अल फलाह यूनिवर्सिटी का 40% स्टाफ कहेगा अलविदा, दिल्ली ब्लास्ट के बाद शिक्षकों में क्यों बना डर का माहौल?
अल फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकियों के पकड़े जाने के बाद हड़कंप मचा है। यूनिवर्सिटी की बदनामी के कारण फैकल्टी का 40 प्रतिशत गैर-मुस्लिम स्टाफ जल्द ही अलविदा कह सकता है। मीडिया पर पाबंदी है और स्टाफ में डर का माहौल है। गैर-मुस्लिम स्टाफ वेतन का इंतजार कर रहा है, जबकि कुछ मुस्लिम स्टाफ भी नौकरी ढूंढ रहे हैं। एनआईए ने डॉ. मुजम्मिल को यूनिवर्सिटी ले जाकर पूछताछ की।
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प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। देश विरोधी गतिविधियों का केंद्र बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर हड़कंप मचा हुआ है। आतंकियों के पकड़े जाने के बाद यूनिवर्सिटी पर बड़ा धब्बा लग चुका है। देशभर में इसकी खूब बदनामी हो रही है।
वहीं, अब यूनिवर्सिटी के साथ कोई भी अपना नाम नहीं जोड़ना चाह रहा है। इसलिए यहां फैकल्टी का 40 प्रतिशत गैर मुस्लिम स्टाफ जल्द अलविदा कह सकता है। यहां फैकल्टी में करीब 200 का स्टाफ है। इसलिए करीब 80 गैर मुस्लिम स्टाफ है। यूनिवर्सिटी हर महीने की सात तारीख तक वेतन जारी करती है।
सूत्र बताते हैं कि यहां काम करने वाला स्टाफ अब सात दिसंबर तक इंतजार कर रहा है ताकि वेतन ले लिया जाए। इसके बाद यहां से पलायन हो सकता है। यूनिवर्सिटी में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई हुई है।
मुख्य प्रवेश द्वारा पर चार बाउंसर बिठा दिए हैं जो पूरी जांच के बाद ही किसी को अंदर जाने देते हैं लेकिन, दैनिक जागरण संवाददाता मंगलवार को इलाज के बहाने अंदर घुस गए। फैकल्टी के पास पहुंचने पर गैर मुस्लिम स्टाफ को विश्वास में लेकर हाल-चाल पूछा। इनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई दी।
कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था लेकिन चलते-चलते यहां काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि अब तो आसपास के लोग टोकने लगे हैं कि आतंकियों वाली यूनिवर्सिटी में क्यों काम कर रहे हो। यहां काम करोगा तो फिर कहीं और काम नहीं मिलेगा। अब तो बस वेतन आने का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद यहां से चले जाएंगे। वैसे भी पता नहीं है कि कब यहां तालाबंदी हो जाए। मीडियाकर्मी होने पर शक हुआ तो बात करना बंद कर दिया।
दूसरी जगह भेज रहे बायोडाटा
एक महिलाकर्मी ने बताया कि जब से यहां आतंकी पकड़े गए हैं, उन्हें डर लग रहा है। इसलिए तभी से कहीं और नौकरी के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अभी जुगाड़ नहीं लग सका है। वैसे भी यूनिवर्सिटी का नाम सुनकर सभी उन्हें शक की नजरों से देखते हैं। अब तो कहीं दूर-दराज जाकर ही नौकरी करनी पड़ेगी। आतंकियों की वजह से उनके कैरियर पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मुस्लिम स्टाफ भी डरा हुआ
फैकल्टी में काम करने वाला कुछ मुस्लिम स्टाफ भी डरा हुआ है। जिनका आतंकियों से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, वह भी कहीं और जाब ढूंढ रहे हैं।
एनआईए लेकर आई डॉ. मुजम्मिल को
रविवार रात को एनआईए आतंकी डॉ. मुजम्मिल को लेकर फरीदाबाद पहुंची। सबसे पहले उसे यूनिवर्सिटी लेकर गई। जिस कमरे में वह रहता था, जहां पढ़ाता था, सभी जगह लेकर गई। साथ ही आपातकालीन विभाग में उसे ले जाकर पूछताछ की। यहां डेढ़ घंटे जगह-जगह ले जाया गया।
इसके बाद धौज और फिर फतेहपुर तगा में टीम गई। यहां दोनों जगह किराए के कमरों में उसने 2923 किलो विस्फोटक जमा किया हुआ था। टीम उसे सोहना लेकर गई। यहां मंडी में अमोनियम नाइट्रेट खरीदने के बारे में दो-तीन दुकानदारों के संपर्क में था।
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सूत्रों के अनुसार, मुजम्मिल कार से ही विस्फोटक लाकर जमा करता था। करीब चार घंटे तक निशानदेही व जरूरी जानकारी जुटाकर एनआईए मुजम्मिल को वापस दिल्ली ले गई।

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