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    इसमें हमारा क्या कसूर? UPI से पैसे लेने की सजा भुगत रहे लोग, देश भर के 36,000 बैंक अकाउंट कर दिए ब्लॉक

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:09 PM (IST)

    मुंबई के एक दुकानदार सहित देशभर के 36,000 से अधिक लोग साइबर ठगी के कारण अपने बैंक खाते ब्लॉक होने से परेशान हैं। फरीदाबाद में 4.43 करोड़ की ठगी के माम ...और पढ़ें

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    प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। मुंबई स्थित अंधेरी वेस्ट स्ट्रीट मार्केट में मेरी घरेलू सामान बेचने की दुकान है। किसी अंजान ने कुछ सामान लिया और 826 रुपये यूपीआई कर दिए। कुछ दिन बाद ही खाता बंद हो गया।

    बैंक गए तो पता चला कि खाते में ठगी की रकम आई है, इसलिए बंद कर दिया गया है। अब डेढ़ माह से परेशान हूं। खाता चालू नहीं किया जा रहा है। इस वजह से दुकानदारी प्रभावित हो गई है। यह पीड़ा है मुंबई में रहने वाले शख्स सुधीर की।

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    सुधीर के अनुसार यूपीआई से आई रकम का कैसे पता चलेगा कि यह ठगी की है या किसी के वेतन से आई है। पुलिस जांच में सामने आया कि पीड़ित का ठगी के मामले से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है। पुलिस ने इनके बैंक को पत्र लिखकर खाता रिओपन करने का आग्रह किया है।

    यह पीड़ा अकेले सुधीर की नहीं बल्कि देशभर के अलग-अलग राज्यों के 36 हजार से अधिक लाेगों की है। फरीदाबाद के एनआईटी में 24 अक्टूबर 2025 को एक शख्स के साथ हुई 4.43 करोड़ की ठगी की वजह से 36 हजार खाते ब्लाॅक कर दिए गए हैं। इनमें नौ लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है, क्योंकि यह खाताधारक हैं और इन्हें ठगी का भलीभांति पता था।

    इनके कुछ और साथियों की पुलिस तलाश कर रही है, लेकिन बाकी अधिकतर खाताधारकों को तो पता ही नहीं है कि जो उनके खाते में पैसे आए वह ठगी के हैं। उधर बेचारे ठगी का मामला दर्ज कराने वाले पीड़ित को एक भी रुपये नहीं मिल सके हैं।

    इन राज्यों से आए लोग

    उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मुंबई, बंगाल, गुजरात, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, मुंबई सहित अन्य कई राज्योें से एनआईटी साइबर थाने में फोन आ रहे हैं। कई लोग यहां आकर पुलिस से बैंक को पत्र भिजवाकर खाता रिओपन कराने की गुहार लगा चुके हैं।

    एनआईटी थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार के अनुसार साइबर ठगी होने पर लोग राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काॅल कर देते हैं। इसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा पीड़ित के साथ हुई ठगी की रकम जिस-जिस खाते में जाती है, उसे ब्लाॅक कर दिया जाता है। इनमे कई लोग तो ऐसे हैं जो दुकानदार हैं, पेट्रोल पंप मालिक हैं, रेहड़ी वाले हैं या अन्य काम करते हैं।

    हर सप्ताह 10 से 12 लोग फोन कर रहे हैं और यहां आ भी रहे हैं। लोग तो यहां आकर रोने लगते हैं। बताते हैं कि उनके खाते में मात्र 200 रुपये यूपीआई से आए थे। काफी लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपना खाता खुलवाने के लिए हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ गई है। लोग कहते हैं कि खाता ब्लाॅक करने से पहले जांच होनी चाहिए ताकि असलियत सामने आ सके।

    वैसे भी आम दुकानदार को कैसे पता चलेगा कि यूपीआई से ट्रांसफर की गई रकम ठगी की है। पुलिस ने इस मामले में लखनऊ सीतापुर से हिमांशु, आरिश, गौरव, माेनिक, रवि, उत्तरखंड से खिलाफत, मोहम्मद कादिर, गुजरात के सूरत से सुशील को गिरफ्तार किया है। सभी जेल में हैं। पुलिस की ओर से गृह मंत्रालय को इस समस्या के बारे में पत्र भी लिखा जा चुका है और समाधान का आग्रह किया गया है।

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