जिद में पांच बार नमाज पढ़ने आता था और हर बार इमाम के साथ काफी देर तक बातें करता था। मुजम्मिल तीन साल और उमर दो साल से मस्जिद आ-जा रहा था। इस मस्जिद के इमाम के घर ही मुजम्मिल ने विस्फोटक छुपाया हुआ था। धौज गांव में ही एक अन्य मुस्लिम व्यक्ति से एक कमरा किराये पर लिया था, जहां विस्फोटक रखा था।

    श्रीनगर की मस्जिदों में भी था खूब आना-जाना

    साथ ही, वह फतेहपुर तगा की मस्जिदों में भी आता-जाता था। वहां युवाओं से अधिक बातें करता था। इसी वजह से फतेहपुर तगा के एक इमाम को शक के आधार पर जांच एजेंसी ने उठाया है और पूछताछ की जा रही है। सिरोही की मस्जिद के इमाम पर भी आतंकी डाॅ. मुजम्मिल से संपर्क रखने के आरोप है। दिल्ली पुलिस शुक्रवार रात को पूछताछ के लिए उसे अपने साथ ले गई। यहां इमाम इमामुद्दीन से मिलने मुजम्मिल आता था। वह मस्जिद पर नमाज पढ़ने के लिए भी जाता था। जांच एजेंसी यह भी पता करने में जुटी है कि सिरोही में मुजम्मिल अन्य किन-किन लोगों से संपर्क में था। मुजम्मिल का श्रीनगर की मस्जिदों में भी खूब आना-जाना होता था।

    कई मस्जिदों में आती हैं दूसरे प्रदेश से जमात

    जिले की कई मस्जिदों में दूसरे प्रदेश उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर से भी जमात आती हैं जो खास संदेश देकर जाती हैं। इनकी मीटिंग भी गुप्त होती है। इसलिए अब मामले की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस ने मस्जिदों में आने वाली जमात पर फिलहाल रोक लगा दी है। सख्त चेतावनी दी है कि बाहरी लोगों का रिकाॅर्ड रजिस्टर में दर्ज किया जाए।

    800 पुलिसकर्मी लगे छानबीन में

    आतंकी गतिविधियाें को लेकर अब पुलिस ने सघन जांच अभियान शुरू कर दिया है। मस्जिद, होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशाला में पुलिसकर्मी जा रहे हैं। पुलिस का दावा है कि 140 मस्जिदों की जांच हो चुकी है। 1700 किरायेदार, 40 खाद बीज की दुकान, गेस्ट हाउस, होटल, धर्मशाला में 200 लोगों से पूछताछ, पुरानी गाड़ियां बेचने वाले 100 डीलरों की जांच, कश्मीर के रहने वाले 500 लोगों से पूछताछ की है।

    जिलाधीश ने जारी किए आदेश

    जिलाधीश विक्रम सिंह द्वारा आदेश दिए गए हैं कि अंजान लोगों का रिकार्ड जरूर रखा जाए। सभी संस्थान परिसर में उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे लगवाएं। साइबर कैफे में आने वालों का रजिस्टर बनाएं। कार डीलर पुरानी गाड़ियों को खरीदने व बेचने का रिकार्ड पूर्ण विवरण सहित रखें।

    "मस्जिदों में शांति व अमन का पाठ पढ़ाया जाता है। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। वह किसी के सगे नहीं होते। कुछ मस्जिदों में जरूर उनका आना-जाना था लेकिन सभी को आगाह किया जाता है कि वह आतंकी गतिविधियों में बिल्कुल शामिल न हों बल्कि उनके खिलाफ आवाज बुलंद करें।"

    -मौलाना जमालुद्दीन, इमाम, जामा मस्जिद ऊंचा गांव, बल्लभगढ़

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