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    फरीदाबाद: फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई, पॉक्सो मामलों में लंबित केसों की सुनवाई होगी तेज

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 12:44 AM (IST)

    फरीदाबाद में फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई गई है, जिससे पॉक्सो एक्ट के तहत लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी। इस फैसले से पीड़ितों को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद है और उन्हें अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह कदम पीड़ितों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    दीपक पांडेय, फरीदाबाद। नाबालिग के साथ उत्पीड़न के मामलों में अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में तेजी से सुनवाई होगी। लंबित मामलों का निपटारा त्वरित गति से होगा और पीड़ितों को न्याय शीघ्र मिलने की आस बंधेगी।

    प्रतिदिन 25 मामलों की होती थी सुनवाई

    दरअसल, अब तक जिले में पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई के लिए एक ही स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट थी, जहां प्रतिदिन 25 मामलों की सुनवाई होने के बावजूद भी लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही थी। एकमात्र फास्ट ट्रैक कोर्ट होने की वजह से पीड़ित व उनके स्वजन को न्याय मिलने में देरी हो रही थी। स्पेशल कोर्ट के जज पर भी कार्य का भार बढ़ रहा था। इसे देखते हुए अब अपने जिले में दो और स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित कर दी गई हैं, साथ ही साथ दो अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों की नियुक्ति भी कर दी गई है। अब पूरे प्रदेश में केवल फरीदाबाद ऐसा जिला बन गया हैं, जहां पॉक्सो के लिए तीन फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित की गई हैं।

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    हर माह पॉक्सो के 15 चालान कोर्ट में होते है पेश

    जिले में नाबालिग से होने वाले उत्पीड़न से संबंधित पॉक्सो के 15 चालान हर माह पुलिस की ओर से कोर्ट में पेश किए जाते हैं। जाहिर है कि पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर दी है तो उसके बाद गेंद कोर्ट के पाले में होती है कि जल्दी मामले की सुनवाई शुरू हो और पूरी हो ताकि दोषी को सजा मिले और पीड़ित को न्याय मिले, पर कोर्ट का नाम फास्ट होने के बावजूद पीड़ित को कई मौकों पर न्याय के लिए चार से पांच साल तक इंतजार करना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि अब तक एक मात्र फास्ट ट्रैक कोर्ट में करीब 824 केस के ट्रायल लंबित चल रहे हैं। नियम के अनुसार 100 से अधिक मामले लंबित होने पर एक पॉक्सो कोर्ट होनी चाहिए। वहीं 300 से अधिक मामले लंबित होने पर दो पॉक्सो कोर्ट स्थापित होनी चाहिए। बढ़ते मामलों को देखते हुए ही दो और कोर्ट स्थापित करने को कदम उठाने पड़े।

    केस-1 : पांच साल बाद मिला था पीड़ित को न्याय

    पॉक्सो को दो ऐसे मामले उदाहरण के रूप में सामने हैं, जिसमें पीड़ित को न्याय पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। पहला मामला पल्ला थाना क्षेत्र में हुआ। पल्ला थाना क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति ने 31 अगस्त 2020 को अपने बेटी के साथ गलत काम होने को लेकर शिकायत दी थी। मामला दर्ज होने के करीब दो माह के भीतर जांच पूरी करके पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया। मामले में करीब पांच साल तक सुनवाई चली। इसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमराज मित्तल की कोर्ट ने एक अक्टूबर-2025 को फैसला सुनाया। केस में पीड़िता की मां ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने बयान को बदल लिया। हालांकि बच्ची के बयान के आधार पर जज ने आरोपित को 20 साल की सजा और 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

    केस-2 : चार साल में केवल सात ही गवाह हो पाए पेश

    पॉक्सो का एक ऐसा ही दूसरा मामला 2021 से कोर्ट में पेंडिंग है। चार जुलाई 2021 में सदर थाना बल्लभगढ़ में मामला दर्ज हुआ था। मामले में कुल 21 गवाह पेश किए जाने है। जबकि अभी तक केवल सात ही गवाह पेश हो पाए हैं। मामले में फैसले को लेकर अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कानूनी जानकारों के अनुसार एक गवाही में कभी-कभी पूरा एक दिन का समय निकल जाता है। वहीं कई बार कोर्ट की ओर से तारीख लंबी दे दी जाती है। कई बार नोटिस मिलने के बावजूद गवाह कोर्ट में नहीं पहुंचते हैं। जिससे केस लटकता हुआ चला जाता है। ऐसे में कई बार मामला लंबा खींचने पर आरोपित पक्ष द्वारा पीड़ित पक्ष के गवाहों को तोड़ने के मकसद से उन्हें दबाव डालने के लिए अतिरिक्त वक्त मिल जाता है। इसका सीधा असर पीड़ित को मिलने वाले न्याय पर पड़ता है।

    दो नई फास्ट ट्रैक कोर्ट की इन्हें मिली कमान

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जो दो नए स्पेशल फास्ट ट्रैक स्थापित किए हैं, उनमें में एक की कमान राजेश कुमार यादव को सौंपी गई है। जो पहले अपने ही जिले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे, अब इन्हें विशेष कोर्ट का अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। तीसरे कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अभिषेक फुटैला होंगे। पहले इनके पास पलवल में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश का पदभार था।

    यह अच्छा निर्णय है। केस लंबा चलने से कई बार आरोपित को भी नुकसान होता है। ऐसे भी मामले आए है। जिसमें आरोपित बेगुनाह निकला है। लेकिन उसे लंबे समय तक केस की वजह से मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। केस का निपटारा होने से ऐसे बेगुनाहों के साथ भी न्याय होगा।

    -संतोष भारद्वाज, वकील

    सरकार की ओर से यह अच्छा कदम उठाया गया है। तीन पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट होने से मामलोंं का निपटारा जल्द होगा। इसके साथ पीड़ित को भी न्याय मिलेगा। कोर्ट में लंबित केसों की संख्या तेजी से कम होगी।

    -सुरेश चौधरी, उपजिला न्यायवादी व विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट

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