क्या आतंकियों का अड्डा बन गई है अल-फलाह यूनिवर्सिटी? यहीं पढ़ाता था दिल्ली में ब्लास्ट करने वाला डॉ. उमर
फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकी गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभरी है। यहां कार्यरत तीन डॉक्टरों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया है। आरोप है कि डाॅ. शाहीन छात्रों का ब्रेनवाॅश कर रही थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। दिल्ली बम धमाके का आरोपी डाॅ. उमर भी यही पढ़ाता था।

दिल्ली बम धमाके को अंजाम देने वाला डाॅ. उमर भी अल-फलाह में पढ़ाता था।
सुशील भाटिया,फरीदाबाद। मुस्लिम बहुल धौज में 76 एकड़ में स्थापित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एकाएक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गई है। एक के बाद एक तीन डाॅक्टरों के नाम आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और मंगलवार को भी सात डाॅक्टरों सहित 13 लोगों को हिरासत में लेने के बाद यह यूनिवर्सिटी आतंकियों का केंद्र के रूप में सामने आई है।
यह ठीक है कि इससे पहले कभी यूनिवर्सिटी का नाम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सामने नहीं आया लेकिन पिछले एक साल से अधिक समय तक यूनिवर्सिटी में कार्यरत तीन डाॅक्टर, जिसमें एक महिला डाॅक्टर भी हैं, आतंकी साजिश को अंजाम देने की योजना बना रहे थे और यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। अगर यूनिवर्सिटी के संचालकों को इसकी जानकारी थी तो फिर समय रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
तीन साल पहले यहां डॉक्टरी करने आया था डॉ. मुज्जमिल
जिस डाॅ. मुज्जमिल को 12 दिन पहले पकड़ा गया है, वह यहां तीन साल से अधिक समय से कार्यरत था। यूनिवर्सिटी के अस्पताल में कार्यरत डाॅक्टर ने बताया कि डाॅ. शाहीन दो साल पहले यहां आई थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार महिला डाॅक्टर के बारे में यह जानकारी मिली कि इससे पहले डाॅ. शाहीन गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल काॅलेज कानुपर में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थी।
वर्ष 2013 में वह अचानक से गायब हो गई थी, 2021 में उसे कानपुर के मेडिकल काॅलेज ने बर्खास्त कर दिया था। गायब होने की बड़ी वजह आतंकी गतिविधियों में उसके शामिल होने की हो सकती है और उसके बाद ही उसने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नियुक्ति पाई। तो यह यूनिवर्सिटी प्रशासन पर बड़ा सवाल है कि उसने बिना कुछ जांचे-परखे कैसे डाॅ. शाहीन को अपने यहां नियुक्ति दे दी। इसी तरह से डाॅ. उमर जो दिल्ली बम धमाके को अंजाम देते हुए मारा गया वह भी यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था।
सात डॉक्टरों सहित 13 लोगों को हिरासत में लिया गया
इन सबके अलावा फरीदाबाद और दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यूनिवर्सिटी में गहन छानबीन के बाद सात डाॅक्टरों सहित 13 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इनमें से कुछ के वाॅट्सएप की काॅल डिटेल डिलीट मिली है। ऐसे में यह सभी संदेह के घेरे में हैं।
इस तरह से यह स्पष्ट हो रहा है कि यूनिवर्सिटी आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनी हुई थी और इस बारे में न तो यूनिवर्सिटी प्रशासन और न ही पुलिस प्रशासन को कोई भनक लगी।
यह बता दें मुस्लिम बहुल गांव में स्थित अल-फलाह मेडिकल काॅलेज के रूप में 2006 में स्थापित हुआ था। फिर 2015 में यूजीसी ने अल-फलाह काॅलेज को यूनिवर्सिटी की मान्यता दी। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा स्थापित यूनिवर्सिटी का परिसर लगभग 76 एकड़ में फैला हुआ है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अस्पताल भी है। यह अस्पताल अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर का ही एक हिस्सा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ही 650 बेड का चैरिटेबल अस्पताल भी है।
यूनिवर्सिटी के वीसी और मेडिकल अधीक्षक ने साधी चुप्पी
यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भूपेंद्र कौर हैं और मेडिकल अधीक्षक डाॅ. जमील हैं। यूनिवर्सटी के मुख्य द्वार से वाइस चांसलर से मुलाकात के लिए संदेश भिजवाया गया, पर सिक्योरिटी गार्ड ने किसी तरह से प्रवेश पर रोक की बात कही, उनसे फोन पर भी संपर्क नहीं हो सका। डाॅ. जमील के मोबाइल पर फोन किया गया, वह भी स्विच ऑफ मिला।

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